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नेक परवीन
'' अक्दे निकाह कनीज फ़ातिमा उर्फ शाहीन रिजवी बिन्ते सैय्यद सुल्तान हुसैन साहब रिजवी, साकिन हैदरगंज, लखनऊ हमराह सैय्यद बशीर हुसैन रिजवी सल्लमहा उर्फ सैय्यद जीशान आलम रिजवी सल्लमहा इब्ने सैय्यद रियासत हुसैन साहब (मरहूम) साकिन बैरूनी खन्दक, लाल डिग्गी रोड, अलीगढ बएवज मेहर - ए - मोअज्ज़िल मुबलिग 14 हजार रुपये रायजुल वक्त के निस्फ जिसका निस्फ हिस्सा मुबलिग 7 हजार रुपये सिक्कये रायजुल वक्त होता है। आपके वकील की हैसियत से पढूं? आपकी इजाजत है?'' ''
हूँ!''
मैं ने घबडा कर कह
दिया,
फिजा मुबारकबादियों के शोर
में डूब गई और मैं एक नये शहर नयी दुनिया में पहुंच गई। चन्द माह बाद मैं ने बच्चे
की खुशखबर मियां को दी तो वो घबडा गये,
'' अरे! भई अभी इतनी जल्दी?''
मैं खुद नर्वस हो गयी अपनी गलती पर।
रात को इन्होंने
समझाया, ''
यह मामला अभी खत्म कर दो, तुहारी उम्र अभी कम है,
तुम इंटीरियर डेकोरेटर का कोर्स कर लो,
तुमको शौक भी है।'' अब धोबी को कपडे देते वक्त
उसकी पैन्ट की जेब से तरह तरह की नंगी तस्वीरें और बेहूदा मजमून (विषय) की
कतरनें मिलने लगीं।
सोफे के नीचे फहश
(अश्लील) मैगज़ीन,
क्लिप और बाल, लिपस्टिक के
निशान लगे रुमाल वगैरह मिलने लगे।
मैं ने कुछ नहीं
कहा।
वह खुद ही एक दिन अपनी
टाईपिस्ट की बेशुमार तारीफें खाना खाते खाते करने लगा,
'' वह बडे लजीज़ भरवां करेले बनाती है।''
यह तो करेले खाते ही नहीं थे।
मैं ने अगले दिन
भरवां करेलों की तरकीब मिसेज रंजीत से ली और रात के खाने में पकाये,
इन्होंने छुए तक नहीं।
बच्चा रात भर चीखता
रहा।
मेरा दिल हाऊसवाइफ बनने से
एकदम उकता गया।
अब मैं देर तक पडी रोती
रहती। कहाँ
मोहल्ले की औरतों के कहने
के मुताबिक जल्दी उठने लगी थी। '' मआशी ( आर्थिक) दिक्कतें हैं।'' - आगे पढें |
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