बतियाती स्त्री के चित्र उपहास के पात्र बने,
अच्छी स्त्रियां कम बोलती हैं ,सुनना उनकी नियति है
कान में बजते रहे सदा ,यही सामाजिक गान।
कहने सुनने की वाचिक परंपरा में कहा -सुनी न हो
इसलिए स्त्री ने सुना ज्यादा, कहा कम।
पति का नाम न लेने वाली स्त्री ने
अक़्सर सुनो -सुनो कह कर पुकारा
पर सुनना उनकी ही नियति रही।
पुरुष उन्हें कम शब्दों में बड़ी बातें समझाते रहे
गृहस्थी के घेरे में झूलाते रहे
पर देश दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर
असीमित संवाद करती एंकर को चाव से देखा-सुना जाता रहा।
अपनी आकांक्षाएं बताती स्त्री हमेशा
एक लंबी चुप्पी से घूरी गयी
या उन्हें सुना गया कुछ देर
पर रिमोट अपने हाथ में रहा।
उनके कानों को सजाने के उपक्रम
सदा कारगर रहे
सुनने की हामी भरते रहे झुमके।

आज झुमके अपनी जगह हैं
पर कान में झूमते हैं ईयर फोन।
वह सुन रही है
पर वह सुन नहीं रही हैं !

3 Replies to “Eid Suno Ei”

  1. बिना विमर्श भी कही जा सकती हैं बड़ी बात। सोनू की यह कविता यही संदेश देती लगती है। बधाई।

  2. विमर्श के बिना भी बड़ी बात कही जा सकती है यह कविता कहती है । बधाई।

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आज का विचार

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।

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