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पाबागिल सब हैं पाबागिल
सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन मेरा सर
हाज़िर है लेकिन मेरा मुंसिफ देख ले नींद जब
ख्वाबों से प्यारी हो तो ऎसे अहतमे रेत अभी
पिछले मकानों की न वापस आई थी दुश्मनों
के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
-परवीन शाकिर |
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