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विश्वसुन्दरी
चार कविताएं
1।
खुर्दबीनी परीक्षण और नुमाइश की
कसरतों से गुज़रने के बाद
उसने एक बहुत अच्छी बात कही
और ताज रखते हुए सर पर
हमें चेताया
कि तीसरी दुनिया में
गर्व करने के लिए
अब सिर्फ बची हुई है देह

2।
इकलौते ज्ञानी दाढ़ीदार वित्तमंत्री को
उसने दिया एक तमगा
कि रही कोशिश कामयाब
और खनखना गया
डालरों के बीच रूपया
3।
एक बाज़ार
हॉं एक बाज़ार चलेगा
हमारी बैठकों की अलमारियों तक
और सजा देगा लिजलिजे मांसपिंडों को
सुडौल बनाने के साज़ोसामान
तय होंगे
इंच दर इंच नाप कर
नए नए सूत्र समीकरण
4।
सावधान ।
मेधा पाटकर और किरण बेदी सावधान
मदर टेरेसा और तसलीमा नसरीन सावधान त्रिलोचन की चंपा में
प्रविष्ट हो रही है
सुष्मिता की आत्मा
बस आने ही वाला है
नग्न उरोजों के साम्राज्य का स्वर्ण काल।

— अनिल करमेले

 

नया साल
ये नया साल देखो चला आ रहा।
मुस्कुरा कर पुराना चला जा रहा।।

जो गया बीत वो हमारा था कल।
आज खुशियां समेटे चला आ रहा।।

है खुशी का नज़ारा यहां हर तरफ।
खिलखिलाहट सभी को सुनाता रहा।।

घूंट खुशियों के पीता रहे हर कोई।
गीत खुशियों भरे दिल के ये गाता रहा।।

है फिज़ां शोख उसमें है शामिल खुशी।
जाम से ये जाम टकराता रहा।।
हो मुबारक खुशी अलविदा गम तुम्हें।
दिल दुआओं को ' देवी ' है छलका रहा।।

-देवी नांगरानी

 

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