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आसमान में लड़की

वह उतरती है सीढ़ियां
जैसे उतरती है आसमान से
वह भींचे रखती है मुट्ठी अपनी
सख्ती से
उसे डर है
मुट्ठी से निकलते ही आसमान
बिला जायेगा आसमान में
वह मजबूती से पकड़े रखना चाहती है
उन सब को
जो अपने न होने पर भी है
दिन भर मुट्ठी भींचे रखने के बाद
शाम को पाती है
वह सिर्फ याद है एक
या एक मुट्ठी
उसका चेहरा गायब हो गया है
वह अब चेहरा नहीं
मुट्ठी देखना चाहती है
और वह आसमान
जो उसके न होने पर भी होगा।

-जया जादवानी
 

लड़कियाँ

लड़कियाँ करती हैं प्रेम
ख्यालों में या खिलवाड़ में
दे देती हैं दिल यकायक किसी को
और घबराती हैं खाली सीना देखकर
रखती हैं तसव्वुर अंधेरे बन्द कमरों में
देह किसी और को
दे देने के बाद भी
कभी – कभी उतरती हैं सीढ़ियाँ
सीने के तहखाने में लड़कियाँ
और मुंह चिढ़ाती हैं उन्हें
जिन्हें समझ नहीं आता
तहखानों का राज़
अंधेरों में उम्मीद की लालटेन में
टटोलती हैं लड़कियाँ
तसव्वुर का बासी चेहरा
और खुश होती हैं अपने पास
एक चीज़ की मौजूदगी पर
बाहर आती हैं
वही कपड़े पहन लड़कियाँ
और छलती हैं खुद को
जग को
जो सिखाया जाता है
वही वापस करती हैं लड़कियाँ

-जया जादवानी


 

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