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सबसे बड़ा रूपैय्या

रामलीला में
रावण वध का सीन था
मगर
किसी को क्या मालूम
कि मामला कितना संगीन था
हुआ यह
कि किसी ने
रावण को ठर्रा पिला दिया
दूसरे ने यह कह कर गुस्सा दिला दिया
कि देखो
रामलीला वालों की टुच्चाई
रामचन्द्र का पेमेन्ट एडवान्स
और तुम्हारा उधार‚ वो भी चौथाई
सुनते ही
रावण जी अकड़ गये
मरने की बजाय
राम के गले पड़ गये
मारते मारते
रामचन्द्र जी हो गये अधमरे
मगर रावण जी नहीं मरे
तो धर्म पारायण जनता चिल्लाई –
ये क्या नाटक हो रहा है भाई
सारे तीर खत्म हो गये
फिर भी नहीं मर रहा है
कोई बोला –
रावण को जल्दी निपटाओ
अकेले राम से
नहीं मर रहा है
तो हनुमान को बुलाओ

मंच से आवाज़ आई –
हनुमान जी नहीं आ सकते
मलेरिया
बुखार में पड़े हैं
रामलीला के सारे बंदर
अस्पताल में खड़े हैं
अब अगले साल ही
काम में आयेंगे
मगर आप
चिन्ता मत करो
हम रावण को
इस बार भी
इसी राम से
मरवा के दिखायेंगे

सुनते ही रावण ने
इतनी ज़ोर से
ठहाका लगाया
कि रामचन्द्र जी कांपने लगे
लक्ष्मण जी हांफने लगे
तो
एक रामभक्त चिल्लाया —
रावण को समझाओ
अपनी औकात से
बाहर जा रहा है
राजा राम को डरा रहा है
इस रावण का क्या नाम है
कोई भीड़ में से बोला –
बब्बू पहलवान है
हमने पहले ही कहा था
पहलवान से रावण का रोल
मत करवाओ
रामलीला को
रामलीला रहने दो
अखाड़ा मत बनाओ
मगर रामलीला वाले तब नहीं माने
अब मामला अटक गया है
तो वही जानें

एक बूढ़े बाबा बोले –
समझ में नहीं आता
रावण को
हो क्या गया है
ऐसा तो कभी नहीं करता था
हर साल
बड़े आराम से मरता था
इस बार क्या बात है

कोई बोला —
हो न हो
इसमें जरूर
पाकिस्तान का हाथ है
ये सब
उसी की खुराफात है
एक षडयन्त्र है
जो आगे जाकर
खतरनाक मोड़ ले सकता है
इस बार तो सिर्फ
रावण धोखा दे रहा है
यही हाल रहा
तो अगले साल
हनुमान भी धोखा दे सकता है

कोई बोला —
नहीं नहीं
पाकिस्तान जैसी कोई बात नहीं है
इसमें किसी विदेशी
का हाथ वाथ नहीं है
असल में मामला
राजनैतिक लड़ाई का है
ये जो राम बना है
भाजपाई है
और रावण कांग्रेस आई का है
भाजपाई राम से कैसे मरे
यह तो तभी संभव है
जब राम का रोल भी कोई
कांग्रoसी ही करे

एक दर्शक बोला
हम कुछ नहीं जानते
रावण को तुरन्त मरवाओ
वरना हमारे चंदे के
पांच रुपये फौरन वापस करवाओ

धीरे धीरे शोर
बढ़ने लगा
माहौल बिगड़ने लगा
तो लक्ष्मण जी घबराये
भागे भागे हमारे पास में आये
बोले —
चौबे जी
रावण को समझाओ
मरने का नाम नहीं ले रहा है
उलटे
हमको
जान से मारने की
धमकी दे रहा है
हमने कहा —
क्यो रे‚ रावण
क्या बात है‚
क्यों नहीं मरता
रावण बोला —
भाई साहब
पहले उस डाईरेक्टर से
बात कर लो
वो हमारा
पिछले साल का
पेमेन्ट क्यों नहीं करता
अपने
वादे से मुकर रहा है
हनुमान तक का
पेमेन्ट कर दिया
और
हमारा नहीं कर रहा है
हमने कहा —
यार
क्या घटिया बात करते हो
रामायण के पात्र होकर
पैसे पर मरते हो
वो बोला –
नहीं तो क्या आप पे मरुं
और घर में
झो बारह बच्चे घूम रहे हैं
उनका इंतजाम कहां से करुं
हमने कहा —
बारह बच्चे
भई बहुत अच्छे‚
बहुत अच्छे
क्या राजा होकर
आपको
इतना टाईम मिल जाता है
क्यों आपको कोई शक है
वो तो हमारी कृपा समझो
कि संख्या
केवल बारह तक है
वरना चौबे जी
आप ही
हिसाब लगा के बताइये
कि
जिस रावण के मुंह दस हैं
उसके
बच्चे कितने होने चाहिये
हमने कहा –
जी इस हिसाब से तो
पूरा हिन्दुस्तान ही
आपका बच्चा है
मगर
इस समय
हिन्दुस्तान के लिये
यही अच्छा है कि आप तत्काल मरें
बेचारे राम के लिये
कोई संकट पैदा न करें

रावण बोला —
नहीं मरुंगा
और कान खोल कर सुन लो
अगले साल से
रामलीला में
रोल भी नहीं करुंगा

हमने कहा —
नहीं यार‚ ऐसी क्या नाराजी है
वो बोला
आपको नहीं मालूम साहब
इस नौटंकी का मालिक
कितना पाजी है
हमको दशरथ का रोल
मिल रहा था
मगर इसने
रावण बना कर
मरवा दिया
और हमारा पेमेन्ट
अकेले में मन्दोदरी को करवा दिया
हमने मांगा तो
अंगूठा दिखा दिया
बोला
मरने के बाद
काहे का पेमेन्ट
इसलिये भैया
इस बार तो
हम तभी मरेंगे
जब
नोट मिल जायेंगे
सेंट परसेंट
आप में दम हो
तो आप निकालो
वरना चुपचाप जाकर
पंडाल में
अपनी सीट संभालो।

हमने कहा —
रावण तू ठीक कहता है
हम तो भूल ही गये थे
कि तू आजकल
लंका में नहीं
हिन्दुस्तान में रहता है
ये ले‚ पचास का नोट संभाल
और हमारे रामचन्द्र जी को
टेंशन से निकाल

पचास का नोट देख कर
रावण मुस्कुराया
हमारे पास आया
और हमारे कानों में फुसफुसाया
बोला – अब मरने में बिल्कुल
देर नहीं लगाऊंगा
राम से कहो तीर वीर की
कोई ज़रूरत नहीं
अब वो आंख भी मार देगा
तो मैं बड़े प्यार से मर जाऊंगा

– प्रदीप चौबे
 


   
 

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