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  बेघर आंखें-2

दरवाजा एक युवती ने खोला थाभरे शरीर वाली केरल की सुन्दरता बडी बडी ंखें, खिला रंगअवश्य ही नायर की बेटी होगी '' हैलो अंकल, आइए, आइए अंकलअन्दर आ जाइए'' घर के अन्दर घुसते ही एक अजीब सी गंध नथुनों में घुस गईअंकल शब्द सुन कर थोडा सा झटका लगामैं अपने व्यक्तित्व को संभाल कर रखता हूँ। किन्तु अंकल!  नायर भी घर में ही था यह लडक़ी पहले तो नायर के साथ कभी दिखाई नहीं दी  शायद उसकी बेटी होगी'' जानकीहमारा भाई का छोकरी'' नायर ने शायद मेरी नजरों की भाषा पढ ली थी'' अबी छुट्टी मनाने को ईदर आई है

इतने में एक काला कलूटा सा लडक़ा बेडरूम से बाहर आया
उसने एक बच्ची को गोद में उठा रखा थाएक औरत...शायद उसकी पत्नी एक बूढी औरत एक नौकर....एक ड्राईवर यह नायर किस किस को हमारे घर ले आया हैजानकी की आंखों में अजब खिलन्दडापन मौजूद थाउसने लो कट ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा थावह चाय का कप रखने के लिये थोडा झुकी तो अपना कुछ सामान मेरी आंखों में छोड ग़ईभरा पूरा सामानचाय का कप पकडाते हुए भी उसने प्लेट के नीचे से मेरे हाथ को छू लिया थाउस छूने में भी एक विचित्र सी शरारत मेरे पूरे जिस्म में गुदगुदी कर गई

'' शुक्ला जी, यह फ्लैट को पेन्ट करवाना पडेग़ा जी
बहुत गन्दा दिखता जी'' नायर मुझे स्वप्नलोक से धरती पर ले आया''
'' पुरुषोत्तम जी, अभी दस महीने पहले तो पेन्ट करवाया था
अब घर में कुत्ता हो, इतने सारे लोग रहें और देखभाल न हो, तो पेन्टिंग का खर्चा आपको ही करना पडेग़ा'' मुझे स्वयं अपनी भाषा पर विश्वास नहीं हो रहा थामुझ जैसा आम आदमी का समर्थक अचानक पूंजीवादी भाषा बोलने लगा था
'' शुक्ला जी, रात का खाना ईदर ही खाने का
साऊथ इण्डियन खाना खाते ना? ''
'' क्यों नहीं,क्यों नहीं, जरूर खायेंगे पुरुषोत्तम भाई
मगर आज नहींआज तो कुछ कागजात निकालने हैं अगर आपकी इजाजत हो तो अपने कमरे का ताला खोल कर''
'' अरे, कैसी बात करते हैं शुक्ला जी, जभी मर्जी आवे, जो चाहने का लेकर जाइए न
'' चन्द्रकान्त ने मेरी ओर विजयी मुस्कान फेंकी -  देखा मैं न कहता थाउसकी आंखें यही सन्देश प्रेषित कर रही थीं

फ्लैट भाडे पर देते समय चन्द्रकान्त से मैं ने शर्त रखी थी कि एक बेडरूम में हमारा सामान रहेगा, और उसमें ताला लगा रहेगाएक बेडरूम और एक लिविंगरूम ही भाडे पर देंगेहुआ भी यहीअपने कमरे तक जाते जाते मैं पैसेज में रुक कर बाथरूम का मुआयना करने लगा सीलन और पीलेपन की ऊबकाई वाली महक आ रही थी टॉयलेट फ्लश जैसे सदियों से साफ नहीं की गई थी वाशबेसिन भी गंदा  बाथरूम की टाईलों पर भी गंद जमा थीजानकी मेरे पीछे चली आई थी  पीछे से छू कर बोली, '' अंकल, कबी बी आने का होये, तो आ जाया करोउदर लन्दन में बहुत ठण्डी होती क्या?''
सिहरन सी दौड ग़ई बदन में
न मालूम होंठों में क्या बुदबुदा कर रह गयाफिर से बाथरूम की ओर देखाजब चांदनी जीवित थी तो उस बाथरूम में से चंदन की खुश्बू महका करती थीचांदनी केवल चंदन वाला साबुन ही प्रयोग करती थीजब गीले बाल लिये चन्दन की महक बिखेरती,बाथरूम से बाहर निकलती, तो लगता जन्नत धार्मिक किताबों से बाहर निकल कर आंखों के सामने जीवित हो उठी हो!

