मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

दिल्ली का गुडियाघर

बच्चों क्या आपने दिल्ली का गुडियाघर देखा है? दिल्ली के नेहरू भवन में स्थापित यह विशाल गुडियाघर आप बच्चों को चाचा नेहरू का उपहार है. इस गुडियाघर की शुरुआत तो प्रसिध्द कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लै ने की थी, उनकी कोशिशों के बिना गुडियाघर नहीं बन सकता था, पर चाचा नेहरू के भी प्रयासों के बाद आज ये संसार के मशहूर संग्रहालयों में गिना जाता है.

कार्टूनिस्ट शंकर नेहरू जी के साथ रहने वाले पत्रकारों के समूह में थे जब नेहरू जी प्रधानमंत्री थे. वे चाचा नेहरू के साथ देश विदेश जाते और वहां से तरह तरह की गुडियाएं इकट्ठी करते. जब उनके पास 500 गुडियां इकट्ठी हो गयीं तब उन्होंने उन्हें देश भर के बच्चों को दिखाना चाहा और उन्होने देश के कई स्थानों पर बच्चों के चित्रों के साथ इन गुडियों की प्रर्दशनियां भी आयोजित कीं. लेकिन इस प्रयास में उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पडता था. बार बार बांधने, खोलने और यहां से वहां ले जाने में उन गुडियों की टूर्टफूट हो जाती जिससे शंकर को बहुत दु:ख पहुंचता.

ऐसे ही एक बार चाचा नेहरू दिल्ली में उनकी प्रदर्शनी देखने बिटिया इंदिरा के साथ पहुंचे. तब शंकर ने गुडियों को हुए नुकसान के बारे में उन्हें बताया. तब चाचा नेहरू ने उन्हें सुझाव दिया कि क्यों न इन गुडियों का कोई स्थायी संग्रहालय बना दिया जाए. तब इसके बाद जब दिल्ली में चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट के भवन का निर्माण हुआ तब उसका एक भाग गुडियाघर के लिये सुरक्षित कर दिया गया.

बहादुरशाह जफ़र मार्ग पर बने इस भवन में यह गुडियाघर 5185 वर्गफीट स्थान में फैला है, जो दो हिस्सों में बंटा है. हर 1000 फीट की लम्बाई में दीवारों पर 160 से ज्यादा कांच के केस बने हुए हैं. एक हिस्से में इंग्लैण्ड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड और अन्य यूरोपीय देशों की गुडियाएं प्रदर्शित की गई हैं, वहीं दूसरे हिस्से में ऐशियाई देशों, मध्यपूर्व, अफ्रीका तथा भारत की गुडियाएं सजा कर रखी गई हैं.

इस गुडियाघर की शुरुआत 1000 गुडियों से हुई थी आज यहां देर्शविदेश की 6500 गुडियाओं का संग्रह है. अगर आप दिल्ली जाएं तो इसे देखना न भूलना.

- गरिमा
दिसम्बर 2, 2001

Top
 

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com