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कोख का किराया दूसरा पन्ना फोन जया ने उठाया था। "जया, मैं मैनी।" जया के कान कुछ सुनने को बेचैन हो रहे थे। उसने जानबूझ कर इतने दिन मैनी को फोन नहीं किया था ताकि मैनी को सोच-विचार करने का समय मिल जाए।
''हाँ
जी, क्या हो रहा
है? बच्चों के
क्या हाल हैं?
कुछ पलों के लिये सोच में डूब गई जया, ठीक है तुम दोनों अकेले में बातें कर लेना। वैसे भी मुझे रिहर्सल के सिलसिले में जाना था, आने में देर भी हो सकती है। आज मैनी ने अपनी सबसे प्रिय ड्रेस पहनी है। बाल भी विशेष रूप से पर्म करवाए हैं और चश्मे के स्थान पर कॉनटेक्ट लैन्स लगाए हैं। ईमान डिगाने का पूरा प्रयत्न किया है मैनी ने।
'' नहीं मैनी यह
संभव नहीं है। जो तुम कह रही हो वह ठीक नहीं, फिर
गैरी मेरा दोस्त है। उससे छिप कर यह करना मॉरली गलत होगा। मैंने जब से
जया के साथ विवाह किया है मेरे कदम नहीं डगमगाए। तुम बहुत सुन्दर हो, कोई
भी इन्सान तुम्हारे शरीर को पाकर गर्व का अहसास करेगा। पर यहां हालात
एकदम अलग हैं। स्टार, सन, र्स्पोट्स और डेली मिरर जैसे समाचारपत्र तो डेविड की एक भिन्न प्रकार की छवि दुनिया भर को दिखाते हैं। यह असली डेविड उस छवि से कितना अलग है। समाचारपत्र तो डेविड को कामदेव की तरह प्रस्तुत करते हैं - कभी किसी लडक़ी को चूमते हुए, तो कहीं अपना नग्न वक्ष दिखाते हुए, कभी लडक़ियों से घिरे हुए, कभी जया के वक्ष पर अपनी हथेलियां रखे। मैनी इस गोरखधन्धे को समझ नहीं पा रही है। यदि डेविड अपनी पत्नी के प्रति इतनी निष्ठा रखता है तो जब बच्चा हो जाएगा तो किस प्रकार का पिता बनेगा? जमाने से एकदम अलग। मैनी सोच रही थी कि वह डेविड को उसकी अनुपस्थिति में जी भर कर कोसेगी, किन्तु उसका हृदय इतनी शक्ति बटोर पाने में असफल हो गया। उसे डेविड पर और अधिक प्यार आने लगा। लगता है मैनी जैसे कोई निर्णय ले चुकी है।
'' तुम्हारा
दिमाग तो नहीं खराब हो गया? तुमने
यह बात सोची भी कैसे?
हैल!नर्क क्या इसी को कहते हैं? पति और बच्चे छोड ज़ाएं, सभी नाते रिश्तेदार किनारा कर लें और इन्सान अंधेरे बंद कमरे में अपने अस्तित्व से डरता रहे। यही तो है नर्क की वह आग जिसकी तपिश तो महसूस की जा सकती है पर जो दिखाई नहीं देती। आज उसे हर आंख यही प्रश्न करती दिखाई देती है कि तुम यह क्या कर बैठीं। गैरी तो कह ही रहा था कि तुम अभी तक जीवन की विषमताओं को समझ नहीं पा रही हो। जब सच्चाई सामने आएगी तभी तुम्हें मालूम होगा कि क्या कहाँ खो गया।
'' सच तो यह है
मैनी, कि हर समय
कुछ ऐसा अहसास होता रहता है कि कुछ न कुछ, कहीं
न कहीं खो गया है। एक विचित्र सी कमी महसूस होती रहती है। मैं भी चाहती
हूँ कि हमारे घर में भी एक छोटे बच्चे की किलकारियों की आवाज ग़ूंजे। मगर
क्या करें। प्राइवेट नर्सिंग होम! आज तो लगता है पागलखाने में भरती होना पडेग़ा। कितनी जल्दी सब बदल जाता है। एक अनुभूति मात्र के लिये मैनी ने क्या-क्या खो दिया। सरोगेट माँ बनने के चक्कर में, न वह मां रह पाई और न ही पत्नी। बस सरोगेट ही रह गई। गैरी के बार-बार मना करने के बावजूद भी तो वह नहीं मानी थी। कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र पहुंच ही गई। डेविड के वीर्य और मैनी के गर्भाशय व ओवरी की कई बार जांच हुई। ओव्यूलेशन के सही समय की प्रतीक्षा थी। गैरी असहाय दर्शक बन कर देख रहा था, उसे शिकायत भी थी और आक्रोश भी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मैनी को अपने आपको इस समस्या में उलझाने की क्या आवश्यकता थी? और वह पल आया ही चाहता था जिसकी मैनी को बेसब्री से प्रतीक्षा थी।
'' मैनी, तुम
एक बार फिर सोच लो। अभी भी कुछ नहीं बिगडा है। कहीं ऐसा न हो कि डेविड और
जया को खुशी देते-देते तुम्हारे अपने जीवन में खुशियां हमेशा के लिये
