हमारे लेखक
- ग़ज़ाल जैग़म
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– ज़िला सुल्तानपुर उ। प्र। के एक छोटे से गाँव बाहरपूर में‚ जहाँ गंगा – जमनी तहज़ीब आज भी ज़िन्दा है। एक पुरानी रूह ने नये खोल में जन्म लिया।
– ज़मीनदार घराने में मीर अनीस के मर्सियों‚ नज़म आफंदी के नौहों‚ मीर ग़ालिब की ग़ज़लों‚ कुर्रतुलएन हैदर‚ इस्मत चुगताई व कृश्नचन्दर के अफसानों की फिजां में बचपन गुज़रा। रामलीला और उर्स में शामिल होती आंखें‚ रानी सारंगा के किस्से सुनते ।
– बचपन से अब तक कहानियां‚ नज़्में‚ लेख‚ डायरी‚ रेडियो‚ ड्रामे और सफरनामे लिखती रही। प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं हंस‚ धर्मयुग‚ वर्तमान साहित्य‚ आजकल आदि में कई रचनाएं प्रकाशित। पहला कहानी संग्रह ‘एक टुकड़ा धूप का’ ह्य उर्दूहृ सन् 2001 में प्रकाशित
– प्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम के नावेल ‘एक थी सारा’ का उर्दू अनुवाद किया।
चन्द और अनुवाद ।
– शहर इलाहाबाद में स्कूल से कॉलेज तक म्यूर कॉलेज‚ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से तालीम‚ एम।एस सी। ह्यबॉटनीहृ‚ एम। ए।ह्यउर्दूहृ और पूना फिल्म इंस्टीट्यूट से ‘ फिल्म अप्रीसियेशन’।
– हिन्दी रिसाले ‘मनोरमा’ में सम्पादकीय विभाग से जुड़ाव रहा। काफी अर्से तक ऑल इण्डिया रेडियो‚ इलाहाबाद में कैज़ुअल अनाउन्सर और ड्रामा आर्टिस्ट रही।
– फिलहाल सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग‚ उत्तर प्रदेश लखनऊ में फिल्म अधिकारी। सरकारी डॉक्यूमेन्ट्री का निर्माण व निर्देशन।
– प्रकृति से मोहब्बत और पर्यटन का जूनून।
– गौतम बुद्ध की तरह मोक्ष की तलाश।