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मन : पागल पंछी

मन
किसी पागल पंछी सा
इधर उधर भागे
दिशा ढूंढे
और फिर
थक कर
वापस आ जाये
अपने ही नीड़ में ।

– आस्था
 

   

 

लघु कविताएं
1
समंदर में ठहराव आ गया है जैंसे
तूफानी बहाव थम गया है जैंसे
कश्ती कश्ती किनारे लग गई
हर लहर ने मुकाम पा लिया है जैंसे ।

2
ज़िंदगी को परवान मिल गई है जैंसे
हर खुशी मेहरबान हो गई है जैंसे
वक्त ठहरा है ना ठहरेगा कभी
इक इक पल को दिशा मिल गई है जैंसे ।

3
प्यार से जी ही ना भरे तो कया कीजे
हर वक्त मन में वोह रहे तो कया कीजे
किस्मत ने जुदा किया किस्मत ही मिलायेगी
दुआ की असर हो धीरे धीरे तो कया कीजे ।

– आस्था

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