अपना बेडरूम खोला तो सात महीने की सीलन और घुटन ने मेरा स्वागत कियामैं ने तुरन्त ही सभी खिडक़ियां खोल दीं, परदे हटा दियेसूरज की रोशनी ने कमरे में प्रवेश किया तो जैसे कमरे में रखी वस्तुओं को नये जीवन का आभास हुआ  मुड क़र देखा तो जानकी अब भी शरारती आंखों से देख कर मुस्कुरा रही थीआगे बढ क़र, मुझसे लगभग सट कर खडी हो गई, '' अंकल, अंदर सबी ठीक है न? '' यह कैसी परीक्षा ले रही है जानकी और क्यों? कहीं यह नायर की चाल तो नहीं?

मैं ने राशनकार्ड और अन्य कागज निकाले, नायर को नमस्कार किया
जानकी की आंखों को बता दिया कि वह मुझे अच्छी लगी थी  किचन, बाथरूम की चिक्कट गन्दगी को भुलाता हुआ पडौस के रोशन अग्रवाल के दरवाजे पर दस्तक देने लगा  वह आजकल सोसायटी का चेयरमेन है

'' यार शुक्ला जी, आप भी कमाल के आदमी हैं। कैसे लोगों को फ्लैट भाडे पर दे दिया। सोसायटी तो आपके खिलाफ रिजोल्यूशन पास करने वाली थी वो मैं ने किसी तरह रोक लिया आपके साथ पुरानी दोस्ती है।''
साला पाखण्डी। मुझे बेवकूफ बनाने पर तुला था। परन्तु मैं तो गलत साबित हो ही चुका था। चन्द्रकान्त और नायर मुझे गधा साबित कर ही चुके थे। सुनेत्रा से जब सामना होगा तो बातों के ऐसे तीर मारेगी जो असह्य हो जायेंगे। प्रकट में मुस्कुराने के सिवा मेरे पास कोई चारा भी तो नहीं था।
''
क्यों रोशन भाई क्या हो गया? ''
''
अरे धन्धे वालों को फ्लैट भाडे पर दे दिया आपने।''
''
तो क्या बेकार लोगों को देता? यार भाडा देने वाले कोई न कोई तो धन्धा करेंगे ही न?'' उस कठिन परिस्थिति में भी मैं चुहल करने से नहीं चूका।
''
आप भी कमाल करते हैं साहब। यह जो नायर के घर रहती है न जानकी, साली धंधा करती है। एक दिन तो मुझ से ही रात का सौदा करने बैठ गई थी जानती नहीं कि हम शादीशुदा शरीफ लोग हैं।'' आखिरी बात उसने अपनी पत्नी को देख कर कही थी। अग्रवाल की पत्नी भी मुझे अंकल कहती है। '' अब देखिये न अंकल, शरीफों का तो बिल्डिंग में रहना ही मुश्किल हो गया है।'' और मैं अवाक्....
उस औरत को देखे जा रहा था जो कि अग्रवाल के साथ घर से भाग आई थी। और आज शराफत का ढिंढोरा पीटे जा रही थी।  मैं शायद उसकी बात समझने का प्रयास भी करता, किन्तु अंकल सुनने के पश्चात तो गुस्से पर काबू रख पाना भी मुश्किल हो रहा था।

