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क्लोनिंग: मानव की अन्वेषण क्षमता और प्रकृति(ईश्वर) के रहस्यों के बीच संघर्ष तभी शुरू हो गया था जब से इस धरती पर मानव का पदार्पण हुआ। एक के बाद एक मानव ने प्रकृति पर विजय पायी। मानव व्यक्त में अव्यक्त का विश्लेषण करते हुए आज यहां तक पहुंचा है। क्लोनिंग इसी विजय की अनोखी मिसाल है। जीवन और मृत्यु दोनों ही मनुष्य के लिए एक रहस्य है। पर क्लोनिंग की सफलता ने यह आशा की किरण जगाई है कि अब मानव जीवन की क्षणभंगुरता समाप्त हो जाएगी। अब हम अपने संतान या मृत्यु को प्राप्त हो चुके परिजनों को एक बार फिर अपने सामने बच्चे के रूप में में देख सकेंगे। यानी मानव जीवन के सुख दुख के उतार चढाव में एक नया मोड आ जाएगा। अपने अति प्रिय के मृत्यु पर भी शोक संतप्त मनुष्य को सांत्वना देने के लिए क्लोनिंग वास्तविक सहानुभूति के साथ खडा मिलेगा। अब मानव अधीर होकर नहीं रोएगा। सदा के लिए अपनों के बिछुड ज़ाने का एक अंतहीन विषाद वाली बेचैनी मानव के व्यथित मन को अब नहीं तडपाएगी। 5 जुलाई 1996 को जैनेटिक वैज्ञानिक इयान विल्मुट के अथक प्रयासों ने रंग लाया और डॉली नामक प्रथम क्लोन भेड क़ा जन्म हुआ। हालांकि अन्य भेडों की तरह डॉली भी शक्ल सूरत में एक भेड ही थी पर क्लोनिंग का सफल परिणाम होने की वजह से यह विशिष्ट थी। डॉली जैनेटिक इंजिनियरिंग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपलब्धि थी। डॉली एक ऐसी चिराग थी जिसके मध्दिम प्रकाश ने कई संभावनाओं को जन्म दिया। उसमें एक संभावना यह भी थी कि अगर डॉली संभव है तो क्लोन मानव क्यों नहीं? इसी सोच ने इन वैज्ञानिकों को एक दिशा दी और शुरू हो गया एक और अभियान मनुष्य का प्रकृति के रहस्यों पर विजय का। तकनीकी तौर पर मानव क्लोनिंग की प्रक्रिया भी डॉली के जन्म में लायी गयी प्रक्रिया के समान ही होगी। उसी के तरह वैज्ञानिक सोमेटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक अपनाएंगे। इसके तहत डॉक्टर डोनर के अण्डाणु को लेकर उसका न्यूक्लियस हटा देंगे। फिर जिसका क्लोन तैयार करना है उसकी एक डी एन ए युक्त कोशिका लेंगे। तत्पश्चात न्यूक्लियस रहित अण्डाणु को विद्युत की मदद से कोशिका में विलय करा दिया जाएगा। इसके बाद जो भ्रूण विकसित होगा उसे आई वी एफ के जरिए सरोगेट मदर यानी किराए के कोख में पहुंचा दिया जाएगा। अगर प्रक्रिया सफल रही तो निर्धारित गर्भावस्था के पश्चात वह महिला क्लोन बच्चे को जन्म देगी। मान लिया जाए कि किसी 35 वर्षीय युवक का किन्हीं वजहों से हम मानव क्लोन तैयार करते हैं तो जन्म लेने वाला 35 वर्षीय युवक न होकर शिशु ही होगा। परन्तु उस शिशु में 35 वर्षीय युवक के वंशानुगत गुण मौजूद होंगे। यानी 35 वर्षीय युवक का क्लोन उसी के गुणों वाला एक शिशु के रूप में हमारे सामने होगा। इस प्रकार क्लोनिंग की यह प्रक्रिया नि:संतानों तथा उनके लिए जिनके प्रियजन मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं काफी हद तद मददगार होगी। साथ ही हम तत्कालिक बुध्दिजीवियों, महानराष्ट्रनायकों आदि के क्लोन तैयार कर सकते हैं। इस सफलता से यह बात तो अवश्य तय है कि इसके विशिष्ट लाभ हैं। नि:सन्तान दंपत्ति अपने वंशानुगत गुणों वाले बच्चे के मां बाप बन सकते हैं। अगर मानव क्लोनिंग शुरू हो गयी तो संभव है कि अभिभावक अपने नाकारात्मक वंशानुगत गुणों को डी एन ए से हटाकर किसी अन्य के सकारात्मक गुण वाले बच्चे को जन्म देना उचित समझें। अगर ऐसा हुआ तो डिजायनर बच्चों की दुकान सी मिलेगी और हम अन्य सामानों की तरह डिजायनर बच्चों की खरीद फरोख्त भी अपनी इच्छा के अनुरूप कर सकते हैं। यही नहीं यह भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि क्लोन बच्चों को व्यक्ति विशेष की तरह न देखकर उन्हें उस शख्स के समकक्ष देखा जाएगा जिसके डी एन ए गुण उसमें होंगे। इसका मनोवैज्ञानिक पहलू यह है कि क्लोन बच्चा डोनर पर्सनालिटी का होगा, लेकिन फिर भी उस पर अपने आस पास के सामजिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक व सांस्कृतिक माहौल का प्रभाव पडेग़ा। इस प्रकार क्लोन के