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अपने क्रोध को समझें

तर्क गुस्से को कम करता है, क्योंकि गुस्सा जब जायज होता है तभी आपे से बाहर हो जाता है अत: गुस्से की अवस्था में स्वयं से तर्क करें स्वयं को याद दिलायें कि '' सारी दुनिया आपके हिसाब से नहीं चल सकती आप बस रोजमर्रा की जिन्दगी के कुछ कठिन हिस्सों के रू ब रू हो रहे हैं'' यह हमेशा अपने आपको याद दिलाएं, यह गुस्से के कोहरे में से आपके अपने स्व की पहचान के लिये आवश्यक है इससे आपके विचार संतुलित होंगे क्रोधित व्यक्तियों की मांग होती है: न्याय, सराहना, सहमति और अपना मनवांछित करने की इच्छा हर कोई यह सब चाहता है, हम सब आहत होते हैं जब हमें यह सब नहीं मिलता, पर क्रोधित व्यक्ति इन चीजों की अपेक्षा करता है जो कि इस विपरीत लोगों से भरी दुनिया में संभव नहीं, ऐसे में उनकी असंतुष्टी क्रोध में बदल जाती है

 

हम सभी जानते हैं कि क्रोध क्या है, हम सभी इसे महसूस भी करते हैं चाहे वह सतही नाराजग़ी हो या पूरा उफनता हुआ गुस्सा क्रोध एक आम, स्वस्थ मनोभाव है, किन्तु जब यह हमारे बस के बाहर हो जाता है तब यह विनाशकारी हो जाता है, इससे समस्याएं जन्म लेती हैं, चाहे वे समस्याएं कार्यक्षेत्र में हों या व्यक्तिगत सम्बंधों में, यह जीवन को हर तरह से प्रभावित करता है और हम महसूस करते हैं कि हम किसी अनजाने शक्तिशाली मनोभाव के दास मात्र होकर रह गये हैं यह आलेख आपके लिये क्रोध को जानने और इस पर सयंम रखने की दिशा में एक सहायक प्रयास साबित हो सकता है

क्रोध आखिर है क्या?

चार्ल्स स्पिलबर्गर, पी एच डी, (जो कि एक मनोवैज्ञानिक ही नहीं, इन्होंने क्रोध पर विशेष अध्ययन किया है) के अनुसार क्रोध एक ऐसी भावनात्मक अवस्था है जिसमें तीव्रता के पैमाने पर विभिन्न अवस्थाएं होती हैं, जैसे कि खीज, तेज गुस्सा या भयंकर क्रोध अन्य भावनाओं की तरह क्रोध भी शारीरिक और जैविक बदलावों से जुडा होता है जब आप नाराज होते हैं तब आपके दिल की धडक़नें बढ ज़ाती है और रक्तचाप बढ ज़ाता है और साथ साथ आपके एनर्जी हारमोन्स एड्रेनेलिन और नोराड्रेनेलिन का स्तर भी बदल जाता है गुस्सा आन्तरिक और बाह्य दोनों कारणों से आ सकता है आप किसी व्यक्ति विशेष पर नाराज हो सकते हैं जैसे कि कोई सहपाठी या शिक्षक, और किसी घटना जैसे कि ट्रैफिक जैम या रद्द हो चुकी उडान पर या फिर आपका गुस्सा अपनी ही व्यक्तिगत परेशानियों की वजह से उभर सकता है, किसी यंत्रणादायी घटना का स्मरण या क्रोधित कर देने वाली बात का स्मरण भी आप में क्रोध की भावना को हवा दे सकता है

सिर्फ इतना कहें

क्रोध को दर्शाने का प्राकृतिक तरीका है, आक्रामक होना और किसी खतरे की प्रतिक्रिया में क्रोध नितान्त प्राकृतिक भाव है जो कि हमें अपनी शक्ति, आक्रामकता, अनुभूति और व्यवहार को अभिव्यक्त करने को प्रेरित करता है कि हम स्वयं पर आक्रमण होने की स्थिति में लडने को तैयार हो जाते हैं
एक निश्चित मात्रा में क्रोध हमारे अस्तित्व की रक्षा के लिये आवश्यक भी है और दूसरी ओर हम किसी भी व्यक्ति या वस्तु पर जो हमें चिढाए या गुस्सा दिलाये बेवजह हिंसक भी नहीं हो सकते क्योंकि कानून, सामाजिक व्यवहारिकता की सीमाएं होती हैं क़ि हम किस हद तक अपने गुस्से को जाहिर कर सकते हैं

आमतौर पर लोग अपनी नाराजग़ी को जताने और दबाने के लिये विभिन्न चेतन और अवचेतन प्रक्रियाओं का सहारा लेते हैं जैसे कि क्रोध की अभिव्यक्ति, संयम और धैर्य

