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तेरी सूरत
आज स्वयं से मिलना है,
एक अद्भुत चाव तारी है ,
एक अजब सी खुमारी है ,
प्रेम का उबटन लगाकर ,
अहंकार की खुश्की भगाकर ,
माथे पर आस्था –
विश्वास की बिंदया सजाकर ,
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मेरा चाँद
डूबते सूरज से नज़र मिलते ही,
और वह लजाकर ,
जिधर से उसके चाँद ने है चढ़ना,
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