साल  दर साल  कथा कहन निखरता जा रहा है। यह चौथा महत्वपूर्ण साल है। कथा लेखन की बारीकियां सीखने के लिए चर्चित कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा वर्ष 2021 से कानोता कैंप जयपुर में कथा कहन शुरू किया गया।

  कानोता कैंप रिजॉर्ट  के सुरम्य वातावरण की छटा देखते ही बनती है।पंछियों के साथ प्रतिभागियों की उमंगित चहचहाट सुनना सुखद है और वरिष्ठ साहित्यिक विशेषज्ञों को सुनना सोने पर सुहागा है।कल उद्घाटन सत्र का आगाज़ ओम थानवी जी के द्वारा साहित्यिक शिविर क्यों जरूरी के महत्वपूर्ण वक्तव्य के साथ हुआ। देश के पहले हिंदी वेब पोर्टल का इतिहास रचने वाली हिन्दीनेस्ट को नए तेवर,  नए कलेवर के साथ लांच होते देखना सुखद था। अगले सत्रों में  हंस के संपादक संजय सहाय द्वारा साहित्य में नए दौर की तलाश  विषय पर और जानकी पुल फेम प्रभात रंजन ने लैटर्स टू यंग नावलिस्ट मारियो ल्योसा वर्गास  पर विशिष्ट संवाद रखा।बोल्ड दृश्य की साफ्ट सिंफनी में मनीषा कुलश्रेष्ठ  ने  बेहद कुशलता से अपने अनुभवों और लिखते पढ़ते अर्जित ज्ञान को  साझा किया ।उन्होंने विभिन्न लेखकों की कहानियों में आए बोल्ड दृश्य की सरंचना और संवेदनशीलता पर बात की।

उपन्यास का शैल्पिक विधान में प्रभात रंजन ने वरिष्ठ लेखिका अलका सरावगी से संवाद किया। दिन के अंतिम सत्र में कहानी की संरचना पर प्रोफेसर संजीव कुमार ने  प्रतिभागियों से कहानी के विविध प्रश्नों पर सार्थक चर्चा कर उच्च मानक स्थापित किया।

 पहली शाम  निर्मल वर्मा की कहानी तीन एकांत का आखिरी एकांत : वीकेंड की मंच प्रस्तुति थी। कहानी का रंगमंच  पर  प्रभावी प्रस्तुतिकरण डॉ ज्योत्सना मिश्रा और काव्या मिश्रा ने किया ,जिसे दर्शकों की खूब सराहना मिली।

आज शाम मुशायरे की रौनक शीन काफ निज़ाम साहब हैं।#कथाकहन

जयपुर के कानोता कैंप रिजॉर्ट में तीन दिवसीय राइटिंग वर्कशॉप कथाकहन के दूसरे दिन  के पहले सत्र में लोकप्रिय कथाकार संजीव पालीवाल  थ्रिल और रोमांच  की कठिन डगर पर  विषय पर  दिलचस्प  संवाद किया ।उन्होंने प्रतिभागियों को इस संवाद में  शामिल करते हुए  रोचक प्रश्नों के उत्तर दिए।अगला सेशन ग्राफिक उपन्यास के नवाचार पर आधारित था जिसे यंग ग्राफिक नावलिस्ट  कनुप्रिया ने  पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया ।इसमें उन्होंने विदेशों में लोकप्रिय  ग्राफिक नावेल का इतिहास और भारत में  अपने पैर जमाते जा रहे  ग्राफिक  नावेल पर  उदाहरण देते हुए संवाद किया।कथा कहन का तीसरा सेशन एक प्रेम कहानी के भीतर  में लोकप्रिय लेखक गौतम राजऋषि और  ज़िक्र ए यार चले की लेखिका पल्लवी त्रिवेदी ने  पुरानी प्रेम कहानियों से लेकर आज की लोकप्रिय कहानियों पर  चर्चा की ।

लोकप्रिय लेखन में अपना सिग्नेचर कैसे हासिल हो सेशन में ढाई चाल के लेखक नवीन  चौधरी और कुश वैष्णव ने प्रतिभागियों को साहित्य और उसके पाठक और बाज़ार से परिचय कराया।

