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रति सक्सेना की कविताएँ
स्वाद
जीभ पर घुल
इस तरह मिल गया
धमनियों में
वह रहा नहीं
फिर भी
महकती रही जिन्दगी
स्वाद से

रास्ता
जब बन्द हो गये
तमाम रास्ते
फूट पड़े आग के झरने
चिनगारियों ने अंधेरे को
रोशन बनाया तभी

-रति सक्सेना

 


समय का रखना समय
समय ने रख दिया
ढेर सा समय मेरे पास कि
बन गई मैं मालिक
समय की – पल हँसी
पल रुलाई – पल भर कोे
जग हँसाई – बिला गया समय
अपने बिल में
समय का मुँह ताकती मैं
समय हो गई बेसमय

-रति सक्सेना

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