मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

शेर फल क्यों नहीं खाता है?
इस के उत्तर में मुझे एक अफ्रीकी जनजाति की कहानी याद आती है -

एक मबावा नाम का एक सियार था, एक दिन उसने फलों से लदे था नामक पेड क़ो खोज निकाला उसने पेड से गिरे पके रसीले फल इकठ्ठे किये और बस उनका स्वाद लेकर खाने बैठा ही था कि उसे दूर से आती शेर की दहाड सुनाई दी उस चतुर सियार ने सोचा कि -
'
लगता है शेर भूखा है, ऐसा न हो कि वह इधर ही चला आए और ये मीठे फल मुझसे छीन कर खा जाए। वह चिन्तित हो गया कि सभी जानते हैं कि शेर तो जंगल का राजा है, और राजा होने के नाते उसकी भूख बहुत ज्यादा है और वह सबके खाने को छीन कर खाने को अपना अधिकार समझता है उससे ना करने की किसी की हिम्मत तक नहीं होती

शेर की दहाड अब पास से आती सुनाई दी, लेकिन अब तक चतुर सियार ने शेर से था के रसभरे मीठे फलों को बचाने की तरकीब खोज निकाली थी जैसे जैसे शेर पास आ रहा था मबावा ने जल्दी जल्दी फलों के ढेर को खाना शुरु कर दिया, उसे पता चल गया कि शेर उसे लालचियों की तरह जल्दी जल्दी खाते हुए देख रहा है, तब अचानक वह जमीन गिर पडा और छटपटाने लगा और कराहने लगा फिर छटपटा कर मृत जानवर की तरह शांत और स्थिर हो गया, आखें भी उसने एक जगह टिका दीं

शेर ने सोचा कि जरूर ये फल जहरीले होंगे तभी ये बेवकूफ सियार इन्हें खाकर मर गया है शेर अपने रास्ते लौट गया उसके नजरों से खूब दूर चले जाने के बाद मबावा उठा, उसने बचे हुए रसीले था के फल खाये और उसे याद आया कि पास ही नाले के पास एक दूसरे सियार का कंकाल पडा है वह उसे उठा लाया और फलों के छिलकों के पास उसे पटक दिया, ठीक वहा जहा उसने अपने मरे हुए होने का नाटक किया था अपनी तरकीब पर खुश होता हुआ सियार अपनी गुफा में लौट गया

जब कुछ सप्ताह बाद शेर था फल के पेड क़े पास से गुजरा तो पेड उसी तरह लाल रसीले फलों से लदा था, उसकी भूख जग आई वह कुछ कदम बढा पर वह ठिठक गया वहा बेचारे लालची सियार का कंकाल पडा था उसे गिध्द नोच रहे थे उसे याद आ गया कि ओह यह तो मबावा का कंकाल है वही यहा लालची की तरह इन फलों को हबड हबड ख़ा रहा था, फिर छटपटा कर गिर गया था उसने कसम खाई कि वह अब कभी किसी पेड क़ा फल नहीं खाएगा

तब का दिन और आज का दिन शेर ने था पेड क्या किसी पेड क़े फल खाने से तौबा कर ली इससे सियार और अन्य झाडियों में रहने वाले छोटे छोटे जानवरों को बडी ख़ुशी हुई कि राजा होने के नाते शेर कम से कम उनके खाने पर अब हाथ नहीं साफ कर पाएगा अब उन्हें अपने फल शेर के साथ नहीं बाटने अब वे जितना जी चाहें फल खा सकते हैं

तो अफ्रीकन कहानी के अनुसार ऐसे शेर ने फल खाना छोडा

- गरिमा
जनवरी 30, 2002


चीता कैसे बना सबसे तेज धावक 
जिराफ की गर्दन लम्बी कैसे हुई?
पहला जेबरा  
शेर फल क्यों नहीं खाता है? 
शुतुरमुर्ग की बेवकूफी

Top
 

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com