कानोता कैंप रिजॉर्ट में  कथा कहन कार्यशाला में जयपुर में आमंत्रित विख्यात लेखकों की संगत में दूर दूर से आए प्रतिभागियों के उत्साह के साथ सफलता पूर्वक संपन्न हुई ।  आज तीसरे दिन की शुरुआत सुबह के अनौपचारिक सत्र में  विविध  प्रदेशों के लोकगीतों से हुई ।राजस्थानी ,मैथिली ,गुजराती ,पहाड़ी और ब्रज भाषा के उमंगित लोकगीतों ने  कानोता की सुहानी सुबह के रंगों में रस घोल दिया।अलग अलग प्रदेशों से आए अजनबी प्रतिभागियों  को लोक और लय की मिठास सुवासित कर एकसूत्र में पिरो गई । औपचारिक सत्र ठीक दस बजे शुरू हुआ। कहानी प्वाइंट ऑफ व्यू  में मनीषा कुलश्रेष्ठ,कुश वैष्णव ,उषा दशोरा ने कहानियों को कागज पर उतारते  हुए  लेखक की दुविधा का सूक्ष्म अवलोकन किया ।अगले सेशन में मन ही मनुष्य है विषय पर बोलते हुए प्रसिद्ध मनोविज्ञानी डॉक्टर विनय कुमार  ने मानव के भीतर की सबसे जटिल मशीन मन की क्रियाविधि को पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से पहुंचाया ।

विख्यात  प्रकाशक अदिति माहेश्वरी ने नए लेखकों और प्रकाशकों के मध्य कड़ी जोड़ते हुए लेखकों के पर प्रकाशन के द्वार  सत्र में स्पष्ट किया  कि एक अच्छी लेखन अभिव्यक्ति को ईमानदारी और धैर्य से लेखन की पूर्णता की ओर बढ़ना चाहिए। 

अमूर्तन :कला से साहित्य तक  सत्र में विषय पर  दिलचस्प  संवाद  हुआ ।वरिष्ठ कलाकार एवं लेखक अखिलेश ,लोकप्रिय वरिष्ठ  लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ  से उषा दशोरा ने कलाओं के  अमूर्तं समूह पर चर्चा की ।भोजनावकाश के बाद कथा कहन के विशिष्ट अतिथि अशोक वाजपेयी ने उपन्यास पर कुछ गप्प सत्र में महत्वपूर्ण चर्चा करते हुए  कहा  कि अपने समय की कथा कहना हमारा नैतिक कर्तव्य है ।  

व्यंजना की धार पर सत्र में प्रसिद्ध व्यंगकार मुकेश नेमा और पल्लवी त्रिवेदी ने रोचक संवाद किया । उन्होंने स्वस्थ व्यंग का स्थान लेते जा रहे फूहड़ हास्य पर  कटाक्ष किया।उन्होंने आर के लक्ष्मण के कामन मैन का भी उल्लेख किया । व्यंग के उदाहरण देते हुए 

कार्यशाला  का आखिरी सत्र जयपुर शहर मेरी कहानी में प्रोफेसर दुर्गाप्रसाद अग्रवाल  ने अजंता देव ,लक्ष्मी शर्मा ,उमा ,तसनीम ,उजला लोहिया  की कहानियों में आये पुराने नए जयपुर के  उल्लेख पर विविध प्रश्न पूछे। वक्ताओं ने अपनी कहानी से अंश भी सुनाए।

कथा कहन कार्यशाला के समापन सत्र में  सभी गणमान्य अतिथियों का पुनः आभार एवं प्रतिभागियों के साथ सामूहिक फोटोग्राफ और कार्यशाला भागीदारी प्रमाणपत्र वितरण  किया गया। कानोता कैंप रिसॉर्ट के प्रमुख  बहादुर सिंह राठौड़ ने सभी वरिष्ठ साहित्यकारों  को धन्यवाद दिया।

प्रसिद्ध व्यंगकार मुकेश नेमा और पल्लवी त्रिवेदी ने रोचक संवाद

आज का विचार

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

आज का शब्द

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

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