मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
क्योंकि ये होली है प्रेम
रंग का,
मैं कायल हूं,
क्योंकि ये होली है,
प्रेमसे डालो,
प्रेमको डालो,
मैं प्रेम का प्यासा, हाथों में
रंग,
मत लेना जो,
दिलमें प्यार नहीं है, होली
रंगों,
की झोली है,
प्यार की ही बोली है,
-अशोक कुमार वशिष्ठ
|
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |