जब नई नई दुनिया बनी थी तब की बात है, सारे जानवर बस भूरे हुआ करते थे किसी के पास खास रंग, धारियां या धब्बे, ज्यादा फरदार खाल, सुन्दर सींग आदि नहीं हुआ करते थे। सब साधारण से भूरे। दरअसल ईश्वर और उनके सहयोगी इसी काम में तो व्यस्त थे कि वे इनके लिये तरह तरह के बडे छोटे मुडे हुए, तीखे, भोंथरे सींग तथा कई रंगों और शेड्स के कम फर ज्यादा फर वाले कोट बना रहे थे। बहुत मेहनत के बाद जब उनका काम खत्म हो गया तो उन्होंने झील के किनारे पास ही एक गुफा में रख कर गुफा का दरवाज़ा बन्द कर दिया।
ईश्वर ने सभी जानवरों तक संदेश पहुंचा दिया कि सारे जनवर जो घास के मैदानों में रहते हैं, वे कल सुबह तक गुफा में पहुँच जाएं और अपनी अपनी पसन्द का फर कोट और सींग चुन लें। मगर वही फर और सींग चुने जो उनके लिये सुविधाजनक हो और उनपर सुन्दर भी लगता हो। सारे जानवरों में उत्साह की लहर दौड ग़ई, सब के सब बडे उत्सुक कि न जाने ईश्वर ने हमारे लिये कैसा फरकोट और सींग बनाये होंगे। सब बातें करने लगे।
लेकिन जेबरा का ध्यान सिर्फ भोजन में था, उसके हिसाब से जिन्दगी का दूसरा नाम ही भोजन हो जैसे। वैसे भी वह सारे जानवरों में पेटू और भुक्खड क़े नाम से प्रसिध्द था। जब सारे जानवर सुबह की पहली किरण के साथ ही उठे और झील के किनारे की ओर चल पडे ज़ेबरा उनके साथ नहीं था। वह तो लम्बी सैर पर निकल चुका था जहां हरी हरी बढिया घास के मैदान थे, वह सोच रहा था सारे जानवर फर और सींगों को लेकर इतने उत्तेजित क्यों हैं, इसमें ऐसी क्या बडी बात है। हालांकि दो एक जानवरों ने उसे कहा भी कि चलो हमारे साथ तो उसने कहा था कि तुम लोग चलो मैं बीच में ही पहुंच जाऊंगा, अभी मुझे और भी जरूरी काम है। वह जानवर समझ गये कि यह अब भी खाने के चक्कर में है।
कुछ घण्टों बाद जब उसने छक कर हरी घास खा ली तब उसने सोचा कि चलो वह फर और सींग का काम भी कर ही लिया जाएऔर वह भरे पेट, अलसाता हुआ जानवरों के बनाए खुरों के निशानों के सहारे धीरे धीरे चलता हुआ झील के पास वाली गुफा के पास पहुंचा, उसने देखा कुछेक जानवर अब भी अपने अपने फर और सींग पहन कर लौट रहे थे, उनमें आए सुन्दर बदलाव को देख कर वह आश्चर्यचकित रह गया। हाथी ने गहरा काला सा कम बालों वाला कोट चुना था, पर उसके साथ जो उसने सींगों की जगह दो सफेद अत्यंत आकर्षक लम्बे दांत चुने थे उनसे वह बेहद अच्छा लग रहा था।
शेर ने सुनहरे पीले फरकोट के साथ लम्बे बालों वाली अयाल चुनी जो कि शाहाना लग रही थी। सेबल चमकीला काला फर और घुमावदार सुन्दर सींगों को पहन इतराता हुआ, उसके सामने से निकल गया। एक के बाद एक कई जानवर जेबरा को बिना देखे अपने एकदम नये सुन्दर स्वरूप में उसके सामने से निकल गये, जैसे उसे पहचाना भी न हो। जैसे ही जेबरा गुफा के अन्दर घुस रहा था उसने देखा कि वहां गैंडा खडा है। एक तो वैसे ही उसकी दूर की नजर कमजोर है, उस पर उसने वह बडा कोट उठा लिया जो उसके जिस्म पर ढीला आता था, पर वह खुश था कि आखिरकार पीछे छूट जाने पर भी उसने अपने लिये एक कोट चुन ही लिया, जो कि बहुत आकर्षक न था, ढीला भी था। फिर उसे वहां आखिर में बचे दो अलग अलग आकार के सींग मिले और उन्हें उसने अपनी नाक पर चिपका लिया, हालांकि वह बहुत अजीब सा दिखाई दे रहा था पर वह अपने आप पर बडा खुश होकर गुफा से बाहर चला गया।
जब वह चला गया तो जेबरा ने गुफा में नजर डाली वहां कुछ नहीं था। बस एक सफेद काली धारियों का बडा शोख सा कोट पडा था कोने में दबा कुचला सा, ओह लेकिन सींग तो कहीं थे ही नहीं। इतनी देर चलते रहने और गुफा में कोट ढूंढने के बाद उसे फिर भूख लग आई थी। तो उसने जल्दी से वह बडी बडी धारियों वाला कोट उठाया और चढा लिया। यह अजीबो गरीब धारियों वाला कोट उसे बहुत अच्छी तरह फिट आया था। भूख की वजह से उसने यह तक नहीं सोचा कि यह कितना अलग सा अजीब सा है, पर सींग न मिलने की वजह से वह थोडा उदास था पर हरी घास की कल्पना में वह यह बात भी जल्दी ही भूल गया।
जब वह मैदानों में पहुंचा तो सारे जानवर एक दूसरे के नये स्वरूप की तारीफें कर रहे थे। उसने उपेक्षा से उनकी तरफ देखा तक नहीं और नीचे सर कर दूर खडा घास चरने लगा। किन्तु उसकी चमकती काली सफेद धारियों को जल्दी ही दूसरे जानवरों ने दूर से ही देख लिया। वे सारे पास आ गये और उस पर हंसने लगे।
” देखो देखो लालची जेबरा को और उसके नये मजेदार कोट को, और सींग! अरे वो तो हैं ही नहीं।”
बारहसिंघा चिल्लाया। फिर सारे जानवर साथ चिल्लाने लगे। ” बिना सींग वाला लालची जेबरा”
जेबरा ने ध्यान ही नहीं दिया इस शोर पर, क्योंकि वह सोच रहा था, सींगों का उसे काम भी क्या है? उसे कौनसा किसी को मारना है या डराना है, उसे तो हरी घास प्यारी है।
आज भी वह बस अपने धारीदार कोट के साथ बिना सींगों के काम चला रहा है, वह हमेशा घास ही चरता रहता है ।