चौथे माले से नीचे उतरते समय चन्द्रकान्त अपनी ढफली बजा रहा था। '' भाई साहब, अगर आप नायर से नाराज हैं तो साले को निकाल बाहर करते हैं, और दूसरा किरायेदार रख लेते हैं। आप तो जानते हैं कि अपना काम तो एकदम पक्का रहता है।'' हरामी! किराया तो साला खुद खा गया है, अब डिपॉजिट पचास हजार कहां से वापस करुंगा? लन्दन वापस चलने से पहले  धडक़ते दिल से सूरी साहब से बात कर ही ली, '' ओ यार शुक्ला जी, तुसी वी कमाल करदे हो। मैं नू दसना सी। मैं मायहवे दे गल विचों हथ पाके पैसे कढवा लैंदा।''

बस तय पाया कि सूरी साहब हर महीने पुरुषोत्तम नायर से पैसे लेकर मेरे बैंक के खाते में जमा करवाते रहेंगे। सूरी साहब की कडवी मगर सच्ची बात कान में पडी - '' देखो शुक्ला जी, अज दे जमाने विच कोई वी काम मुफ्त विच नहीं हौंदा है। साढा हिसाब एह रहेगा कि मैं तुहाडे घर दा पूरा ख्याल रखांगा, किराया क्लैक्ट कर के बैंक विच जमा करावांगा तो ओस दे बदले पंज सौ रूपया महीने मैं चार्ज करांगा।''

सूरी साहब की स्पष्टवादिता बहुत पसन्द आई उनसे हाथ मिलाया और वापिस लन्दन चला आया अबकी बार न तो चन्द्रकान्त की पत्नी ने मेरे नाम कोइ सन्देश भेजा और न ही चन्द्रकान्त रात को अपनी मारुति वैन में मुझे एयरपोर्ट तक विदा करने आयाआलोक आज भी आशा लगाये बैठा था कि मैं घर का उत्तरदायित्व उस पर छोड क़र जाऊंगाकिन्तु वह इस काम का जिम्मा स्वयं आगे बढ कर नहीं उठाना चाहता थामैं तो भाडे क़ा जिम्मा सूरी साहब के सिर लगा कर लन्दन वापस चला गयाकिन्तु अब परेशानी शुरु हुई पुरुषोत्तम नायर के लियेसूरी साहब बिना झिझक हर पहली किराया वसूलने पहुंच जाते नायर के पासवह उनसे बचता फिरता, बहाने खोजता, किन्तु सूरी साहब ने जिस बात की ठान ली सो ठान लीपहले दो तीन महीने तो एकाध सप्ताह के विलम्ब से पैसे आते भी रहेउसके बाद तो सूरी साहब जैसा दबंग व्यक्ति भी परेशानी महसूस करने लगाउनका माथ ठनका जब वे किराये के सिलसिले में घर पहुंचे और वहां उन्होंने लिविंग रूम में छ: बाई छ: फुट का एक नया ढांचा खडा देखासूरी साहब हक्के बक्के रह गये सोच रहे थे कि क्या जवाब देंगे शुक्ला कोभला एक विवादित ढांचा घर के अन्दर कैसे?

'' सूरी साहब, ईदर घर में भूत प्रेत बहुत होने का जी
खास केरल से पंडित जी को बुलवाया जीएक महीना तलक पूजा चलेगा  ईदर तो रहना भी मुश्किल हो गया जी''
'' तेरी मां नायर
पूजा के लिये घर में यह तोड फ़ोड का क्या मतलब हैइस साले को अभी का अभी तोड  नहीं मांगता है यह लफडा इधर''
'' अरे सूरी साहब, घर आपका, शुक्ला जी का, हम तो बस ईदर पूजा करता जी
कोई रण्डीबाजी तो नहीं करता न जी''
सूरी साहब परेशान
उल्लू का पट्ठा नायर, पूजा पण्डितों पर तो खर्च कर सकता हैमगर भाडा देते समय साले की मां मर जाती हैपूजा के उठते धुएं से कमरे की छत काली पड ग़ई हैजाले लटकने लगे हैंकिचन के प्लेटफार्म पर मैल जमने लगा हैसफेद मार्बल पीला और काला पडने लगा हैअलमारी का सनमाईका जगह जगह से उधडने लगा है, बाथरूम का पॉट गलाजत की अलग कहानी सुना रहा हैसूरी साहब प्रतीक्षा में हैं कि शुक्ला का फोन कब आता हैअब तो फ्लैट खाली करवाना ही पडेग़ा

