प्रिय बच्चों,
इस बार आपको मैं बया पक्षी के बारे में बताना चाहता हूँ। बया अद्भुत तूंबीनुमा घोंसला बिनने की कारीगरी के लिए खूब प्रसिध्द है। इसके घोंसले खेतों के आसपास के पेडों से लटकते हुए देखने को खूब मिलते हैं। प्रजननकाल के अतिरिक्त नर और मादा में कोई खास फर्क नहीं होता।दोनो करीब करीब मादा गौरैया जैसे होते हैं। लेकिन इनकी चोंच मोटी और पूंछ छोटी होती है।ये खेतीहर जमीन के आसपास बहुत बडे बडे झुंड़ों में रहते हैं। वे अनाज की पकती फसलों पर धावा मारते है और अकसर जहां तहां काफी नुकसान कर देते है। ये जहां तहां काफी आते जाते रहते है और उनका यह आना जाना मानसून और खेती वह भी धान पर विशेष रूप से निर्भर करता है। ये बडी संख्या में बसेरा करने के लिए नरकुल के भीठों और गन्ने की खेतों में आ जुटते हैं। इनके साथ गौरैया और मैना भी होती हैं। ये आमतौर पर गौरैया की तरह चिट-चिट-चिट जैसे बोलते हैं।

प्रजननकाल में नर इसके साथ लंबी संगीतमय ची-ई की सुखद ध्वनि भी जोड लेता है। बोलते ये साथ मिलकर है और घोंसला बुनते समय अथवा घोंसलों से चिपके हुए साथ में तेजी से पर फडफ़डाते जाते हैं ताकि उस हिस्से में अगर कोई मादा आई हो तो उनकी ओर आकर्षित हो। इस बया और अन्य बयों की घोंसलें बनाने की रीतियां अनोखी हैं। नर एक ही स्थान पर एक के बाद एक करके कई घोंसलें बनाते है और मादा जब वे अधूरे होते है तभी उन्हे ले लेती हैं। इसके बाद ही नर के लगभग एक साथ ही इतनी मादाएं तथा इतने ही परिवार भी होते हैं। लौकीनुमा घोंसला हवा में लटकता झूलता रहता है उसमें प्रवेश की एक लंबी नली सी होती है यह पुआल अथवा मोटे पत्तों वाली घास से खपच्चियां चीर चीर कर घना बुना होता है। वे बबूल या ऐसे ही अन्य पेडों तथा ताड क़े डंठलों से प्राय: पानी के ऊपर एक साथ लटकते होते हैं। तूंबी के अंदर अंडो के स्थान के पास गीली मिट्टी का पलस्तर भी किया होता है पर इसका प्रायोजन क्या है समझ मे नहीं आता। अंडे 2 से 4 तक बिल्कुल सफेद होते हैं।

बयों की काफी आम और लगभग बराबर ही पाई जाने वाली दो अन्य प्रजातियां भी है एक पट्टीदार बया और दूसरा है काले कंठ वाला बया। नरों के प्रजननकालीन परों के कारण इनकी पहचान कर लेना बडा आसान है। पट्टीदार बया की छाती भूरी सी होती है उसपर चटक काली लकीरें पडी होती हैं और खोपडी चमकती पीली होती है। काले कंठ वाले बया की खोपडी सुनहली ग़ला सफेद तथा निचला भाग भी सफेद होता है पर बीच में छाती पर एक चौडी पट्टी पडी होती है। ये दोनो पानी या दलदली भूमि में उगी घास या नरकुल के बीच, बिन बिन कर अपने घोंसले बनाते है।

बच्चों आपको बया के बारे में जानना अच्छा लगा होगा इसी आशा के साथ।

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