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चाय की चाह   

    चाय का नाम सुनकर मुंह में पानी आ जाता है। ऐसी क्या वजह है कि चाय को बार-बार पीने का मन करता है ? चाय में कैफीन होता है जो कि मस्तिष्क की उन क्रियाओं को जाग्रत करता है, जो उत्तोजना व जो से सम्बन्ध रखता है।

चाय में उपस्थित कैफीन अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर मन की इच्छा
को बार-बार जाग्रत करता है
, इसलिये चाय की तलब होती है। चाय में दूसरा
तत्व
'टेनिन' पाया जाता है जो कि चाय की खुबू के लिए जिम्मेदार होता
है। टेनिन की
खुशबू प्रमस्तिष्क की कोशिकाओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस कारण चाय की खुशबू भी चाय पीने की तलब को और बढ़ा देती है।

(सभी प्रतिशत में)   टेनिन   कैफिन   प्रोर्टिन    फाइबर   स्टार्च   लवण   वाष्पशील तैल

हरी चाय    22. 2          4. 3           17 .2          27. 0         0. 5            -    28. 0 प्रतिशत

सूखी चाय   40. 0          2. 0           13 .0          35. 0         0. 5         5. 6          3. 9 प्रतिशत

व्यसन के रूप में चाय का इस्तेमाल मानव-रीर को नुकसान पहुंचा
सकता है। दिन में कई-कई बार चाय पीना नुकसान देय साबित हुआ है। चाय
का औ
धि की तरह प्रयोग करने पर चाय दवा है अन्यथा चाय एक नशा है।

चाय के बनाने के तरीके पर भी चाय के फायदे-नुकसान का भी प्रभाव
पड़ता है। चाय को जितनी बार उबाला जाता है
, चाय का नुकसानदेय प्रभाव
बढ़ता जाता है। यदि चाय पत्ती को गरम पानी में घोलकर पीया जाए तो
प्रभाव कम नुकसानदायक साबित होता है।

चाय को बार-बार उबालकर पीना, भोजन के बाद लेना, बिल्कुल खाली
पेट लेना सर्वथा गलत है।
रीर में उपस्थित लौह लवण का अवशोषण चाय
द्वारा होता है
, फलस्वरूप षरीर में लौह तत्व की कमी आ जाती है और
व्यक्ति एनिमिक होता जाता है। अत: चाय का औ
धिय प्रयोग तो बेहतर है
परन्तु चाय का अधिक व नियमित प्रयोग गलत ही है।
 

फायदे

1. चाय स्फूर्ती व जोश जगाती है।   
2. चाय द्वारा मूत्र व पसीने का निर्माण अधिक होने की वजह से शरीर से  
व्यर्थ पदार्थों का उत्सर्जन बढ़ता है।
3. चाय का हल्का सेवन रक्त नलिकाओं में जमा हुई वसा व कौलेस्ट्राल
की मात्रा को कम करता है।   
4. चाय मस्तिश्क कोषिकाओं को उत्तेजित कर सोचने समझने की शक्ति
बढ़ाती है।  
5. चाय सैक्स इच्छा को जाग्रत कर विपरीत लिंग के प्रति सैक्स समय को
बढ़ाती है।    
6.चाय त्वचा में मेलानिन की पूर्ति कर  त्वचा के रंग में सहायता करता है।
 

नुकसान

1. बार-बार चाय अनिद्रा की शिकायतपैदा करती है।
2. चाय का लगातार सेवन रक्ताल्पता, कब्ज व पाचनक्रिया को मन्द करता है।
3. चाय की अधिकता नसों को कड़क व हड्ड़ी को भंगुर बनाती है फलस्वरूप
जोड़ों में दर्द, कैल्शियम की कमी व त्वचा रूखी हो जाती  है।
4. चाय का नियमित प्रयोग स्मरणशक्ति व एकाग्रता में कमी लाता है।
5. चाय का अधिक सेवन क्रोमोसोम्स के भटकाव के लिये जिम्मेदार होता है। फलस्वरूप कैंसर, अल्सर, डिप्रेशन, नपुसंकता आदि रोग हो सकते हैं।
6. चाय का अधिक सेवन त्वचा को रूखा, निस्तेज व झुर्रियां देता है।

 Dr. VIRENDRA AGARWAL 
(Naturopathy Physician)
       Swasthya Mandir (Naturopathy Center)
                                                E-164, Ranjeet Nagar,  Bharatpur, Rajasthan (India)

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