मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
साक्षात्कार |
सृजन |
डायरी
|
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
भारत की हृदय स्थली
इस दृश्य
के लिये कैप्टन जे फोरसिथ ने अपनी किताब हाई लैण्डस ऑफ सैण्ट्रल इंडिया
में लिखा है कि ऐसा सुन्दर दृश्य देख
आँखे
थकती नहीं जब इन शफ्फाक चट्टानों से सूर्य की किरणें छनछन कर,
टकरा कर पानी पर पडती हैं. इन सफेद चट्टानों की
ऊँची
नुकीली
पंक्तियां
नीले आकाश और गहरे नीले पानी के बीच अपनी रूपहली आभा लिए दूर तक दिखाई देती हैं।
कहीं धूप,
कहीं छांव
का
यह मोहक खेल और दूर तक फैली शान्ति आपको अलग ही दुनिया में ले जाती है।
इन
चट्टानों में बहती नर्मदा नदी का पाट इन चट्टानों के अनुरूप घटता बढता रहता है।
कहीं
संकरी
तो कहीं चौडी।
यहाँ
नौका विहार
की सुविधा नवम्बर माह से मई तक होती है।
यहाँ
भेडाघाट
में धुंआधार फाल्स एक और देखने योग्य स्थान है।
बांधवगढ
नेशनल पार्क( जबलपुर से
164
किमी, खजुराहो से 237
किमी) उज्जैन
में मन्दिरों की भरमार है,
इनमें से अधिकांश प्राचीन काल के और ऐतिहासिक हैं।
इन
मन्दिरों का जीणोध्दार समय-समय पर होता रहता है।
महाकालेश्वर का प्रसिध्द शिवम्न्दिर हर समय भक्तों की भीड से
अटा
रहता है।
इस
मन्दिर का विशाल शिवलिंग और मन्दिर का स्थापत्य और माहौल आपको किसी रहस्यमय लोक
में
पहुंचा
देता है।
भारत के पूजनीय कवि कालिदास की ये रचनास्थली भी है।
यहाँदेखने
योग्य स्थानों में महाकालेश्वर,
बडे ग़णेश जी का म्न्दिर,
चिन्तामन गणेश, पीर मत्स्येन्द्रनाथ,
भर्तहरी की गुफाएं, कालियादेह
महल, काल भैरव, वेधशाला,
नवग्रह मन्दिर, कालिदास अकादमी
आदि प्रमुख हैं।
माण्डू के महल - ( इन्दौर से
99
किमी दूर)
मध्यभारत का मध्य ओरंगजेब
की मृत्यु के बाद जब दिल्ली में अशान्ति और अनिश्चितता का माहौल था तब दोस्त
मोहम्मद पलायन कर
यहाँआया
और उस समय की गोण्ड रानी कमलापति की सहायता की और उसका हृदय भी जीत लिया।
भोपाल की जुडवां
झीलों के बारे में किवदन्ती है कि यह रानी कमल भोपाल पुरातन और नवीन का एक सुन्दर मिश्रण है। पुराने शहर में स्थित पुराने बाजार, मस्जिदें और महल आज भी उस काल के शासकों के भव्य अतीत की याद दिलाते हैं। सुन्दर पार्क और गार्डन, लम्बी चौडी सडक़ें,आधुनिक इमारतों के कारण आधुनिक भोपाल भी बडा प्रभावशाली है।
दर्शनीय स्थल
-
ताज उल मस्जिद,
जामा
मस्जिद,
मोती मस्जिद,
शौकत
महल,
सदर मंजिल,
गौहर
महल,
भारत भवन,
स्टेट
म्यूजियम,
गाँधी भवन,
वन
विहार और लक्ष्मी नारायण मन्दिर। अपर और लोअर लेक तथा मछली घर भी दर्शनीय हैं। सांची पहाडी ख़ण्डों में बँटी है। सबसे नीचे के खण्ड में दूसरा स्तूप स्थित है जबकि पहला और तीसरा स्तूप और पाँचवी शती में निर्मित गुप्त कालीन मंदिर न17 और सातवीं शती में निर्मित मन्दिर न 18 बीच के हिस्से में स्थित हैं और बाद में बनी बौध्द मॉनेस्ट्री शिखर पर स्थित है। दूसरा स्तूप बौध्दकालीन मूर्तिकला का प्रतिनिधित्व करता है, इसमें बुध्द के जीवन और उस काल की प्रमुखा घटनाओं पर आधारित कलाकारी की गई है। इन स्तूपों के प्रवेश द्वार देखने योग्य हैं। दर्शनीय स्थलों में स्तूप प्रथम, चार प्रवेश द्वार, स्तूप द्वितीय, स्तूप तृतीय, अशोक स्तम्भ, बौध्द विहार, विशाल पात्र, गुप्त कालीन मन्दिर और संग्रहालय प्रमुख हैं। भीमबेटका - भीमबेटका विन्ध्याचल पहाडियों के उत्तरीय छोर पर स्थित एक गाँव है। यह स्थान बडी-बडी चट्टानों से घिरा है। हाल ही में इन चट्टानों में बने पूर्व पाषाण युग की गुफाओं में बने हुए छह सौ से भी ज्यादार् भित्तिचित्रों का पता चला है। संसार में अब तक पाये जाने वाले पूर्व पाषाण युगीनर् भित्तिचित्रों का सबसे बडा संग्रह इन्हीं गुफाओं में है। मध्यप्रदेश में पर्यटन की संभावनाएं अथाह हैं, अब भी बहुत कुछ ऐसा है जो इस सीमित लेख के दायरों में नहीं समा पा रहा। इस सत्य का अनुभव आप यहाँआकर ही कर सकते हैं, अनेकों अनछुए, अव्यवसायिक पर्यटन स्थल हैं जिन्हें खोज आप रोमांचित हो सकते हैं। —
कुमारी अचरज |
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |