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पैगामे मुहब्बत लाए हैं वही लेकर जाएंगे

पाकिस्तान के गवर्नमेट कॉलेज विश्वविद्यालय (जी.सी.यू) से 22 छात्रों व शिक्षकों का एक नाटय दल  मुहब्बत का पैगाम लेकर दिल्ली आया हुआ है। फिलहाल यह दल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध को मजबूत करने में लगा है और दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में नाटक का मंचन कर रहा है। इससे विश्वविद्यालय परिसर की फिजा बदली हुई नजर आ रही है।

गुरुवार को हिन्दू कॉलेज में इन छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया जहां इन्होंने रूहानी रिश्ते पर आधारित 'अमरबेला' और 'बहन भाई' नाटक का मंचन किया। 'जी.सी.यू' से आए अधिकतर छात्र  पहली बार भारत आए हैं। अबुबकर अल्वी ने कहा, ''मैं बेहद रोमांचित हूं। यहां आने से पहले जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा अच्छा महसूस कर रहा हूं। पहले पुरानी दिल्ली से जुड़ी कहानियां सुना करता था। आज उसे करीब से देखने का मौका मिल रहा है।''

आईएएनएस से बातचीत के दौरान  लाहौर के 'जी. सी.विश्वविद्यालय' के अधिकारी  डा.फरहान इबादत यार खान ने कहा, ''भारत आने पर बड़ी खुशी मिलती है। दोनों मुल्कों के बीच मजहबी अंतर जरूर है लेकिन वह हमारे बीच एक पुल के समान है। हमें इसकी खूबियों का फायदा उठाना चाहिए। यहां आकर ऐसा महसूस करता हूं कि दोनों देशों की आवाम मिलना चाहती है। ''

उन्होंने कहा,  ''हम लोग अपने मुल्क से मुहब्बत का पैगाम लेकर आए हैं और यही लेकर जाएंगे। अब वह जहां तक पहुंचे।''

दिल्ली विश्वविद्यालय की सांस्कृकित गतिविधियों से जुड़ी अधिकारी डा. सुचित्रा गुप्ता ने कहा, ''मेरी आरजू है कि दोनों देशों के छात्रों के बीच मुलाकात का यह सिलसिला हमेशा कायम रहे।'' हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक अभय रंजन ने कहा, ''अभी पाकिस्तान के राजनैतिक हालात अच्छे नहीं हैं फिर भी ऐसी गतिविधियां चल रही हैं। लोग आ जा रहे हैं।  इससे एसे मालूम पड़ता है कि वहां भी कोई ऐसी शक्ति है जो सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहती है। यह बेहतर भविष्य की उम्मीद पैदा करता है।'' दरअसल सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिए दोनों देशों के  छात्रों के बीच आने जाने का रिवाज पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है। इन्हें यकीन हो चला है कि अब फिजा बदलेगी। क्योंकि ''लंबी है गम की शाम मगर, शाम ही तो है।''

30  नवंबर 2007

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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