आक्रामक हुए बिना अपने क्रोध के भाव को दृढता पूर्वक अभिव्यक्त कर देना, सबसे स्वस्थ तरीका है अपने क्रोध को जताने का यह अभ्यास से ही आता है कि आप अपनी आवश्यकताएं और अपनी पसंद नापसंद बिना किसी को आहत किये जता दें और वे मान भी लें और आपकी अनुभूतियों का सम्मान करें दृढ होने का यह कतई अर्थ नहीं है कि आप किसी पर बेजा दबाव डालें या अपनी मांगें किसी पर थोपें, इसका अर्थ है कि आप अपना और दूसरों का सम्मान करना सीखें

नि:संदेह क्रोध दबाया जा सकता है, फिर उसे बदल कर अन्य दिशा दी जा सकती है
ऐसा तब संभव है जब आप इस बारे में सोचना छोड दें और अपनी ऊर्जा किसी सकारात्मक कार्य में लगायें यहां उद्देश्य यह है कि अपने क्रोध को दबा कर या छिपा कर इसे सकारात्मक व्यवहार में बदल दिया जाए किन्तु इस तरह की प्रतिक्रिया में खतरा इस बात का है कि अगर आप इसे बाहर सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से व्यक्त न कर सके तो यह आपके अन्दर जाकर हताशा, तनाव और उच्च रक्तचाप की वजह बन सकता है

अभिव्यक्त न किया जा सका क्रोध अन्य कई समस्याओं को जन्म दे सकता है यह किसी और तरीके से बाहर आएगा जैसे कि अक्रिय और सक्रिय आक्रामक व्यवहार या असंतुलित व हिंसक मानसिकता वाले व्यक्तित्व के रूप में वे लोग जो लगातार लोगों को नीचा दिखाते रहते हैं, हर चीज क़ी निन्दा करते नजर आते हैं और अजीबोगरीब टिप्पणियां करते रहते हैं ये वही लोग होते हैं जो अपने क्रोध को सकारात्मक दिशा देना न सीख सके होते हैं इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि उनके सम्बंध किसी से भी बहुत अच्छे नहीं होते

अन्तत: आप अपने भीतर ही क्रोध को शान्त कर सकते हैं
इसका अर्थ यह है कि आप अपने व्यवहार में संयम बरतें किन्तु ऐसे में आप अपने प्राकृतिक क्रोध और आन्तरिक प्रतिक्रिया को भी शान्त करना होगा, अपने हृदय की तेज धडक़नों को भी स्वयं को समझा कर सहज करना होगा स्वत: ही क्रोध ठण्डा हो जाएगा जैसा कि डॉ स्पिलबर्गर कहते हैं कि जब इन तीनों प्रणालियों में से एक भी काम न करे तो यह वह समय है जब कोई व्यक्ति या वस्तु आहत होने जा रही है

ऐसे में कैसे निबटा जाए

क्रोध को निबटने की प्रणाली का मुख्य उद्देश्य है कि गुस्से से उपजे भावनात्मक और शारीरिक उफान को कम किया जाए आप गुस्सा दिलाने वाले कारणों - व्यक्तियों, परिस्थितियों से छुटकारा नहीं पा सकते न ही उन्हें बदल सकते हो, किन्तु आप अपनी प्रतिक्रियाओं पर संयम रखना अवश्य सीख सकते हो

क्या आप बहुत क्रोधित हैं?

कुछ फिजियोलॉजिकल टैस्ट होते हैं कि जिनसे आप अपने गुस्से की तीव्रता माप सकते हैं
जैसे कि आप गुस्से के प्रति कितने सम्वेदनशील हैं, और आप इसे कैसे संभालते हैं और अगर आप को बात बात पर क्रोध आने की समस्या है तो आप इस समस्या की तह को पहले ही से समझते होंगे अगर आप क्रोध में स्वयं को आपे से बाहर पाते हैं तो आप को मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता है कि आप इस भाव से और अच्छे तरीके से कैसे निबट सकें यहां यह पहचानना आवश्यक हो जाता है कि गुस्से की कितनी मात्रा सहज है और इसकी सीमा क्या हो! हर बात पर आपे से बाहर हो जाना बुध्दिमत्ता नहीं है आपको पता होना चाहिये कब आपको सहायता की आवश्यकता है

क्यों कुछ व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से ज्यादा गुस्सेवाले होते हैं?

