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ठठरी   दूसरा पन्ना

साहब लोगे के पास और भी बहुत काम रहताअधिक महत्वपूर्ण काम उनकी प्रतीक्षा कर रहे होतेवे व्यस्त अफसर थे उन्हे और दूसरी सडक़ों का दौरा करना होताकई बार तो मौसम ही खराब रहता और तब तो ऐसी बीहड सडक़ के दौरे पर सवाल ही पैदा नहीं होतादो दिन रहने के बाद अफसर प्रसन्न और संतुष्ट लौट जातेमौसमी फल, शहद, घी और ऊनी दान तथा थुलमे वह साहब लोगो के लिए बांध देता था

ठेकेदारों से भी वह अपने उसूलो के अनुसार है व्यवहार करतावह उनसे भी बेइमानी नहीं करताकिसी छोटे ठेकेदार पर अगर एक सौ पांच रुपये पांच आने कमीशन बनता और ठेकेदार एक सौ पांच उसे देता तो वह नम्रता से कहता,''न भईया, पांच आने पहले एक सौ पांच बाद मेंयह तो सरकारी मामला है हिसाब ऊपर तक भेजना पडता है''
वह कहता, '' हमें बनिए की तरह कम मुनाफे पर अधिक काम करना चाहिए
'' अफसरों को खुश रहने के कारण उस पर हमेशा सबसे अच्छा और सबसे ज्यादा काम रहता है जिससे उसे स्बसे ज्यादा आमदानी होती जिसका अधिक भाग वह अफसरों पर खर्च कर देता

मुनसियारी मे उसे पांच वर्ष हो गए थे एक दिन अचानक उसका तबादला मेरठ हो गयाउसे आदेश दिया गया कि वह अपना सारा चार्ज श्री सामंत को देकर एक सप्ताह मे अवमुक्त हो जाए और नए स्थान पर ज्वाइन कर लेवह उन सभी अफसरों के पास दौडा जो कभी उसे बहुत मानते थेउसे भरोसा था कि वह अवश्य उसे लिए कुछ करेंगेपर उन्होने साफ जवाब दे दियाउन्होने कहा कि एक सप्ताह के अन्दर लखनऊ चीफ इंजीनियर से अगर वह अपने रुकने के आदेश ले आए तभी कुछ हो पाएगापर इसके लिए भी अफसरान तबादले के दौरान स्वीकृत न करने के नियम के तहत उसे छुट्टी देने को तैयार नहीं थेउसे बुरा लगा, पर अपनी आदत के अनुसार वह कुछ नहीं कर पायामन मसोस कर रह गया उधर सामंत ने भी उच्चाधिकारियों को तर कर रखा थाइसके साथ ही अफसरों को भी इस तरह सूचनाएं मिल रही थी कि उसने अपने कामों मे बडा गोलमाल किया है जिसका पूरा हिस्सा अफसरों को नहीं मिला है
बहरहाल, उसने बडी क़ोशिश की पर कुछ नहीं हो सका और फिर जब उसने सारी स्थिति पर नए सिरे से गहराई से विचार किया तो उसे तबादला भी ऐसा कोई खास बुरा नहीं लगा
क्योंकि इससे एक तो वह अपने घर के पास पहुंच जायेगा जहां से वह अपना घर द्वार देख सकेगादूसरे उसने सोचा कि इस बार बच भी गया तो अगले वर्ष तो उसे जाना ही पडेग़ाएक बार तो फिर भी घर के पास पहुंच रहा है अगली बार जाने कहां तबादला होफिर उसने मन को समझाया कि वह तो मेहनती है, मिलनसार और आज्ञाकारी है जहां जायेगा वहीं काम करायेगा और पैसा कमायेगासामंत ने उसके साथ सभी कार्यस्थलों का दौरा कियामुनसियारी-मिलम सडक़ की हालत बहुत ही खराब निकलीउस पर भुगतान पूरा हो चुका था पर सिवाय मोडों के कहीं हाथ भी नहीं लगाया था इसी प्रकार दूसरी सडक़ों पर भी अनेक कमियां निकलीयह भी पाया गया कि सभी कार्यो में कम से कम दो लाख रुपये का गोलमाल हैसीनियर ओवरसीयरों की बैठक पिथौरागढ में बैठीसामंत ने कहा उसके पास कोई चारा नहीं है सिवाय इसके कि वह पूरे तथ्य उच्चाधिकारियों को रिर्पोट कर दे, वरना कल वह फंसेगाबीच के रास्ते के बतौर जब सामंत ने पचास हजार रुपये की मांग की तो उसने कहा,'' पैसा कहां है! जो भी मिलता था उसमें से अधिकतर तो अफसरों को चला जाता थाजो थोडा बहुत बचा था वह खर्च हो गयाबहरहाल दो घंटे की जद्दोजहद के बाद यह तय हुआकि सामंत को दस हजार रुपये देगा और सामंत जस का तस चार्र्जमेमो पर हस्ताक्षर कर देगा

