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भुट्टो परिवार की निजी संपत्ति है पीपीपी पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की लोकतंत्र के नाम पर शहादत को श्रध्दांजलि दी जा रही है। अब जब उन्हें श्रध्दांजलि देने का सिलसिला थमने लगा है, जरूरत है कि कुछ सच्चाइयों का सामना करने की। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की आजीवन अध्यक्ष रहीं बेनजीर अपने उत्तराधिकारी के तौर पर अपने पति आसिफ अली सरदारी का नाम बाकायदा अपनी वसीयत में लिख कर गई हैं। लेकिन, जरदारी ने मखदूम अमीन फहीम को सह- अध्यक्ष के तौर पर प्रस्तावित किया। दोनों ने मिलकर बेनजीर-जरदारी के बेटे 19 वर्षीय बिलावल को पार्टी प्रमुख चुन लिया। पीपीपी भुट्टो परिवार के लिए बढ़िया राजनीतिक संपत्ति साबित हुई है। जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी बेटी बेनजीर की ताजपोशी की पृष्ठभूमि बनाई थी और अब बेनजीर के किशोर बेटे को इसकी कमान संभालने का मौका मिला है। इस उथल-पुथल के बीच किसी को भी यह जानने की फुरसत नहीं रही कि एक ओर पाकिस्तान में लोकतंत्र की वकालत कर रही बेनजीर भुट्टो ने अपनी पार्टी को अपनी विरासत कैसे मान लिया। यदि एक किशोर की पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दल को नेतृत्व प्रदान करने की योग्यता के सवाल को दरकिनार भी कर दिया जाए तो भी एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि देश में किस तरह के लोकतंत्र की स्थापना की उम्मीद ऐसे में की जा सकती है। मयंक छाया 1 जनवरी 2008 इंडो-एशियन न्यूज सर्विस |
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