एक मनोवैज्ञानिक जैरी डेफनबेकर,पी एच डी के अनुसार जिन्होंने एंगर मैनेजमेन्ट में महारत हासिल की है, '' कुछ लोग सच में ही और लोगों की तुलना में कुछ ज्यादा ही गर्मदिमाग के होते हैं, इन्हें जल्दी गुस्सा आ जाता है और एक औसत व्यक्ति से अधिक तेज गुस्सा आता है
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने गुस्से को बाहर शोर मचा कर प्रकट नहीं करते किन्तु अन्दर ही अन्दर वे बहुत चिढचिढे और गुससुम से रहते हैं आसानी से नाराज होने वाले कुछ लोग हमेशा बकझक नहीं करते, न ही बात बात पर हाय हाय करते रहते हैं, वे चीजे भी नहीं फेंकते, कभी कभी ऐसे लोग स्वयं को समाज से दूर कर लेते हैं और अपने आपमें सिमट जाते हैं और शारीरिक रूप से बीमार पड ज़ाते हैं

ऐसे लोग जो जरा सी बात पर गुस्सा हो जाते हैं उन्हें मनोवैज्ञानिक कहते हैं  हताशा के लिये सहनशीलता की कमी इसका सीधा सादा अर्थ है कि वे सोचते हैं कि उन्हें हताशा, असुविधा और नाराजग़ी का पात्र नहीं होना चाहिये वे अपने जीवन में परिस्थितियों को सहजता से नहीं ले पाते ऐसे लोग विपरीत परिस्थितियों में असहायता या स्वयं के साथ अन्याय महसूस करते हैं और क्रोधित हो जाते हैं, उदाहरण के लिये कि किसी को छोटी सी गलती पर सुधारा जाना भी गुस्सा दिला जाए

ऐसे लोगों को क्या है जो ऐसा बनाता है? इसके कई कारण हो सकते हैं उनमें से एक यह कि यह आनुवांशिक या शरीरसंरचना की वजह से हो इसका सबूत वे बच्चे हैं जो पैदायशी रूप से चिढचिढे होते हैं दूसरी वजह सामाजिक हो सकती है गुस्सा अकसर नकारात्मक माना जाता है, हमें सिखाया जाता है कि अपनी हताशा, व्यग्रता और अन्य भाव प्रकट करना सही है पर गुस्सा जताना ठीक नहीं परिणाम स्वरूप हम सीख ही नहीं पाते कि कैसे सही तरीके से गुस्से को लिया जाए और इस गुस्से को सही रचनात्मक दिशा दी जाए

शोध में यह भी पता चला है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि भी गुस्से में भूमिका अदा करती है अकसर वे लोग जो कि आसानी से क्रोधित होते हैं वे ऐसे परिवार के लोग होते हैं जिनके परिवार के लोग अवरुध्द मानसिकता वाले, अकसर परिस्थितियों को उलझाने वाले, और भावनात्मक सम्वाद में अनाडी हों

क्रोध को स्वयं से दूर रखने के कुछ तरीके

विश्राम

विश्राम का सहज और सरल उपाय है, गहरी सांस लेकर दिमाग की नसों को ढीला छोडना, यह क्रोध की भावना को शान्त करने में सहायक है
क़ई पुस्तकें और पाठयक्रम हैं जो आपको रिलेक्सेशन टैक्नीक्स सिखाते हैं और एक बार आप सीख जाएं फिर उन्हें किसी भी परिस्थिति पर लागू कर सकते हैं अगर विवाहित हैं, या मित्र हैं और आप दोनों ही गर्मदिमाग के हैं तो यह अच्छा तरीका है कि आप दोनों रिलेक्सेशन की ये विधियां सीख लें यह जानना सदैव अच्छा है कि गुस्से पर कैसे काबू किया जाये बजाये इसके कि आप कई अवांछित और दुष्परिणामों में उलझ कर रह जाएं

कुछ आसान उपाय जो कि आप अपना सकते हैं:

·        गहरी सांस लें अपने फेंफडों से, केवल उपर सीने से ली गई हल्की सांस रिलेक्स नहीं करेगी

·        स्वयं को कहें '' टेक इट इजी'' या '' कोई बात नहीं'' '' शान्त '' बार बार हर गहरी सांस के साथ दोहरायें

·        कल्पना का प्रयोग करें; अपनी स्मृतियों में से अपने आराम के शांत पलों की कल्पना करें किसी हरे घास के मैदान या झरने, नदी या झील के पास स्वयं को बैठा पायें या कल्पना करें यह सुन्दर दृश्य आपकी खिडक़ी के बाहर ही है अपने लॉन या अपनी बालकनी या छत पर तेज चहलकदमी भी आपको शांत करने में सहायक हो सकती है

·        बिना थकाने वाला व्यायाम, योगासन आदि भी आपकी मांसपेशियों को तनावमुक्त कर आपको शांत कर सकते हैं

इन उपायों को रोजमर्रा में इस्तेमाल करके आप कठिन परिस्थिति के लिये स्वयं को तैयार कर सकते हैं

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