रात में सोते समय उसने सोचा कि उससे बडा बेवकूफ और कौन होगा जो सोने के अंडे देने वाली मुर्गी जैसा चार्ज भी सामंत को दे और ऊपर से दस हजार रुपये भीउसने रात में ही कैम्प क्लर्क को बुलाया, पांच सौ रुपये उसके हाथ पर रखे और चार्जमेमो की एक प्रति उसे देकर रसीद प्राप्त कर ली और सुबह को अपना सामान उठा कर बिना किसी को बताए चलता बना और जाकर मेरठ में ज्वाइन कर लियाइस बात से सभी लोग सकते में आ गएकिसी को भी ख्याल तक नहीं आया कि उसके जैस निरीह और सीध साधा आदमी ऐसा कर डालेगासामंत तो बहुत बिखरा फैला एक्स्क्यूटिव इंजीनियर ने सुपरिटेन्डिग इंजीनियर को रिर्पोट किया कि वह बिना चार्ज दिये चला गया है उसे फरारा घोषित उसके विरुध्द कार्यवाही की जाएसुपरिटेन्डिग इंजीनियर ने मेरठ वाले उसके नए एक्सीक्यूटिव इंजीनियर की मार्फत उसे लिखा कि वह बताए कि बिना उचित रूप से रिलीव हुए यहां से चले जाने के लिए क्यो न उसके विरुध्द अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए?

उसने जवाब दिया कि उसे आदेश दिए गए थे कि वह एक सप्ताह के अन्दर श्री सामंत को चार्ज देकर अपने नए गतंव्य पर ज्वाइन करेजब एक सप्ताह बीत गया और श्री सामंत ने चार्ज नहीं लिया तो उसके पास उच्चाधिकारियों के आदेशों के पालन का इसके अलावा और कोई रास्ता बचा था? और केवल अधिकारियों के आदेश का पालन करने के लिए उसने चार्जमेमो कैम्प क्लर्क को देकर नए स्थान पर ज्वाइन कर लिया है

सुपरिटेन्डिग इंजीनियर ने जब उसे और सख्ती से लिखा तो उसने सुपरिन्टेंडिग इंजीनियर से पत्र व्यवहार के लिए डेढ सौ रुपये माहवार पर एक अंशकालिक वकील तय कर लियावकील की मार्फत जब पहला पत्र कानूनी भाषा में सुपरिन्टेंडिग इंजीनियर कार्यालय में पहुंचा तो बाबू लोगो के हाथों के तोते उड ग़एबडे बाबू सारे कागजात लेकर सुपरिटेन्डिग इंजीनियर के पास पहुंचे और बोले,'' अब इन पत्रों का उत्तर हम नहीं दे सकतेकिसी वकील की मदद लेना ही उचित होगा''