गायब हो जाएं।'' किन्तु मैनी कहाँ मानने वाली है। वह तो एक स्वछंद हवा में उडने वाला पक्षी है। आम मनुष्य के नियम उसे कहाँ बांध कर रख सकते हैं। आम गोरे पुरुषों की तरह गैरी गालियां नहीं देता। यदि वह दे पाता तो आज मैनी को गालियों से नवाज देता। वह आज तक मैनी के माता-पिता से नहीं मिला। उन्होंने मैनी के प्रेम-विवाह के बाद से उन्हें अपने जीवन से निकाल बाहर किया है। मन में आया कि उसके पिता से बात करे, किन्तु आज गैरी अपने ही विचारों से संघर्ष करता हुआ रेलगाडी चलाए जा रहा है। सिग्नल का रंग लाल है या हराउसे ठीक से सुझाई नहीं दे रहा। बेवन के शब्द उसके दिमाग में बार-बार बज रहे हैं - यदि तुम्हारी मानसिक स्थिति ठीक नहीं तो काम पर मत जाओ। जरा सी सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।और वही हुआ भी। गनर्सबरी से साउथ एक्टन के बीच के लाल सिग्नल को नहीं देख पाया और स्पैड हो गया, यानि कि सिग्नल पास्ड एट डेन्जर। उसके सात साल की बेदाग ड्राइवरी में एक लाल निशान लग गया। अब साली इन्क्वायरी होगी। किसी को क्या मालूम कि गैरी का सारा जीवन ही लाल बत्ती पर आकर ठहर गया है। मैनी को गर्भ ठहर गया है। वह प्रसन्न हैडेविड खुश हैऔर जया की भावनाओं को तो व्यक्त करने के लिये किसी भी भाषा के शब्दों में सार्मथ्य नहीं है। उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिये तो कोई नई शब्दावली बनानी होगी, नए मुहावरे गढने होंगे। मैनी के माध्यम से वह स्वयं गर्भवती हो गई है। और मैनी! अभी तो केवल यह तय हुआ है कि वह गर्भवती है और उसे अपने भीतर चलता-फिरता डेविड महसूस होने लगा है। '' यदि मैं डेविड के साथ संसर्ग कर भी लेती तो भी अन्तत: होना तो यही थामुझे उसके बच्चे की माँ ही तो बनना था और वह चुम्बन जो डेविड ने मेरे होंठों पर अंकित कर दिया था। क्या आज की स्थिति में मैं उसे ब्लैक-मेल कर सकती हूँ? क्या उसे मजबूर कर सकती हूँ कि वह मुझसे शारीरिक सम्बंध बनाए? आज तो उसकी सारी आशाएं मुझ पर आ टिकी हैं परन्तु डॉक्टर ने तो उसके सामने ही कहा है कि मैं अगले तीन महीनों तक सेक्स से दूर ही रहूँअन्यथा गर्भपात हो सकता है।मैं तो गैरी की बांहों में भी डेविड की कल्पना कर लेती हूँ। डेविड का प्रिय कोलोन 'कूल वाटर ही गैरी के लिये भी खरीदने लगी हूँ। दोनों के शरीर से एक सी गन्ध आने लगी है। किन्तु फुटबॉल के मैदान में खेल समाप्ति के पश्चात उसके पसीने की गंध तो मुझे दीवाना बना देती है। क्या डेविड मुझे एक गहरा चुम्बन भी नहीं दे सकता? '' आज खाना नहीं बनाया क्या? गैरी की आवाज उसे विचारों की दुनिया से खींच कर ठोस सच्चाई के धरातल पर ला पटकती है। वह अपने विचारों में ऐसी खोई हुई थी कि भोजन तैयार करने का तो ख्याल ही नहीं आया।
'' गैरी
डार्लिंग, मेरी
तबियत आज थोडी ढ़ीली लग रही है। पिजा हट से पिजा मंगवा लो न। बच्चों
को भी चेन्ज हो जाएगा। अब तो यह कलह हर रोज घर में होनी है। किन्तु मैनी को अभी भी कहीं अपराध-बोध नहीं होता है। वह समझ नहीं पा रही कि आखिर उसका पति इतनी छोटी सी बात पर इतना परेशान क्यों हो रहा है। फिर हर दोपहर जब जया पहुंच जाती है, उसका हाल जानने, तो एक बार फिर वह अपने निर्णय पर अडिग सी खडी हो जाती है। आजकल जया उसका बहुत खयाल रखने लगी है। मैनी क्या खाएगी, क्या पहनेगी, कब सोएगी, कब जागेगी सभी कुछ तो वह तय करती है। जया मैनी के लिये मदरकेयर से ढीले गाउन ले आई है, मैनी के कमरे में सुन्दर से बालक का चित्र टांग दिया है। डेविड भी कभी-कभी फोन कर मैनी का हाल पूछने लगा है। हैरान हो रहे हैं कार्ल और रीटा! कार्ल और रीटा सहमे रहते हैं। उनके डैडी-मम्मी के बीच चलती तकरार पूरे घर को तनावग्रस्त बनाए रखती है। वे हैरान हैं, परेशान हैं।यह सब क्या हो रहा है, दिमाग छोटे हैं, समस्याएं बडी हैं समझ आएं भी तो कैसे? वे दोनों जानने को बेचैन हैं कि उनके माता-पिता को अचानक हुआ क्या है? मां अचानक बीमार क्यों रहने लगी है, और वो पिता जो मां के छींकने भर से उसके लिये दवाइयां लाने को बेचैन हो उठता था, अचानक उनकी बीमार मां को डांटने क्यों लगा है?मां तो अस्पताल के चक्कर लगा रही है, फिर भी पिता इतना निष्ठुर और कठोर व्यवहार कर रहा है। और मां को अस्पताल ले जाने के लिये विशेष तौर जया आंटी लेने आने लगी हैं। |
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