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हाईकू

लौट लौट कर
प्रेम भरी यादों में
खो जाता मन

अपने मैं को
खोकर जिसे पाते
वो सौगात प्रेम की

कली से फूल
प्रेम से और प्रेम
खुद से आते

– राज
 

 

किस्मत : एक गज़ल
उसने कहा जब सुनाओ कहानी तुम्हारी
ज़रूर सुनाते जो एक होती हमारी ।

रेत में बनायें हमने दो मकान
एक ढह गया बदकिस्मती हमारी ।

गुलाब न खिल सका ओस की अछत में
अश्क भी न ढले निकम्मी आँखे हमारी ।

चमकती सीप को बारबार समझा चांदी
कोसने पर भी नहीं मानी नीयत हमारी ।

पान खत्म हुए उठ गया बाज़ार
बस बाकी रह गयी उदासी हमारी ।

क्या करे जिन्दगी गुजर चली ऐ चान्द
किस्मत को कोसने की अब बारी तुम्हारी ।।

– डॉ सी एस शाह
 

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