सुपरिटेन्डिग इंजीनियर ने भी वकील की सेवाएं लीपर हुआ कुछ नहींचार पांच पत्रों का आदान प्रदान हुआउसके बाद मामला टांय-टांय फिस्सइससे दो बातें हुई एक तो उसे अपने आप में भरोसा पैदा हुआ और उसे लगा कि अफसर भी कागज क़े शेर है और मौका पडने पर उनसे भी भिडा जा सकता हैदूसरे उसके अन्दर अफसरों के प्रति एक अवज्ञा का भाव पैदा हो गयाअंदर-अंदर वह उनसे चिढने लगावह दुखी होकर सोचता कि मैने इन अफसरों के लिए क्या नहीं कियाइनके लिए मैने दलाली तक की उन असहाय, गरीब लडक़ियों को इन भेडियों के पास पहुंचायाइनके हर इशारे पर उठता-बैठता रहा और कमा-कमा कर इनके घर भरता रहापर इन अहसान फरामोश अफसरों ने मेरे तबादले के वक्त ऐसा व्यवहार किया जैसे मुझसे काई रिश्ता ही न होफिर उसे पिता की मौत और चीफ इंजीनियर का अमानवीय व्यवहार याद आ जाताउसकी तबियत होती कि किसी अफसर का कोई मां-बाप मरे और तब उसे असहाय और दुखी देखकर वह भी मजा ले

पर इससे भी बडी बात यह हुई कि इन पत्रों के आदान प्रदान से मेरठ का एक्सीक्यूटिव इंजीनियर भी उससे शंकित रहने लगाएक्सीक्यूटिव इंजीनियर को लगा कि वह बदमाश, झगडालू और खतरनाक है जो अफसरों की अपेक्षित इज्जत नहीं करता और विभागीय मामलों में बेवजह वकीलों आदि को शामिल करके विभाग के अनुशासन की धज्जियां उडाता हैएक्सीक्यूटिव इंजीनियर ने अघोषित सजा के बतौर उसे खंडीय कार्यालय कक्ष का प्रभारी बना दिया जहां उसे मानचित्रकारों से नक्शे बनवाने होते, आगणनों और निविदाओं में दरों की चेकिंग करनी होती, बैठकों की प्रगति आख्याओं के प्रपत्र कागज थे, आमदनी का जुगाड क़म से कम और मेहनत अधिक से अधिक थीपर वह एक जिम्मेदारी की जगह थी और एक्सीक्यूटिव इंजीनियर के कार्यालय में उस जगह का महत्व था

शुरू-शुरू में उसे बडी फ़ुर्सत लगती लगता, जैसे उसे कैद कर लिया गया होसुबह दस से शाम पांच तक बंधकर बैठनापर अपने मेहनती स्वभाव के कारण हल्के-हल्के वह अपने काम में दक्ष होने लगा और उसे वहां मजा आने लगा उन कागजों के अन्दर छिपे हुए राज और धन उसे दिखाई पडने लगाचार-पांच महीने बीतते बीतते उसने एक्सीक्यूटिव इंजीनियरको पंगु बना दियाएक्सीक्यूटिव इंजीनियर को इतना चैन इससे पहले कभी नहीं मिला थाएक्सीक्यूटिव इंजीनियर के पास कागज बिल्कुल दुरुस्त और साफ सुथरे अन्दाज मे पहुंचतेदफ्तर का सारा काम समय से निपटने लगाउच्चाधिकारियों तथा दूसरे विभागों से आने वाले स्मरण पत्रों की संख्या नगण्य हो गईकार्यालय की छवि सुधरने लगी एक्सीक्यूटिव इंजीनियर उस पर निर्भर रहने लगाचाहे जैसा मुश्किल काम होता वह पूरा करके एक्सीक्यूटिव इंजीनियर की मेज पर पहुंचा देता एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को सिर खपाने की जहमत न उठानी पडती
एक असिस्टेन्ट इंजीनियर, जिसका मुख्यालय मेरठ से लगभग 20 मील दूर एक तहसील में था, एक्सीक्यूटिव इंजीनियर का बडा मुंह लगा और बडा तेज तर्रार था
उसके बारे में मशहूर था कि वह विभाग का सुल्ताना डाकू हैलोग कहते थे कि उसने अकूत धन कमाया हैसाथ ही वह कागज बनाने में भी इतना दक्ष था कि किसी भी तरह पकड में नहीं आता थाफिर वह अफसरों और ऊंचे कार्यालय के बाबुओं को भी खुश रखता थाजैसी जिसकी औकात वह आंकता वैसा उसके लिए करता

