मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

मीरां का भक्ति विभोर काव्य-1

ऐरी म्हां दरद दिवाणी
म्हारा दरद न जाण्यौ कोय
घायल री गत घायल जाण्यौ
हिव
डो अगण सन्जोय।।
जौहर की गत जौहरी जाणै
क्या जाण्यौ जण खोय
मीरां री प्रभु पीर मिटांगा
जो वैद
साँवरो होय
।।

- मीरां

   

भावार्थ - 
ऐ री सखि मुझे तो प्रभु के प्रेम की पीडा भी पागल कर जाती है
इस पीडा को कोई नहीं समझ सकासमझता भी कैसे यूं भी दर्द को वही समझ सकता है जिसने इस दर्द को सहा हो, प्रभु के प्रेम में घायल हुआ होमेरा हृदय तो इस आग को भी संजोये हुए हैरतनों को तो एक जौहरी ही परख सकता है, जिसने प्रेम की पीडा रूपी यह अमूल्य रत्न ही खो दिया हो वह क्या जानेगाअब मीरा की पीडा तो तभी मिटेगी अगर साँवरे श्री कृष्ण ही वैद्य बन कर चले आएं
 

- मनीषा कुलश्रेष्ठ
  जून 21, 2001

मीरां का भक्ति विभोर काव्य
123   


कहाँ कबीर कहाँ हम
अमीर खुसरो - जीवन कथा और कविताएं
जो कलि नाम कबीर न होते...’ जिज्ञासाएं और समस्याएं

कबीरः एक समाजसुधारक कवि
कबीर की भक्ति
नानक बाणी
भक्तिकालीन काव्य में होली
भ्रमर गीतः सूरदास
मन वारिधि की महामीन - मीरांबाई
मीरां का भक्ति विभोर काव्य
मैं कैसे निकसूं मोहन खेलै फाग
रसखान के कृष्ण
रामायण की प्रासंगिकता

सीतायाश्चरितं महत

सूर और वात्सल्य रस
विश्व की प्रथम रामलीला
 

Top  
 

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com