संदर्भ में हम सिर्फ वंशानुगत गुणों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर सकते हैं, न ही मनो-सामाजिक प्रभाव को नजरअंदाज कर सकते हैं। जब शिशु क्लोन अपनी पूर्ण तरूणाई पर होगा तो उसकी अपनी अलग विशिष्टता होगी। अगर डोनर 30 वर्ष का युवा है तो उसका क्लोन शिशु उसके 30 वर्ष के संजोए आनुवंशिक गुणों का वाहक होगा। तब यह निश्चित है कि क्लोन 30 से आगे की जिन्दगी जी रहा होगा। मानव क्लोन पर एक साथ कई विज्ञानी दल काम में लगे हुए हैं। दो विज्ञानियों डा जावोस और एण्टीनोरी का दावा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो दुनिया का पहला मानव क्लोन दिसम्बर में जन्म ले लेगा। मानव क्लोनिंग के क्षेत्र में रेयल डिग्स का नाम काफी चर्चित है। रेयल डिग्स ने प्रथम क्लोनिंग की सफल परिणाम डॉली के जन्म के बाद मानव क्लोनिंग के लिए क्लोनेड नामक विश्व की पहली कंपनी स्थापित की थी। रेयल डीग्स के द्वारा गठित की गयी इस कम्पनी के बिशप और क्लोनिंग से जुडी योजनाओं के प्रमुख कर्ताधर्ता डा ब्रिगेट बॉयसेलियर ने गुप्त स्थानों पर प्रयोगशालाएं स्थापित कर मानव क्लोनिंग के संदर्भ में शोध कार्य शुरू कर दिए हैं। उनके अनुसार सैकडों लोग क्लोन तैयार करवाने के लिए आ रहे हैं। पर वे अपने पहले क्लोन के जन्म की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एक अमेरिकी दंपत्ति ने पिछले वर्ष अपने बच्चे का क्लोन तैयार करने के लिए क्लोनेड के वैज्ञानिकों से आग्रह किया। उन्होंने अपने दस माह के बच्चे की त्वचा की कोशिकाएं इस कम्पनी को सौंपीं। यह बच्चा हार्ट सर्जरी के दौरान मर गया था। क्लोनेड के वैज्ञानिकों के लिए यह खुशी का क्षण था। उन्होंने इस पर कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इस अमेरिकी दंपत्ति ने 500,000 अमेरिकी डॉलर दिए हैं। इस कम्पनी के सारे वैज्ञानिक पूर्ण प्रशिक्षित बॉयोलॉजिस्ट और फिजिशियन हैं। रेयल डीग्स के अनुसार क्लोन बच्चे के विकास में कोई परेशानी नहीं होगी। अगर भ्रूण जीवन योग्य नहीं हुआ तो इम्प्लांटेशन के कुछ ही दिन बाद गर्भपात हो जाएगा। जैसा कि आई वी एफ के मामले में होता है। उनके अनुसार तीस से चालीस फीसदी आई वी एफ के मामलों में गर्भपात की दर 60 से 70 फीसदी होती है। आज के उपलब्ध तकनीकों व संसाधनों के आधार पर मानव क्लोन तैयार करने में सफलता की उम्मीद 15 फीसदी है। इनविट्रो फर्टिलाइजेशन की बदौलत मानव जनन के बारे में रेयल डीग्स पूर्णतया आशान्वित हैं। उनकी कल्पना के अनुसार सन 2020 तक की दुनिया मानव प्रयास से रचित एक अनोखी दुनिया होगी। उनकी कल्पना के कुछ अंश इस प्रकार हैं : ''हर रोज क्लोनिंग के जरिए सैकडों बच्चे जन्म ले रहे होंगे। वह दृश्य काफी कुछ वैसा होगा जैसा आज आई वी एफ ने कर दिया है। नैनोटक्नोलॉजी का दौर होगा। नैनोरोबोटस सारे काम देख रहे होंगे जबकि मानव पूरी तरह से जिंदगी का लुत्फ ले रहा होगा। जैनेटिक्स की मदद से हरएक रोग का उपचार संभव हो सकेगा। स्कूलों का अस्तित्व समाप्त हो चुका होगा। मानव मस्तिष्क सीधे शिक्षा डाउनलोड करने में सक्षम होंगे। हर एक सनातन जीवन जी रहा होगा।'' इसी वर्ष जनवरी माह में केंटकी विश्वविद्यालय के डा जावोस और इतालवी शोधकर्ता व प्रजनन विशेषज्ञ सेवेरिनो एण्टीनोरी के नेतृत्व वाले वैज्ञानिकों के एक दल ने यह दावा किया है कि वे दुनिया के पहले मानव क्लोन को जन्म देंगे। इस प्रकार कई वैज्ञानिकों के अलग अलग दलों में होड मची हुयी है कि कौन विश्व के सबसे पहले मानव क्लोन को इस धरती पर अस्तित्व में लाएगा। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि क्लोनेड के डिग्स का क्लोन दिसम्बर माह में जन्म लेगा। मानव क्लोन अगर अस्तित्व में आ गया तो वास्तव में मनुष्य का प्रकृति के रहस्यों पर विजय का यह अभियान सफल हो जाएगा। यह अलग बात है कि क्लोनों की दुनिया वाली मानव रचित इस नयी सृष्टि को खुद मानव कितनी वैधता प्रदान करेगा, यह बहस का मुद्दा हो सकता है।
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सुधांशु सिन्हा हेमन्त |
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