यह जो तुम ज़रा ज़रा से मुझे मिले हो
बहुत बड़ी दुनिया में
बहुत बड़ी दुनिया है मेरी
इस धकापेल – रेलमपेल भरे बाज़ार में
कभी दिख जाते हो
बादल के ज़रा से टुकड़े या
रंग के मामूली छींटे से‚ तो
दिखनी बन्द हो जाती है सारी चहल पहल
जैसे वृक्ष को दिखता है
अपने तने से चिपका छोटा कीड़ा
पूरे जंगल को अनदिखा करता
जैसे तोते को दिखता है
सिर्फ एक ही पका फल
अपनी बेधती इच्छाओं के साथ
बेधने के लिये
बारिश को दिखता है समूची धरती पर
सिर्फ एक टुकड़ा जबकि
खेत कितने और प्यास से दहकते
जैसे मूर्ति देखती है
अक्षत का दाना एक
या एक फूल गेंदे का
मैं देखती हूँ बहुत बड़ी दुनिया में तुम्हें
जैसे
ईश्वर खुद को देखता है।
कविताएँ
प्रेम और प्रतिबद्धता
आज का विचार
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।