लंदन से किसी को भी फोन करने से पहले मेरा दिल धक धक करने लगता था - तो वे थे सूरी साहब
डर लगता था कि न जाने फ्लैट के बारे में क्या अशुभ समाचार सुनने को मिलेगालिविंग रूम में मंदिर के बारे में सुनने के बाद तो सुनेत्रा के लिये और अधिक बरदाश्त कर पाना असंभव था उसने मुझे ऐसी हिकारत भरी निगाह से देखा कि मेरे लिये बम्बई का टिकट कटवाने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं बचा

सूरी साहब ने अन्तत: नायर को फ्लैट खाली करने का नोटिस दे डाला

'' काये का खाली करने का जी
तुम अपना कीम्मत बोलो जीमैं यह फ्लैट खरीद लेंगाअबी तो मैं केरला जाता उदर शादी है'' सूरी साहब चुपयह भी नहीं पूछ पाये कि आखिर शादी है किसकी? बेटे की या फिर बेटी की

मेरी फ्लाईट रात के साढे बारह बजे छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पहुंची
प्रकाश और उसकी पत्नी दोनों मुझे लिवाने हवाईअड्डे पहुंचे थेप्रकाश और हनी जैसे मित्र अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धियों में से एक मानता हूँ। प्रकाश जैसा प्रतिबध्द मित्र अंग्रेजी में कहा जाये तो एक  एन्डेंजर्ड स्पीशी हैऐसे लोग दुनिया में बहुत ही कम बचे होंगेप्रकाश ने देखते ही हांक लगाई - '' ओए कालियां मुच्छां ते चिट्टे बाल, वेखो लन्दन दे कुक्कड ख़ान वाले पंडत दा हाल! ''

वह मुझे अपने घर ले गयाउसके घर रहने का एक निजी लाभ यह भी था कि सुबह छ: बजे उठ कर भी नायर के घर पर धावा बोला जा सकता था हनी ने सुबह सुबह उठ कर चाय बना दी थी प्रकाश तो रात वाले कुर्ते पजामे में ही साथ हो लियापहले हम सूरी साहब के घर पहुंचे कोई औपचारिकता नहीं बस साथ हो लिये मैं अपने धडक़ते दिल को नियंत्रण में रखने का प्रयास कर रहा थाचौथे माले के अपने आठवें फ्लैट में दस्तक दीदरवाजा जानकी ने ही खोला आज वह मुझे देख कर अदा से मुस्कुराई नहींफिर भी चेहरे पर असफल हंसी लाते हुए बोली, '' अंकल, नायर तो इद्दर नहीं हैशादी बनाने को केरला में गया हैदो दिन के बाद आने वाला है''

यानि कि जानकी को भी खबर है कि मैं लन्दन से खास तौर पर घर खाली करवाने के लिये आया
हूँ।
अब शुरु हुआ नाटक का पहला भाग
हम लोग घर के अन्दर घुसे और घुसते ही सूरी साहब ने शुरुआत की, '' देखो शुक्ला जी, मांयावे ने पयो वाला मंदिर खडा कर ता है  मैं कहना, पहले तां कारपेन्टर बुलवाओ, ते एह मंदिर तुडवाओ'' सूरी साहब अपनी नौकरानी भामा को साथ लाये थे,

''शुक्ला जी, नाल जनानी होणी जरूरी होन्दी है। ओथे जे असी सारे जेन्ट्स ही होवांगे, ते किसे वी तरह दा ब्लेम लग सकदा है।'' वहीं से हनी को भी फोन कर दिया था। वह भी साथ हो ली थी। कारपेन्टर आया। पन्द्रह बीस मिनट में मंदिर का अस्तित्व समाप्त हो चुका था। मन में कहीं अपराधबोध भी था कि मंदिर टूट गया। कैसे कभी मस्जिद टूटती है तो कभी मंदिर। होते दोनों ही विवादित हैं। किन्तु सचमुच आश्चर्यचकित करने वाली यह बात थी कि जानकी या फिर नायर के ड्रायवर ने इस मुहिम में कोई भी समस्या नहीं खडी क़ी।

''
जानकी नायर तुम्हारा क्या लगता है।'' मैं पूछे बिना न रह सका।
''
मेरे बाप का दूर का भाई लगता है।'' जानकी का दो टूक जवाब हाजिर था। '' अंकल, इस आदमी का अक्कल ही मारा गया है। इतना पैसा पुजारी लोगों पर खर्च किया। रात भर पूजा चलता था। दारू, मटण! न मालूम क्या करता है। अबी अपनी सादी बनाने गया है।''
''
क्या..भैनचो अपणी शादी बनाने गया है?'' अब सूरी साहब के हैरान होने की बारी थी।
''
अंकल!'' जानकी की आंखों में पहली बार विचित्र सी सच्चाई दिखाई दी। '' बस दो दिन की ही तो बात है। हम को अबी घर से नहीं निकालो। नायर जैसे ही वापिस आता, हम तबी का तबी चला जायेंगा। वैसे मैं तो कल ही चली जाने वाली है।''
मैं ने सूरी साहब की तरफ देखा। इससे पहले कि वे कुछ बोल पाते, प्रकाश बोल उठा, ठीक है लडक़ी, तुम जैसे भी हो, नायर को फोन कर दो कि अगर दो दिन में केरल से वापस नहीं आया तो हम सारा सामान उठा कर बाहर फेंक देंगे।''

जानकी से अधिक हैरान तो मैं था कि किस प्रकार प्रकाश ने स्थिति की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। मैं ने एक बार फिर अपने बेडरूम का ताला खोला, वहां दीवार पर लगी चांदनी की फोटो को साफ किया, खिडक़ियां खोलीं, कमरे को प्रकाश के कुछ घूंट पिलाये और यह भी पक्का कर लिया कि सामान से किसी प्रकार की छेडछाड तो नहीं की गई है। सूरी साहब भी प्रकाश के तेज के सामने चुप्पी लगा गये थे।

सामने वाले घर से इमरान की शिकायत सबसे पहले सुनने को मिली, '' यह क्या अंकल, कैसे आदमी को घर भाडे पर दे दिया। मालूम नहीं कैसी गन्दी पूजा करता है। चूहों का खून निकाल कर चढाता है।'' मैं शायद इमरान की कही बात को हिन्दु पूजा के विरुध्द आक्रोश मात्र मान लेता। किन्तु घर में भागते चूहे अपनी आंखों से देख कर आ रहा था।

'' अपुन तो आपकी रेसपेक्ट करता है, नहीं तो स्साले को टपका डालेगा एक दिन। बोल देना उसको।'' यह सुन कर मन में एक नीच विचार कुलबुलाया। अगर इमरान नायर को टपका दे तो अपना काम बन जायेगा फिर इमरान के तो अण्डरवर्ल्ड के साथ सम्बन्ध भी हैं। क्या इमरान सचमुच ऐसा कर सकता है? यह मध्यवर्गीय विचार जितनी तेजी से दिमाग में आया उससे भी अधिक द्रुतगति से बाहर भी हो गया। चौथे माले से उतरा तो धोबी, एसटीडी वाला, केबल वाला, दूध वाला सभी को मुझसे एक ही शिकायत थी कि कैसे आदमी को फ्लैट किराये पर दे गया। सभी के पैसे नायर पर बकाया थे। '' ऐ सेठ, उसको निकालने से पहले हमारे पैसे डिपाजिट में से जरूर काट लेना।''

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