एक बार बरसात के दिनों में उस असिस्टेन्ट इंजीनियर ने तीन टेंडर एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को मंजूर करने के लिए भेजेहरेक टेन्डर की लागत लगबग दो लाख रुपये थीन्यूनतम टेन्डर की दर प्रचलित दरों से लगभग 15 प्रतिशत अधिक थीउसने ठेकेदारों से यह लिखवा कर भी संलग्न कर दिया था कि वे दरें काम करने को तैयार नहीं है उसने मिट्टी, पत्थर और पानी की अधिक ढुलाई दिखा कर उन ऊंची दरों को पुष्ट किया थाउसने लिखा था कि काम बहुत जरूरी हैसारा यातायात रुका हुआ है हर तरफ हाहाकार हैअगर टेन्डर स्वीकृत करने में देर हुई और काम शुरू न हो सका तो सडक़ो के भी कट जाने का खतरा है जिससे अगर्लबगल के कई गांव डूब सकते हैउसने लिखा कि जितनी देर होगी सडक़ो को पूर्ववत स्थिती में लाने के लिए उतना ही धन व्यय करना होगा, और विभाग की छवि धूमिल होगी से अलगअसिस्टेन्ट इंजीनियर ने प्रमाणित किया था कि मौजूदा स्थितिओं और मजदूरी तथा सामानों की दरों में अप्रत्याशित वृध्दि के कारण काम इनसे कम दरों पर करवाना सम्भव नहीं होगा

वह अब तक ऐसी भाषा के मुखौटो के पीछे छिपे असली मतंव्य को पहचानने लगा थाउसने एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को समझाया कि टेन्डरों के मंजूर करते ही सारी जिम्मेदारी उन पर आ जाएगीइसलिए फाइल में यह रिकॉर्ड तो रहना चाहिए कि उन्होने भी अपनी तरफ से दरें कम कराने की पूरी कोशिश की थीअत: उचित यह होगा कि एक बार अपने स्तर से भी असिस्टेन्ट इंजीनियर को ठेकेदारों से कम दरें कराने के लिए कहा जाएएक्सीक्यूटिव इंजीनियर सारी अन्दरूनी चीजों को समझता था और टेन्डरो को ऊंचेदरों पर ही मंजूर करना चाहता थापर उसे उसका यह सुझाव अच्छा लगा कि एक बार फिर से ठेकेदारों से लिखाकर मामले को और भी मजबूत तथा निष्कांटक कर लिया जाएवहीं हुआजब असिस्टेन्ट इंजीनियर को एक्सीक्यूटिव इंजीनियरका पत्र मिला तो उसने फौरन ठेकेदारों से फिर लिखाकर भिजवा दिया कि वे दरें कम करने को तैयार नहीं है

इस बीच उसने अपने एक विश्वस्त और उस इलाके के प्रभावी आदमी के द्वारा इस तरह अपने पास बुलाया कि असिस्टेन्ट इंजीनियरको पता न चलेतीनो ठेकेदार सीर्धेसाधे गांव में रहने वाले थेउन्हें देखकर साफ जाहिर था कि ऊंची दरों का यह सारा खेल केवल असिस्टेन्ट इंजीनियर का ही है

