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पिरामिडों के पार हम कुवैत मे रहनेवालों को दिसंबर जनवरी के सुहावने मौसम में छुट्टी के दिन समन्दर किनारे बैठे पिकनिक मनाने में मजा आता है। ऐसे ही एक छुट्टी का दिन हमारे घरेलू मित्र परिवार के साथ मनाया जा रहा था।पिकनिक का मजा लेते हुए बात चली कहीं घूमने की और सोचते सोचते इजिप्ट का नाम सामने आया। सभी पिरॅमिड के नामसे उछल पडे। देखते देखते वहीं प्रोग्राम बन गया। एक हफ्ते के लिये जाना तय हुआ।
लक्सर टेम्पल के सामने लेखिका अपने पति विकास जोशी के साथ हम अपने एक मित्र परिवार के साथ छुट्टीका इन्तजाम करके महीने भर में इजिप्ट के लिये रवाना हो गये। इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले मेरे पतिदेव ज़रा ज्यादा ही खुश थे। सबकी सुविधा से प्रोग्राम बनाया गया। इजिप्ट का वीसा यहीं कुवैत में मिला। सबसे पहले लक्सर पहुँचे। हवाई जहाज से उतरते ही पता चला कि इजिप्ट समृध्द देश नहीं हैं। इजिप्ट याने रेगिस्तान, लेकिन नाइल नदी के कारण हरा भरा भी हैं। वहाँ हरियाली की गोद से निकलते छोटे छोटे झरने देख के दिल खुश हो गया।सबसे पहेले कारनाक और लक्सर मन्दिर देखने गये। डॉ रगब म्यूजियम नाइल नदी में बोट पर बनाया गया है।इजिप्ट की खासियत पपायरस नाम के पौधे से बने पेपर पर किया गया पेन्टिग है। असली पेन्टिग इस म्यूजियम से खरीदे जा सकते है।
dUसरे दिन राजे रामसेस और तुतनखामन के मकबरे देखने गये। तुतनखामन एक रामसेस का बेटा था जो बहुत ही कम उम्र में गुजर गया।सुननेमें जरा अटपटा सा लगता हैं लेकिन उस जमाने में राजे महाराजे पहेले से ही अपने मरने के बाद की तैयारी कर के रखते थे। इसलिये जितना राजा बडा उतना पिरॅमिड बडा । सबकी ममीयां यहां पहले रखी हुई थी जो अब कैरो म्यूजियम में रखी हैं। रानी नेफ्रेतीती के मकबरे में सीधे जानेकी इजाजत तब भी नहीं थी आज भी नहीं है।
अवशेष में बचा हुआ
4000
साल पुराना मजदूर लोगों का
गाँव
भी देखने लायक हैं ।
उससे उनके रहन सहन
का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नाइल नदी
को पार करके गीझा में पिरॅमिड हैं।विश्व
के सात अजूबों में से एक के सामने हम खडे थे इस पर यकीन करना नामुमकिन सा
लग रहा था।कितने
भव्य! कितने दिव्य! रेतमें थोडा मज़ा
ऊँट
की सवारी का लेकर आखिरकार
हम पिरॅमिड के बगलमें
पहुंच ही गये।
यहां
सबसे बडा पिरामिड
460 फूट
ऊंचा
हैं।
अन्दर जानेका
रास्ता जरा मुश्किल सा है।
4फुट
की ऊंचाई
होनेसे झुक के जाना पडता है।
ऊपर बडा सा कमरा है
वहां
ममी रखी गयी होगी।
जब इजिप्ट जाते हैं तो डा रगब का फेरॉनिक विलेज भी देखना जरूरी सा हो जाता है। नाइल नदी पर ही बनाया हुआ यह गाँव बोट में घूमके देखना होता है। यह गाँव उस समय खेती कैसे की जाती थी, ममी बनाने की पध्दति, पिरॅमिड कैसे बनायें गये होंगे इसकी जानकारी के बारेमें काफी कुछ कह जाता हैं।
इजिप्ट के
आखरी पडाव में हमें नाइल नदी में होनेवाली रात की बोट की सफारी पर जाना था।इस
सफर का मजा वहां
के बैंड और साथ में
नाचनेवाली बेली डान्सर से ही है।
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दीपिका जोशी
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