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लोग मुझे
गायिका माने यही मेरे लिए आपकी शास्त्रीय संगीत में रुचि कब और कैसे पैदा हुई? संगीत को लेकर मेरा प्रेम खानदानी है। मेरे माता-पिता इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी पढ़ाते थे, उनकी रंगमंच और संगीत में गहरी रु चि थी। उन्ही की वजह से मुझे घर में ही संगीत सीखने का मौका मिला।
इलाहाबाद में तो बड़े-बड़े संगीतकार और साहित्यकार रहते हैं,
बचपन में क्या किसी से मिलने का मौका मिला? क्या आपको लगता था कि आप कभी ललित कला जाकर संगीत सीखेंगी? यह नहीं सोचा था कि कभी गाना गाना सीखूंगी और कलाकार बन पाऊंगी। घर में हमेशा यह बताया गया कि कविता और संगीत को समझने की कोशिश करनी चाहिए। जब मैं संगीत सीख रही थी, तो मुझसे कभी नहीं कहा गया कि कलाकार ही बनना है। अगर उस समय वायस ऑफ इंडिया और इंडियन आइडल जैसे रियलिटी शोज होते तो आप जरूर जीत जातीं। क्या आप इससे सहमत हैं? मुझे लगत है कि उस समय अगर ऐसे रियलिटी शोज होते तो मुझे घर में बैठा दिया जाता और मैं कभी संगीत न सीख पाती। एक जमाने में हर घर में लड़कियों को संगीत सिखाया जाता था पर आज युवक भारतीय संगीत सीखने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। आपकी क्या राय है? ये सही है कि संगीत को लेकर पहले जैसी श्रद्धा अब नहीं देखने को मिलती है। हमारे संगीत का प्रतिनिधि सिर्फ फिल्मी संगीत नहीं है। हमारे यहां शास्त्रीय, लोक, धार्मिक और जनजातीय संगीत भी है। आज हमारे संगीत की विविधता का गला घोंटा जा रहा है। रीमिक्स ट्रेंड के बारे में आपकी क्या राय है? रीमिक्स संगीत मेरी समझ से परे है। आपको सूफी संगीत का भी शौक रहा है? मैं सूफी गाने सुनती हूं, पर मैंने कोई तालीम नहीं ली है। कोई फेवरेट सूफी गाना? रब्बी शेरगिल का 'बुल्ला की जाणा'। जब लोग आपको पॉप स्टार कहते हैं, तो आपको कैसा लगता है? लोग मुझे गायिका माने यही मेरे लिए बहुत है। 7 दिसम्बर 2007 इंडो-एशियन न्यूज सर्विस |
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