उसने ठेकेदारों से कहा - '' जानते हो एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को  बडा साहब  क्यों कहते है? इसलिए कि वह वाकई सबसे बडा होता हैहालांकि विभाग मे सुपरिन्टेंडिग इंजीनियर और चीफ इंजीनियर भी है पर असली ताकत  बडे साहब के पास ही हैवह क्या नही कर सकता? जहां चाहे वह ठेकेदार को फायदा और जहां चाहे नुकसान पहुंचा सकता हैउसकी इच्छा है कि दरें कम कर दोगे, उसकी सद्भावना और विश्वास जीत लोगे तो वह तुम लोगो को अपना आदमी समझेगा और जितना पैसा तुम कम करोगे उससे दोगुना निकलवा देगा तथा अन्य दूसरे काम भी तुम्हे देकर मालामाल कर देगाअगर नहीं मानोगे तो हो सकता है मजबूरी में इन्ही दरों पर वह टेन्डर मंजूर तो कर ले पर काम के दौरान तुम्हे परेशान करेगा और मटियामेट कर देगा

वे बेचारे गरीब, गंवार तैयार हो गएतीनो ठेकेदारों से एक्सीक्यूटिव इंजीनियर के नाम उससे अलग-अलग लिखवा कर ले लिया कि आपसे आपके कार्यालय में बात हुई और वे अपनी दरें 5 प्रतिशत कम करने को तैयार हो गएतीनों ठेकेदारों की अर्जियां अपने कब्जे में करने के बाद उसने ठेकेदारों से कहा कि वह अब भी पूरी कोशिश करेगा कि टेन्डर उनकी मूल दरों पर ही स्वीकृत हो जाएंपर उस सूरत में उन्हे 2 प्रतिशत यानी चार हजार प्रति टेन्डर की दर से खर्च करना पडेग़ाथोडे हीले-हवाले के बाद तीन हजार प्रति टेन्डर की दर से उसने नौ हजार रुपये इन लोगो से ले लिया और उनकी मूल दरों यानि 15 प्रतिशत अधिक पर ही हो, असिस्टेन्ट इंजीनियर की संस्तुति के आधार पर, टेन्डर एक्स्क्यूटिव इंजीनियर से स्वीकृत करवा दिया

जब असिस्टेन्ट इंजीनियर को यह सब पता चला तो वह आसमान से गिर पडाअसिस्टेन्ट इंजीनियर द्वारा दिए गए इस प्रमाणपत्र के परिपेक्ष्य में कि काम कम दरों पर कराना संभव नही हैठेकेदारों द्वारा 5 प्रतिशत दरें कम करने के लिए दिए गए प्रार्थनापत्र असिस्टेन्ट इंजीनियर के लिए घातक हो सकते थेअगर उच्चाधिकारियों या शासन को इस बात का पता चल जाता है कि असिस्टेन्ट इंजीनियर ने झूठा प्रमाणपत्र दिया था और यह कि उसके प्रमाणपत्र के बावजूद ठेकेदारों ने दरें कम कर दी थी तो असिस्टेन्ट इंजीनियर को लेने के देने पड सकते थे अत: उन प्रार्थनापत्रों का उपयोग वह असिस्टेन्ट इंजीनियर के विरूध्द न करे इसके लिए असिस्टेन्ट इंजीनियर भी उनकी जेब गरम करता था

आखिर एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को पता चलना ही थाअसिस्टेन्ट इंजीनियर ने एक दिन मौका देखकर एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को बताया कि - '' आपके हिस्से का पांच हजार प्रति टेन्डर जो प्राविधान किया गया था वह तो वह बदमाश खा गया'' उसने नमक, मिर्च मिला कर सारा किस्सा एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को बता दिया और जानबूझ कर तीन जगह पांच हजर बतााया क्योंकि असिस्टेन्ट इंजीनियर जानता था कि ऐसी बातों का खुलासा नहीं होता है

