प्रिय बच्चों,

इस बार मैं आपको कठफोडवे यानि वुडपैकर से मिलवाने जा रहा हूँ। भारत के जंगलों में यूँ तो कई प्रकार के वुडपैकर मिलते हैं , कोई छोटा तो कोई बडा, कोई पीला तो कोई काला , सबके अलग अलग नाम और विशेषताएं भी हैं, कुछ सम्पूर्ण भारत में मिलते हैं तो कुछ नम और घने जंगलों वाले इलाकों में , कुछ तराई में तो कुछ , पहाडी ऌलाकों में। मैं जिस वुडपैकर के बारे में आपको बताउंगा वह अमूमन पूरे भारत के जंगली या पेडों से भरे इलाकों में मिल जाता है। इसका नाम है लैसर गोल्डनबैक्ड वुडपैकर

है न खूबसूरत पक्षी। थोडा बहुत तो आपने कठफोडवे के बारे में सुना और किताबों में पढा ही होगा। चित्र भी देखे होंगे और अगर आप पेडों से घिरे शान्त इलाके में रहतो हो तो कठफोडवे को देखा भी होगा। कई बच्चे हुदहुद को भी कठफोडवा समझ लेते हैं, पर मैं आपको हुदहुद के बारे में सबसे पहले बता चुका हूँ, वह वुडपैकर से अलग होता है, उसकी चोंच नुकीली और तीखी, पतली होती है। कठफोडवे की मजबूत मोटी और तीखी।

इसका आकार मैना जितना होता है। इसका पीठ वाला हिस्से पर सुनहरा पीला और काले रंग का बडा सुन्दर संयोजन होता है। निचले पर पर सफेद और काले रंग की शेडिंग से सजे होते हैं। गर्दन पर भी काली सफेद रेखाएं होती हैं, सर पर बेहद खूबसूरत सुर्ख लाल क्रेस्ट( या क्राउन या कलंगी कह लो) होता है। मादा लैसर गोल्डन बैक्ड वुडपैकर भी लगभग नर जैसी ही होती है। यह ज्यादातर जोडे में और कभी-कभी अकेला भी दिख जाता है। जैसा कि मैंने पहले कहा इसे जंगलों में और घने पेडों वाले स्थान ही पसंद आते हैं। यह फलों के बागों, शहर के बाहरी इलाकों में दिखाई देता है। खुले पेडों क़े ऊँचे तनों पर ठक-ठक कर तनों की छाल फोड क़र कीडे, क़ाले चींटे , बीटल्स खाना इसका प्रिय शगल है।यह तने पर पंजों की गहरी पकड क़े साथ बैठ जाता है, और सूखी छाल छील कर छिपे हुए कीडे बाहर निकालता है, इस काम के लिये वह पंजों के बल उलटा भी उतर आता है  रिवर्स गेयर  में। कभी कभी यह पके फलों का गूदा भी खा लेता है।

इसकी आवाज तेज और कर्कश होती है, वह भी जब यह उडता है तभी यह तीखी आवाज क़रता है। इसका नीडन काल याने घोंसला बना कर अन्डे देने का समय मार्च से अगस्त तक होता है। यह घोंसला बनाने में कोई खास मेहनत नहीं करता, पेड क़ी कोटर या तने पर किसी अन्य पक्षी के खाली घोंसलों का इस्तेमाल कर लिया करता है। मादा लैसर गोल्डन बैक्ड वुडपैकर 3 या 4 अण्डे देती है और दोनों मिल कर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हैं।

अब जब वुडपैकर देखना हो तो अपने टीचर से किसी ऐसे स्थान पर पिकनिक ले जाने को कहना जहाँ पेड हों और वुडपैकर के साथ साथ अन्य पक्षियों को देखकर मुझे ज़रूर बताना। एक खास बात और ! देखो बच्चों पक्षियों को पेड पसंद हैं और आप जानते हो हमारी फालतू जरूरतों को पूरा करने के लिये रोज हजारों पेड क़ट रहे हैं, यही हाल रहा तो पक्षी कहाँ जाऐंगे? आप तो छोटे हो इस के लिये कुछ नहीं तो बस इतना कर सकते हो कि अपनी नोटबुक्स सही और सीमित इस्तेमाल करो, फालतू कागज फ़ाडना बंद कर सकते हो। कर सकते हो ना इतना तो प्रिय पक्षियों के लिये? क्योंकि कागज हमें पेडों से प्राप्त होता है। अब अगले अंक में मिलते हैं एक और पक्षी के साथ।

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आज का विचार

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।

आज का शब्द

द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।

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