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मोर प्रिय बच्चों,
इसका आकार तो आप जानते ही हैं कि यह एक बडा पक्षी है, गिध्द से भी बडा। इसके आकर्षक रंगीन पंखों की लम्बाई लगभग 1 से 1 5 मीटर होती है। किन्तु मोरनी को प्रकृति ने इतने सुन्दर पंख नहीं दिये हैं, हालांकि मोर के सर पर मुकुट जैसी जो खूबसूरत कलंगी होती है वह मोरनी के सिर पर भी होती है। मोर की लम्बी गर्दन पर सुन्दर नीला मखमली रंग होता है, किन्तु मोरनी की गर्दन हरा रंग चमकीला पन लिये होती है। पूरे भारत में इनका वितरण है। इन्हें वैसे नदी व जलस्त्रोतों के पास वाले जंगल पसंद होते हैं। ये अकसर घने पेडों वाले ईलाके में रहते हैं। और भावनात्मक तौर पर भारत के गाँवों में इन्हें जो स्नेह दिया जाता है उसके तहत ये निडर होकर गाँवों की गलियों में घूमते रहते हैं। कई बार राजस्थान के शहरी इलाकों में आराम से सडक़ पार करते दिखाई दे जाते हैं और इनके लिये ट्रेफिक तक रुक जाता है। एक मोर और चार पाँच मोरनियाँ का एक समूह होता है। जिसमें कभी कभी कुछ अपरिपक्व मोर भी अपनी माँ के साथ घूमते दिखाई दे जाते हैं। ये बहुत सतर्क होते हैं। ये उडते बहुत कम हैं। जब आपात की स्थिति हो तब या फिर एक पेड से दूसरे पेड तक, नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक। रात्रि विश्राम के लिये ये एक बडे घने पेड क़ा आसरा लेते हैं। इनका प्रिय भोजन अन्न के दाने, कोमल तने व पत्ते, कीडे, साँप, छिपकलियाँ आदि। आपकी तरह मोर को भी वैरायटी फूड पसंद है। कई बार ये खेतों का भी नुकसान कर जाते हैं। इसकी आवाज तो पता है नापियाउऽऽ पियाउऽऽ और कभी कभी काँऽऽकी ध्वनि भी अन्तराल के साथ निकालता है। जब ये आवाज क़रता है तो अपनी गर्दन आगे पीछे करता है। जब इसे मोरनी को आकर्षित करना होता है तब यह अपने पंख फैला कर बडा सुन्दर मगर धीमी गति का नृत्य करता है। इसके नृत्य को देखकर मानव इतना प्रभावित हुआ है कि मयूर नृत्य को हमने नृत्य में शामिल कर लिया है। इसका नीड बनाने का समय जनवरी से अक्टूबर तक होता है। इसका घोंसला अकसर घनेरी झाडियों के बीच जमीन पर बना होता है, जिन्हें यह पत्तियों और डण्डियों से बनाता है। एक बार में यह 3 से 5 अण्डे देता है। इसके अन्डे चमकीले मगर पीलापन लिये सफेद होते हैं। तो बच्चों, यह थी मोर के बारे में कुछ जानकारी।अगली बार एक और आस पास के पक्षी के बारे में आपको बताउंगा।
तुम्हारा
मनोज अंकल
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