इस घटना के बाद एक्सीक्यूटिव इंजीनियर उससे फडक़ने लगे और बडे चौकन्ने रहने लगेजैसे ही उन्हें मौका मिला उन्होने उसे एक छोटी सी सडक़ का चार्ज देकर, जिस पर कोई खास काम नहीं था, असिस्टेन्ट इंजीनियर श्री सिंह के पास भेज दियाउसे अब काम की कोई चिन्ता नहीं रहतीवह अब मस्त रहतालोग अब उससे उलझने से बचतेश्री सिंह सीधे-सादे और सज्जन थेकोई खास काम उसके पास न होने के कारण भी झगडे और मनमुटाव के मुद्दे नहीं पैदा हो पातेऔर इसलिए श्री सिंह से उसके संबंध बडे मधुर हो गए थेअपनी पुरानी आदत के अनुसार और श्री सिंह की सज्जनता के कारण उसे श्री सिंह के निजी काम करना अच्छा लगतादफ्तर मे श्री सिंह की पान, चाय, सिगरेट का पैस वहीं देता उसके घर में छोटे-मोटे काम वह करवा देता उनके घर घण्टों बैठता और उनके बच्चों से खेलता
एक दिन श्री सिंह के पिता का स्वर्गवास हो गया
वह बहुत दिनों से बीमार थे, वृध्द थे और लगातार बीमारी के कारण बडे क़ृशकाय हो गए थेदफ्तर से सभी अफसर, कर्मचारी और चपरासी श्री सिंह के घर जमा हो गएजब अर्थी तैयार होने लगी तो श्री सिंह ने उसे घाट पर भेज दिया ताकि पहले पहुंच कर वह लकडी दि का प्रबन्ध करके चिता तैयार करवा लेजिससे लोगो को घाट पर अनावश्यक देर न हो

घाट पर पहुंच कर उसे अपने पिता की मौत का दृश्य याद आ गया अपना बिलखना और चीफ इंजीनियर के सामने गिडग़िडाना और चीफ इंजीनियर का उसके प्रति जानवरों जैस व्यवहारनपुंसक सुपरिन्टेंडिग इंजीनियर का बडबोलापन कि वह तबादला करवा देगाऔर चीफ इंजीनियर के आगे-पीछे उसका मक्खी की तरह भिनभिनाना और फिर मुनसियारी से तबादले के समय अफसरों की तोताचश्मीउसे उन लडक़ियों के चेहरे याद आए मुनसियारी की अवधि के दौरान जिन्हे उसने उन जालिम कामुक अफसरों के लिए पहुंचाया थाउसे अपना अकेलापन और जवानी के वे पांच साल याद आए जे उसने मुनसियारी में अफसरों की सेवा करते गुजारे थेउसे अपनी पूजा शराब और देवदार के पेड याद आए जो उन पांच सालों में उसके साथी थेउसे सरसों और गन्ने के खेत तथा सीधी सपाट सडक़ें याद आई

तरह तरह की बातें उसके दिमाग में कौंधती रही कि,तब वह उत्साही और इंसानियत से भरपूर थाअब कैसे वह परले दर्जे का धूर्त और भ्रष्ट है? समाज देश के लिए उसकी क्या उपयोगिता है? क्यों हुआ ऐसा कि जैसा सरल हृदय और सहज आज एक घुटे हुए शातिर बदमाश में बदल गया है?

एक क्षण को उसे लगा कि यह उसकी अति भावुकता है, जो वह इस बेमतलब की कश्मकश में फंस गया है, क्योंकि जो होना है वही होता है जैसे कि वह पहले विश्वास करता थापर अब उसका मन इससे संतुष्ट नहीं हुआउसे लगा कहीं कुछ गडबड है यह गणित इतना आसान नहीं है उसकी तबियत हुई कि सब कुछ उलट-पलट देजिस गंदी घिनौनी दलदल में वह फंसा है उससे निकल भागने की उसकी इच्छा होने लगीयह अंधी दौड, यह चूतिया-चक्कर उसे लगा वह इससे ऊब गया हैपर अगले ही क्षण उसे लगा कि उसका ऊबना भी झूठ है; कि उसे भी इस अंधी दौड में, घिनौनी दलदल में मजा आता है और वह इसके बगैर जी नहीं पायेगाउसे लगा कि उन रास्तों से पैसा कमाने से उसे अतुलनीय आनंद मिलता है जहां से दूसरों के लिए असंभव लगता होदूसरो को तंग करने में, उन्हे असहाय और बेबस देखने में उसे हिंसक आनंद मिलता हैजब वह दूसरों का खासतौर पर अफसरों का स्वाभिमान टूटते देखता है तो उसे बडी ख़ुशी होती है

