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नव किरणें मुस्काकर लायीं नये वर्ष का नव पैगाम। कोयल कूक रही है जग में गूंजेगा भारत का नाम।। वही आसमां वही फिजा है वही दिशाऍं अभी तलक। नयी चेतना नये जोश से नया सृजन होगा अविराम।। बहुत रो लिये वर्तमान पर परिवर्तन की हो कोशिश। सार्थक होगा तब विचार जब हालातों पर लगे लगाम।। पिंजड़े के तोते भी रट के बातें अच्छी कर लेते। बस बातों से बात न बनती करना होगा मिलकर काम।। नित नूतन संकल्पों से नव सोच की धारा फूटेगी। पत्थर पे भी सुमन खिलेंगे और होगा उपवन अभिराम।। -श्यामल सुमन |
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