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विधान सभा चुनाव
आई है बहार चुनावों की र्कषक सबके बैनर हैं
प्रत्याशी जो भी आये हैं सबके मासूम से तेवर हैं

हर दल का है संदेश यही ज़नसेवा ध्येय लिये मन में
वे राजनीति में उतरे हैं माली बनकर इस उपवन में

सबके लिए सुलभ होंगे पूरे करने हर सपने को
बस एक बार यदि निर्वाचित होकर सरकार बना लेंगे

समग्र विकास देश का कर सबको खुशहाल बना देंगे

राजनीति कोई खेल नहीं यह तो बस एक लडाई है
साम-दाम और दंड भेद ऌसमें कुछ नहीं बुराई है

अर्ध शताब्दी बीत गयी हम
कों कोई ऐसा न मिला
जो सबका हित हरदम सोचे क़ोई ऐसा अपना न मिला

हम वोट उसी को देंगे अब हो राजनीति व्यवसाय नहीं
जिसमें पद धन का मोह न हो अपराधी छाया
जहाँ नहीं
जो साथ हमारे चले और हो देश भक्ति से सरावोर

निर्धन निर्वल शोषित का जो हामी प्रचलित हो चहूं ओर

जिसका निज का व्यवसाय नहीं धन का जिसको मोह नहीं
जो अपना प्रिय परिजन है सम्पति की जिसको चाह नहीं

सिध्दांतों का जो धनी और दल-बदल नहीं करने वाला

चाहे जितनी विपदायें हों पथ पर अविचल चलने वाला

जो सौम्य सुशील विनम्र और हर विपदा में हमराही हो
जलसा निर्मल जीवन जिसका ऌस देश का वीर सिपाही हो

जिसका इतिहास साफ सुथरा ज़ो आज वही जो होगा कल

जो साथ हमारे सदा चले उसको ही चुनना हमे ''विमल''

सुरेश चन्द्र 'विमल'
जनवरी 20, 2002

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