अचानक उसके दिमाग में फिर से अपनी पिता की मौत और अपनी बेकारी के दिनो में पिता की बेचैनी याद आ गईउसके मन में अप्रत्याशित रूप से अनजाने ही अफसरों के प्रति नफरत का लावा इकट्ठा होने लगाउसे लगा श्री सिंह भी सारे दूसरे अफसरों की तरह ही है बल्कि उसे लगा, कि वह और भी अधिक तेज और घाघ हैं पर सज्जनता की खाल ओढे रहते हैउसने सोचा श्री सिंह उससे सभी अपने निजी काम लेते ही है,अपनी चाय पानी का पैसा वह उससे खर्च कराते है और आज भी उन्होने उसे यहां घाट पर भेज ही दियाउसके दिमाग की नसें फटने लगी और फिर एकाएक उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गईऔर वह चुपचाप चिता संबंधी कामों मे जुट गया

जब अर्थी का जुलूस घाट पर पहुंचा तो लोगो ने देखा कि जो चिता लगाई गई है उसमें लकडी बहुत कम हैवह कंडे घी, चाकू और हंडियां आदि के इंतजाम में व्यस्त थाअर्थी को आता देख वह उसके पास आ गया। एक्स्क्यूटिव इंजीनियर ने उससे कहा -

'' क्या बात है भई, लकडी तो बहुत कम दिखाई दे रही है।''
''
पूरे तीन मन है साब।'' उसने ठेठ मुजफ्फरनगरी लहजे में कहा।
''
तीन मन! इसमें कैसे जल पायेगी लाश? '' एक्स्क्यूटिव इंजीनियर ने आश्चर्य और गुस्से से कहा।
उसने एक गंदी गाली देकर कहा ,   इस लाश में है ही क्या! ठठरी ही तो बची है।''
वह जोर जोर से कहता हुआ वहां से चल दिया और दूर जाकर लकडी क़ी टाल वाले से चीख कर बोला,
''
अरे बीस सेर लकडी और दे दो भाई। साहब लोग कह रहे है तो लाश नहीं जल पायेगी।''

हालांकि सबको बुरा लगा पर उस दुख भरे भारी माहौल में भी लोग मुंह दाब कर हंसने लगेश्री सिंह दाह देने से पहले नदी के अंदर पानी में नहा रहे थेउन्होने तो कुछ नहीं सुना पर एक्सीक्यूटिव इंजीनियर तथा अन्य सभी अफसरों के चेहरे स्याह पड ग़ए

लाश, उस बीस सेर लकडी क़े बावजूद पूरी नहीं जल सकीजलने के दौरान एक-एक मन लकडी उसे ही दो बार और मंगानी पडी और इस प्रकार घाट से जल्दी लौट आने का प्रोग्राम धरा का धरा रह गया

पूरी तीन घंटे बाद ही लोग निवृत हो सके

- हरीशचन्द्र अग्रवाल
 

   | पीछे

इन्द्रनेट पर हलचल - सुब्रा नारायण
अपने अपने अरण्य - नंद भारद्वाज
चिडिया और चील - सुषम बेदी
ठठरी - हरीश चन्द्र अग्रवाल
प्रश्न का पेड - मनीषा कुलश्रेष्ठ
बुध्द की स्वतंत्रता - मालोक
भय और साहस - कनुप्रिया कुलश्रेष्ठ
मदरसों के पीछे - रमेशचन्द्र शुक्ल
महिमा मण्डित - सुषमा मुनीन्द्र
विजेता - सुषमा मुनीन्द्र
विश्वस्तर का पॉकेटमार- सधांशु सिन्हा हेमन्त
शहद की एक बूंद - प्रदीप भट्टाचार्य
सम्प्रेषण  - मनीषा कुलश्रेष्ठ
सिर्फ इतनी सी जगह - जया जादवानी

कहानियों का पूरा संग्रह

 

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