मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
|
ग़ज़ल उनकी तरफ
से जीने की हमको दुआ मिले चलता है
सुबहो - शाम अंधेरों की राह पर तकता है
हर किसी को बड़ी हसरतों के साथ मुद्दत
हुई कि उस घड़ी हमसे मिले थे वो लो आज भी
गिला है कि हम पूछते नहीं लो गम
मिला, अलम मिला,
आप जब मिले
-प्रो.
मोहम्मद ज़मां आज़ुर्दा |
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |