पर्दा उठता है. सूर्य के पात्र में एक बच्चा मंच पर आता है. गुनगुनाता है
-
सूर्य -
कितना सुखकर है
सबको सोने सी ये धूप बांटना
सबको जीवन देती है ये धूप
मानव, पशु-पक्षी,
पौधे या दूब.
सूर्य मंच पर घूमता है,
तभी उसे एक कोने में सहमा नन्हा बीज दिखाई देता है.
सूर्य - अरे. नन्हे बीज तुम वहाँ
अंधेरी,
नम तहों में क्या कर रहे हो?
बाहर आओ, इस हरी भरी धरती
पर उभरो, एक पौधे का आकार लेकर.
नन्हा बीज - ( सहम कर) ना ना ! मैं यहीं ठीक
हूँ.
बाहर न जाने कैसी हो दुनिया!
सूर्य - आओ तो. मेरे दोस्त! कितनी चमकीली है
यह सुबह.
नन्हा बीज - मुझे कोई नुकसान तो न होगा ना?
सूर्य - नहीं भाई नहीं!
नन्हा बीज - ( निकलने के प्रयास में) उफ!
कितनी कडी है जमीन. नहीं मैं यहीं ठीक
हूँ.
सूर्य - अच्छा रुको. मैं अपनी नटखट सहेली
वर्षा को लेकर आता
हूँ.
सूर्य जाता है,
वर्षा आती है, गुनगुनाकर
वर्षा -
आज फिर बरस बरस कर
प्यासी धरती को कर दूंगी नम
आएगा फिर नए पौधों का मौसम
नन्हें बीज तुम कहाँ
हो?
नन्हा बीज - ( धीमी आवाज में) मैं यहाँ
हूँ
.
वर्षा - तो आओ न बाहर देखो धरती भीग कर नम हो
गई है. और दूसरे बीज भी अंकुरों का आकार ले चुके.
नन्हा बीज - (बाहर आकर,
अंगडाई लेकर) अरे, कितनी
हरी भरी दुनिया है, कितनी प्यारी हवा है. क्या
मैं भी एक बडा पौधा बन पाउंगा.
वर्षा -
हाँ!
हाँ!
क्यों नहीं?
वर्षा चली जाती है. सूर्य आता है.
सूर्य - स्वागत दोस्त.
नन्हा बीज - धन्यवाद सूर्य.
कुछ
पलों के लिए मंच पर अंधेरा छा जाता है. रोशनी होने पर वह नन्हा बीज एक
पौधे की वेशभूषा में मुस्कुराता है. आस पास कई बच्चे पौधे के वेश में
हैं. उन सबके मुंह लटके हैं.
नन्हा पौधा - क्या बात है दोस्तों आप खुश नहीं. क्या मेरा आना आपको
पसंद नहीं आया.
एक बडा पौधा - नहीं नन्हें भाई. बात कुछ और
है.
नन्हा पौधा - क्या बात है?
बडा पौधा - मुझे एक चिडिया ने बताया है कि
प्रदूषण राक्षस, पास वाले हरे भरे पौधों से
भरे जंगल को खा गया है. अब हमारी बारी है,
क्योंकि शहर की सडक़ अब इस जंगल तक आ गई है.
नन्हा पौधा - सूर्य ने तो कहा था ये दुनिया
बहुत अच्छी है, वर्षा ने भी
घबरा
कर वह वर्षा और सूर्य को आवाज देता है. दोनों आते हैं.
नन्हा पौधा - हमें उस प्रदूषण राक्षस से बचाओ.
अन्य पौधे -
हाँ!
हाँ!
बचाओ. तुम्हीं तो हमें इस धरती पर लाए हो.
तभी
प्रदूषण राक्षस आता है.
प्रदूषण राक्षस -
हाँ हाँ
हाँ.
यह क्या बचाएगा!
सूरज
मुहँ
छिपा
लेता है. वर्षा भाग जाती है.
तभी
एक बडा पेड ज़ो चुपचाप खडा होता है अपनी टहनियों से पौधों को ढक लेता है.
प्रदूषण धुआं उगल कर चला जाता है.
बडा पेड - नन्हें बच्चों. इस प्रदूषण से अगर पृथ्वी को कोई बचा सकता
है तो वह हम ही हैं. वादा करो,
जैसे मैं ने तुम्हें बचाया,
तुम बडे होकर आने वाले पौधों को बचाओगे. हम सब मिल कर
ही इस धरती को बचा पाएंगे.
सारे
पौधे एक सार्थ
हाँ
पेड
दादा,
हम वादा करते हैं.
तभी
सूर्य बाहर आता है और कहता है.
सूर्य - पेड दादा और पौधों आप कितने अच्छे हैं. काश ये बात मनुष्य और
उसके बच्चे समझ पाते और पेडों
को
नुकसान न पहुँचाते.
आओ
हम सब मिल कर गाएं तो मानव के बच्चे समझ पाएं.
नन्हें-मुन्ने बच्चों,
सुन सको तो सुनो
इन पौधों की बात
अगर कटे जंगल तो
न होगी बरसात.
नहीं हुई बरसात तो
क्या होगा हाल?
न होगा अन्न, न जल
खत्म ही हो जाएगा
धरती से ये जीवन.
अब भी वक्त है हाथ में
अपने नन्हें हाथों से
सहेज लो ये जीवन
बिखेरो बीज धरा पर
लगाओ अपने हाथों से पौधे
हार जाएगा प्रदूषण भी
ले सकोगे सांस खुली हवा में.
नर्न्हेमुन्ने बच्चों सुन सको तो सुनो
इन पौधों की बात
अगर कटे जंगल तो
न होगी बरसात.