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रोशनी के लिए
काली स्याह रातों के
दो साथी
दीया और बाती
जब जब जलते हैं
रोशनी के लिए
तब तब जलता है
मेरे घर का चूल्हा

अंधेरे से लड़ने को अधीर
ये छोटे बड़े दीये
मेरे सपनों के लक्ष्यभेदी तीर
मेरी प्रकाशहीन दुनिया की
रोशनी के लिए
खोया बचपन पायीं ज़िम्मेदारियां
देखे अंधेरे. पायीं दुश्वारियां
इसलिए बनाता हूं दीये
मन की जीवन की
रोशनी के लिए.

-प्रबुद्ध जैन
 

 

 

 

 

 

 


 

बंद मुठ्ठी
उसने कहा
अपना हाथ खोलो
मेरी मुठ्ठी में अंधेरा है
तुम्हारे हाथ पर रख दूंगा
मैंने कहा
मुझे कुछ नहीं चाहिए
वह ठठा के हँसा और फिर कहने लगा
अबे यह अदरक नहीं है
अंधेरा है
मैंने फिर कहा
मुझे कुछ नहीं चाहिए
तुम अपनी मुठ्ठी को बंद रखो
अपनी आँखें खोलो
उसने कहा;
मूर्ख अंधेरा कहाँ रहेगा
यदि मैं आँखें खोलूंगा
और फिर तो मैं
तुुझे कुछ भी न दे सकूंगा
मैंने कहा यह सब छोड़ो तुम
तुम अपनी आँखें खोलो
मैने तुमसे कभी कुछ चाहा ही कब था
नहीं मालूम ? और कौन कौन जानता है
ये सत्य
पर जानता एक रब था
उसने फिर कहा हे कृपा निधान
मुझ पर कृपा करो ये जिद्द छोड़ो
समझो !
आँखें खोलूंगा तो अंधेरा कहाँ जाएगा
बंद मुठ्ठी और बंद आँख का आपस में
गहरा संबंध है.

-अशोक प्रितमानी

 

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