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पत्र
फ़्रांज काफ्का का प्रेम पत्र
19 नवम्बर 1912
प्रिय फिलिस,
मैं आज जो तुमसे मांग रहा हूँ ,वह तुम्हें मेरा पागलपन लग सकता है और मुझे
तो बिलकुल ऐसा ही लगना चाहिए क्योंकि वो मैं ही तो हूँ जिसे तुम्हारे वो
पत्र मिलते हैं । मुझे पता है कि यह तुम्हारे जैसे प्यार में डूबे हुए को
एक बेहद कठिन इम्तिहान में डालना होगा|
तो फिर सुनो ,मुझे तुम हफ्ते में एक बार ही पत्र लिखा करो ताकि वह रविवार
को मुझे मिले, क्योंकि रोजाना मुझमे इतनी हिम्मत नहीं कि तुम्हारे पत्रों
से गुजर सकूँ । मैं सहन नहीं कर पाता उन्हे ! जानना चाहती हो तो सुनो ,जब
मैं तुम्हारे किसी पत्र का जबाव देता हूँ ,एक बनावटी चुप्पी के साथ बिस्तर
पर औंधे लेट जाता हूँ लेकिन मेरा दिल मेरे पूरे शरीर के साथ बहुत तेज़ी से
धडक रहा होता है और मुझे तुम्हारे सिवा कुछ याद नहीं रहता । मुझे इसके सिवा
कुछ याद नहीं रहता कि मैं तुम्हारा हूँ और इस भावना को व्यक्त करने के लिए
इन शब्दों के अलावा मेरे पास कोई और तरीका नहीं , और ये शब्द इतने प्रभावी
नहीं । यही कारण है की मैं ये नहीं जानना चाहता कि तुम क्या सोच रही हो ।
यह मुझे इतनी दुविधा में डाल देता है कि मैं अपने जीवन का भी नियंत्रण खो
देता हूँ । यही वजह है कि मैं यह नहीं जानना चाहता तुम मुझे कितना चाहती हो
। अगर मैं यह जान लूँ तो मैं इतना पागल हूँ कि फिर मैं अपने ऑफिस या घर में
बैठा नहीं रह सकता था बल्कि किसी ट्रेन पर चढ़ गया होता और तब तक अपनी आँखें
बंद रखता जब तक तुम मेरी आँखों के सामने नहीं आ जाती। आह! एक बेहद ही दुखद
कारण है ऐसा नहीं कर पाने का। कम शब्दों में कहूँ तो मेरा स्वास्थ्य जो
सिर्फ मेरे खुद के लिए ही सही है ,लेकिन शादी या पितृत्व जैसी
जिम्मेदारियों के लिए नहीं । फिर भी जब भी मैं तुम्हारा पत्र पढ़ता हूँ मुझे
लगता है कि मैं यह सब नज़रअंदाज़ कर सकता हूँ जो कायदे से मुझे नज़रअंदाज़ नहीं
करना चाहिए |
कैसा हो अगर हम एक दूसरे को हफ्ते में एक ही पत्र लिखें ! नहीं , अगर मेरे
दर्द का यही इलाज़ है तो यह एक बड़ी कीमत नहीं है । और मुझे पहले से ही यह
अनुमान है कि रविवार का एक पत्र सह पाने का सामर्थ्य भी मुझमे नहीं ।
शनिवार के उस खोये हुए अवसर की क्षतिपूर्ति के लिए मैं अपनी बची हुई सारी
ऊर्जा समेत कर कर इस पत्र के अंत में तुम्हें यही कहना चाहूँगा कि अगर हमे
हमारे जीवन की कद्र है तो हम यह सब खत्म कर दें |
क्या यह मेरी आज़ादी का गीत है ? नहीं ,इससे बढ़कर झूठ और क्या हो सकता है ।
नहीं , मैं हमेशा के लिए खुद से ही बंध गया हूँ । मैं यही हूँ और इसी के
साथ जीना सीखने की मुझे कोशिश करनी चाहिए ।
फ्रांज़
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