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लौकियां
इठलाती लौकियाँ एक बार फिर संभाले
नही सँभल रही, वे फूली नहीं समा रहीं और इसी चक्कर में अधिक रसीली ओर
कमनीय हो उठी है, दरअसल उन्होने भी बाबा को दर्जा मिलने की ख़बर सुन ली
है !
बाबा की चहेती लौकियों ने बाबा के कारण बडे अच्छे दिन देख रखे है, क्या
दिन थे वे भी जब पूरा देश प्राणायाम और कपाल भाँति करने के साथ साथ लौकियाँ
भी ख़रीदने लगा था, बाबे के कहे से ही लौकियों के दिन फिरे वरना कृतघ्न
देश ने लौकियों की इतनी इज्जत इसके पहले कभी की नही थी !
उन दिनो बाबा भी मँहगे थे और उनके कहे से कौड़ियो के भाव बिकती आईं जूस
भरी लौकियाँ भी मँहगी हो गयीं थी, इसीलिये बाबा की एहसानमंद है लौकियाँ,
ओर वे दिल से चाहती है कि उनके भाव बढ़वा देने वाले बाबा के भी भाव बढ़े
जो कि फिलहाल उनकी ही तरह घटी दरो पर उपलब्ध है !
पर लगता है कि सस्ती बिकती लौकियों की इस बार सुन ही ली है उपर वाले ने,
सुना गया है कि बाबा को हरियाणा सरकार केबीनेट मंत्री का दर्जा देने जा
रही है, अब बाबा वाकई केबीनेट मे तो घुस बैठै यह तो मुमकिन है नही,कुछ और
मिलते दिख भी नही रहा है,इसलिये फिलहाल इस दरजे से ही काम चला लेगे बाबा,
पर दिक़्क़त केवल ये है कि फिलहाल ये ख़बर ही है, लौकियाँ मनौती माँग रही
है, काश इस बार ख़बर सच्ची निकले, बाबा का कुछ सरकारीकरण हो ही जायें तो
बाबा के साथ लौकियों को भी थोडी बहुत तसल्ली हो !
पर इस बार चुप्पी साधे बैठी है लौकियाँ, कोई भी बयान जारी ना करने को
लेकर सावधान हैं, पिछली बार की ग़लती दोहरा कर किरकरी करवाने के मूड मे
नही है वे इस बार, आपको तो पता है ही पिछली बार भाई लोगो ने पद्म वाली
ख़बर उड़ा दी थी,भोली भाली लौकियाँ बिना ज्यादा पूछ परख किये मान गयीं और
सारे जमाने को बता बैठी कि बाबा पद्म वाले हो गये, वैसै सहज विश्वासी
लौकियों का मान लेना स्वाभाविक ही था जब इतने बडे बडे कह रहे थे कि मिल
रहा है तो मिल ही रहा होगा !
वैसै बाबा के अब तक के किये धरे की वजह से यदि लौकियाँ बाबा के लिये पद्म
की उम्मीद लगा बैठी थीं तो इसमे गलत भी क्या था, आखिर अच्छे दिन लाने के
चक्कर मे बाबा अपनी अच्छी भली दुकान को लात मार समर मे कूद तो गये ही थे
! ये किसे पता था कि ये मज़े लेने वालो की कड़कड़ाती जनवरी मे बाबा को
अप्रैल फूल बनाने वाली हरकत थी, हद है यार अपनो ने ही बेवजह बाबा की
हैसियत लौकी टाईप करके रख दी ! वो दिन है और आज का दिन है लौकियाँ मुँह
छिपाये घूम रही है !
तब से ही गिलकी और टिन्डे तक लौकियों के मज़े ले रहे है हद तो यह है कि
कद्दू टाईप के गिरे पड़े लोग तक कनखियों से मुस्करा रहे हैं, पद्म वाले
दूध की जली है लौकियाँ और इसीलिये अब इस केबीनेटी छाछ को भी फूँक फूँक कर
पीना चाहती है !
आप लाख कोशिश कर लें, इस बार लौकियाँ पूरी तरह से सावधान है, बाबा को किसी
दरजे मे रख दिये जाने तक उनसे किसी भी प्रकार के बयान की उम्मीद ना ही करे
तो अच्छा होगा,समझने की कोशिश करें आप आखिर लौकियों की भी अपनी इज्जत होती
है !
-मुकेश
नेमा
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