वश में है
तुमने फूल खिलाए
ताकि खुशबू बिखरे
हथेलियों मे रंग रचें ।
तुमने पत्थर तराशे
ताकि प्रतिष्ठित कर सको
सबके दिल में एक देवता ।
तुमने पहाड़ तोड़कर
बनाई एक पगडण्डी
ताकि लोग मीठी झील तक
जा सकें,
नीर का स्वाद चखें
प्यास बुझा सकें।
तुमने सूरज से मॉंगा उजाला
और जड़ दिया एक चुम्बन,
कि हर बचपन खिलखिला सके
यह तुम्हारे वश में है ।
लोग कॉंटे उगाऍंगे
रास्ते मे बिछाऍंगे,
लहूलुहान कदमों को देखकर
मुस्कराऍंगे ।
पत्थर उछालेंगे
अपनी कुत्सित भावनाआें के,
उन्हें ही रार्तदिन
दिल में बिछाकर
कारागार बनाऍंगे।
पहाड़ को तोड़ेगे
और एक पगडण्डी
पाताल से जोड़ेंगे,
कि जो जाऍं
वापस न आऍं।
सूरज से मॉंगेगे आग
और किसी का घर जलाऍंगे।
यह उनके वश में है।
ऋ यह उनकी प्रवृत्ति हैऋ
वह तुम्हारे वश में है ।


रामेश्वर काम्बोज हिमांशु



 


 

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