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...... आज मुनासिब नहीं हालात
चेहरा तुम्हारा देख मन में आई
यही बात
चेहरा छुपा के आंख चुरा जाते हो
निकल
दिन रात ख़्यालों में आप रहती
हैं मेरे
महसूस कर सकूं तुम्हारे जिस्म
की ख़ुश्बू
बिस्तर की सिलवटें भी लग रहीं
हैं कुंवारी |
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