प्रिय बच्चों,

जैसा कि मैंने पिछली बार आपसे वादा किया था कि मैं आपको एक और रंगीन खूबसूरत और आस-पास ही दिखने वाली चिडिया के बारे में बताउंगा। वह है हरी-नीली सी चिडिया बी-ईटर। बी-ईटरर्स भी अपनी अलग-अलग शारीरिक विशेषताओं की वजह से चार-पाँच तरह की होती हैं, और उसी अनुसार इनके नाम भी रखे गए हैं, जैसे- चेस्टनटहेड बी-ईटर, ब्लू चीक्ड बी-ईटर, ब्लू टेल्ड बी-ईटर, स्मॉल ग्रीन बी-ईटर, ब्लू बीयर्डेड बी-ईटर। लेकिन मैं इनमें से दो बी-ईटरर्स के बारे में बता रहा हूँ जो कि सामान्यतया हमारे आस-पास मिलती हैं। ब्लू टेल्ड बी-ईटर और स्मॉल ग्रीन बी-ईटर

ब्लू टेल्ड बी-ईटर

बच्चों यह चिडिया बुलबुल जितने आकार की होती है। इसकी आंखो के आस-पास काजल जैसी काली रेखा होती है। इसका गला और धड हल्के भूरे रंग का होता है। बाकि पूरा शरीर प्यारा सा घास जैसा हरा होता है, और हाँ जैसा कि नाम है इसके पीछे का कुछ भाग और इसकी लम्बी तीखी पूंछ नीले रंग की होती है। बडी आकर्षक चिडिया है यह। इसमें नर और मादा चिडिया में कोई खास फर्क नहीं होता है। यह छोटे झुण्डों में झीलों, तालाबों और घने पेडों के आस-पास रहती है।

यह लगभग पूरे भारत में पाई जाती है।इसे खुले हरे मैदानों, जंगलों, झीलों, नदियों के आस-पास रहना पसंद है। पता है न क्यों, अरे भई बी-ईटर जो है, जहाँ ज्यादा खाना वहीं इसका निवास।इसे कीडे ख़ाना ही भाता है।

इसकी आवाज बडी प्यारी सी टी-टयू – टी-टयू होती है। यह मार्च से जून के बीच अपना घोंसला बनाती है। पता है इसका घोंसला कैसा और कहाँ होता है? मैं बताता हूँ। इसका घोंसला एक छोटी सी संकरी सुरंग सा होता है जिसे ये नदी के किनारे शान्त निर्जन कोने में या मिट्टी के टीलों पर मिट्टी या रेत के अन्दर बनाते हैं। इनके घोंसले एक कॉलोनी के रूप में बसे होते हैं। इनके घोंसले आगे से संकरे होते हैं, पीछे जहाँ अण्डे होते हैं वहाँ थोडे चौडे होते हैं। ब्लू टेल्ड बी-ईटर एक बार में 5 से 7 अण्डे देती है जो कि एकदम सफेद होते हैं। नर और मादा ब्लू टेल्ड बी-ईटर दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं, अण्डे सेते हैं और अपने बच्चों को खाना खिलाते हैं, उडना सिखाते हैं।

इसे हिन्दी में बडा पत्रिंगा कहते हैं।

स्मॉल ग्रीन बी-ईटर

इसे हिन्दी में हरियल और पत्रिंगा कहते हैं। इसका आकार गौरेय्या के समान होता है। रंग हरी घास सा चमकता हुआ। इसके सर ओर गले पर कत्थई रंग का हल्का सी परछांई होती है। इसकी पीछे की ओर वाले पर आगे जाकर सुई जैसी पूंछ में बदल जाते हैं। इसकी लम्बी-पतली और जरा मुडी हुई चोंच होती है, जिससे कीडे पकडने में आसानी होती है। इसके गले में एक गहरी काली धारी होती है जो नैकलेस जैसी लगती है। ये भी नर-मादा समान रंग और आकृति के होते हैं। इन्हें जोडे में या छोटे समूह में टेलीफोन के तारों, पेड क़ी टहनियों पर बैठे देखा जा सकता है।

स्मॉल ग्रीन बी-ईटर पूरे भारत में पाई जाती है। इसे खुले हरे-भरे इलाके, बाग, खेत, हलके जंगल, गोल्फ लिन्क आदि में रहना ही पसंद है। कभी कभी नदी के रेतीले किनारे और समुद्र तटों पर भी पाई जाती है। स्मॉल ग्रीन बी-ईटर भी भोजन वही कीट-पतंगे आदि। इसकी आवाज ब्लू टेल्ड बी-ईटर से अलग होती है। टिट-टिट या ट्रीऽऽ ट्रीऽऽ जैसी आवाज निकालती है यह।

इसका नीडन समय फरवरी से मई के बीच होता है। इसके घोंसले भी लगभग ब्लू टेल्ड बी-ईटर जैसे ही होते हैं, नदी किनारे नम मिट्टी में बनी सुरंगनुमा आकृतियाँ। स्मॉल ग्रीन बी-ईटर भी कॉलोनी में घोंसले बनाती है। स्मॉल ग्रीन बी-ईटर एक बार में 4 से 7 अण्डे देती है जो कि एकदम सफेद होते हैं। नर और मादा स्मॉल ग्रीन बी-ईटर भी दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं, अण्डे सेते हैं और अपने बच्चों को खाना खिलाते हैं, उडना सिखाते हैं।

तो बच्चों कैसा लग रहा है आपको चिडियों के बारे में जानना? अब तक आपने बताया नहीं कि आपने मेरे बताए हुए पक्षियों में से किस-किस को देखा? आगे तुम किस पक्षी के बारे में जानना पसंद करोगे लिखना।

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आज का विचार

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

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