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चुटकी भर नमक

जीवन में महान प्रेरणाओं के पीछे कभी कभी बहुत छोटी घटनाओं का हाथ होता है हिन्दी के महान कवि भूषण के जीवन से भी एक ऐसी ही घटना जुडी हुई है

बात उन दिनों की है जब भूषण कोई काम-काज नहीं करते थे एक दिन खाने के समय उन्होंने अपनी भाभी से चुटकी भर नमक मांगा भाभी ने झल्ला कर कहा, ''न काम के न काज के फिर भी स्वाद का इतना शौक?''

भाभी के ये शब्द भूषण को चुभ गये वे अधूरा खाना छोड क़रउठ गये और घर छोड क़र घूमते घामते वे दक्षिण भारत की ओर जा निकले सुस्ताने के लिये वे दुर्गा के एक मंदिर की सीढियों पर बैठ गये और गुनगुनाने लगे

संयोग से उसी समय छत्रपति शिवाजी दर्शनार्थ मंदिर में पधारे उन्होंने रूक कर भूषण की रचनाएं सुनीं भूषण के फडक़ते हुए छंदों से वे अत्यंत प्रभावित हुए उन्होंने सवा लाख रूपये देकर भूषण को पुरस्कृत किया और अपना राज्य कवि बना लिया वीर रस के इस ओजस्वी कवि को चित्रकूट के सोलंकी राजा रूद्र ने कविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया था तभी से लोग इन्हें भूषण के नाम से जानने लगे और उनका असली नाम भूल गये शिवाजी और छत्रसाल की प्रशंसा में लिखे गये वीर रस से ओतप्रोत भूषण के कवित्त अत्यंत सशक्त और प्रभावशाली हैं आज भी उन्हें पढक़र मन में वीरता और देशप्रेम का संचार होने लगता है

-पूर्णिमा वर्मन
अगस्त 3 2000


 

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