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एक तारा-विज्ञानी का प्रेम

उसे चाँद खूबसूरत लगता है
जबकि मुझे लुभाती हैं,
तारों की क़तारें

तारे मेरी रोज़ी हैं
जब अंधेरी रात में तारे खिलें
और मेरी दूरबीन के पहलू में गिरें
तो ही आगे बढ़ पाया मेरा काम
मेरे बैंक अकाउंट की गुल्लक में
सारे सिक्के तारों ने ही डाले हैं

और चाँद?
वह एक आवारा घुसपैठिया है
चाँद के आगे तारे
फ़ीके पड़ जाते हैं
जो तारे पहले ही बहुत धुंधले हैं,
वे दूरबीन से भी नज़र नही आते हैं

चाँदनी, तारों के खेत में
चिड़ियों जैसी है
मेरी फसल को चट कर जाती है

तारों की ही नेमत‌‌‌‌ हैं
सगाई की अंगूठी
और आर्टिफिशियल सस्ता हार
मेरा उसे दिया हर उपहार

मेरा कवि कभी और
ले लेगा
चाँद से
कवियों वाले बिम्ब उधार

काश,
कम-अज़-कम
एक बार
वह चाँद को कह दे -
"चाँद, थोड़ा कम नज़र आया करो!"

छोटा पीला फूल

जिन छोटे-छोटे फूलों का
हम नाम नहीं जानते
अवसाद के क्षणों में
घास, झाडी या पत्तियों में से
उंगली बढ़ा
वही हमें थाम लेते हैं

घास में उगे
उस पीले फूल को देखकर
तेज गति से चलता हुआ
मैं अचानक रुका
किसी पावर ब्रेक वाली गाड़ी की तरह

एक और छोटा सा पीला फूल
मैंने देखा था
अपने घर की क्यारी में

अब दोनों फूल मुझसे मुखातिब थे

तस्वीर लेने के स्वार्थ में
हाथ से पकड़कर
मैंने नियंत्रित नहीं किया
फूल का हवा को सूंघना
अलमस्त झूमना

क़रीब से उसे बिना देखे,
स्मृति में सहेजे बिना उसे
अपनी राह चलते जाना
व्यर्थ हो जाना था
छोटे से जीवन का
फूल के नहीं
मेरे


सही दिशा

रात के नौ बजे,
मैं इस लगभग सुनसान रेस ट्रैक पर हूँ
एक ऐसी जगह
जहाँ अच्छी सेहत का उत्सव मनाया जाता है

चाँद आधा खिला है आज
और बहुत सारे बादल
परत दर परत बदल रहे हैं
पिघलकर आपस में मिल रहे हैं
जैसे उड़ रहे हों बुढ़िया के बाल

इतने में देखता हूँ
आकाश में एक हवाई जहाज़
जो कुछ ही मिनट पहले रनवे से उड़ा होगा
और अब जा पहुँचा है बादलों की अंतरंगता में
एक अनचाहे पक्षी की तरह का हिस्सा होने
ऊपर, और ऊपर उठता हुआ
तारों से भी ऊपर चले जाने का भ्रम पैदा करता हुआ

कुछ देर में उड़ जाएगा वह ताइवान की भौगोलिक सीमा के पार
उसके कुछ मिनट बाद उड़ रहा होगा
इस देश की समुद्री सीमा के परे
अंतरराष्ट्रीय समुद्र के ऊपर
सनद रहे कि बाँटे जा चुके हैं समुद्र और आकाश भी

मुझे कौंधता है, यह यान भारत भी जा रहा हो सकता है
जिसे इस देश के लोग यिंदू कहते हैं
और एक लड़की का उपालंभ कानों में पड़ता है
"कितना दौड़ते हो तुम,
अगर इतना ही दौड़ते रहते सही दिशा में
तो पहुँच गये होते अब तक मेरे पास"

दौड़ना, मानव सभ्यता का यातायात का सबसे पहला द्रुत साधन
मेरे पास ना आदिम मानव जितने मज़बूत पैर हैं
ना ही सही दिशा की ओर भाग जाने का साहस
मैं विवशता से देखता हूँ,
जड़, स्थिर अपने पैरों को
और सबसे आधुनिक यातायात के साधन को
गुम होते हुए उस दिशा में
जो सही दिशा हो सकती है

अंततः, भारी कदमों से दौड़ने लगता हूँ अंडाकार ट्रैक पर
तभी दीख पड़ती है दौड़ती हुई एक गुलाबी फ्रॉक वाली बच्ची
जिसने बमुश्किल एक साल पहले ही सीखा होगा चलना
मुहाने पर खड़े देख रहे हैं गर्व से उसके पिता
लुढ़कती-सी दौड़ती हुई गुलाबी गुड़िया को

मैं उस बच्ची के पीछे-पीछे
दौड़ने का स्वांग करते हुए चलने लगता हूँ
एक प्रवासी युवा को 'बचपन' में मिल जाती है
तात्क्षणिक अस्थाई दिशा

अफवाह

कुछ नहीं
बस एक गुब्बारा फूटा था, बड़ा-सा
आवाज़ भी हुई,
गुब्बारा फूटने जितनी ही

उसी पर खड़ा किया गया
एक दृश्य
किसी थ्रिलर फिल्म जैसा

एक पूरा हुज़ूम
क़त्ल की अफवाह के चलते
शक़ के दायरे में है
धर लिए जाएंगे
भीड़ के सब लोग
किसी लावारिस लाश की
बरामदगी दर्ज दिखा कर

एक गुब्बारे
के हत्यारे
इतने सारे

पंखे पर कहीं
चिपकी छुपी पड़ी रहेगी
फूटे हुए गुब्बारे की रबड़

- देवेश पथ सारिया
 

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