हमारे लेखक
- अज्ञेय
- , Uttar Pradesh
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सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च, 1911 – 4 अप्रैल, 1987) हिन्दी में अपने समय के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार, पत्रकार, सम्पादक, यायावर, अध्यापक रहे हैं।
1936-37 में सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का संपादन किया। 1943 से 1946 तक ब्रिटिश सेना में रहे; इसके बाद इलाहाबाद से प्रतीक नामक पत्रिका निकाली और ऑल इंडिया रेडियो की नौकरी स्वीकार की। देश-विदेश की यात्राएं कीं। जिसमें उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से लेकर जोधपुर विश्वविद्यालय तक में अध्यापन का काम किया। दिल्ली लौटे और दिनमान साप्ताहिक, नवभारत टाइम्स, अंग्रेजी पत्र वाक् और एवरीमैंस जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। 1980 में उन्होंने वत्सलनिधि नामक एक न्यास की स्थापना की जिसका उद्देश्य साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करना था। 1964 में आँगन के पार द्वार पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ और 1978 में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।
कविता संग्रह:- भग्नदूत-1933, चिन्ता-1942, इत्यलम्-1946, हरी घास पर क्षण भर-1949, बावरा अहेरी-1954, इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये-1957, अरी ओ करुणा प्रभामय-1959, आँगन के पार द्वार-1961, कितनी नावों में कितनी बार (1967) क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970) सागर मुद्रा (1970) पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974) महावृक्ष के नीचे (1977) नदी की बाँक पर छाया (1981) प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में,1946)।
- कहानियाँ:-
विपथगा 1937, परम्परा 1944, कोठरी की बात 1945 , शरणार्थी 1948, जयदोल 1951
- उपन्यास:-
शेखर एक जीवनी- प्रथम भाग(उत्थान)1941 द्वितीय भाग(संघर्ष)1944 नदी के द्वीप 1951 अपने अपने अजनबी 1961
- यात्रा वृतान्त:-
अरे यायावर रहेगा याद? 1953 एक बूँद सहसा उछली 1960
- निबंध संग्रह :
सबरंग त्रिशंकु 1945 आत्मनेपद 1960 आधुनिक साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य आलवाल 1971 सब रंग और कुछ राग 1956 लिखी कागद कोरे 1972
- आलोचना :
त्रिशंकु 1945 आत्मनेपद 1960 भवन्ती 1971 अद्यतन 1971
- संस्मरण: स्मृति लेखा
- डायरियां: भवंती, अंतरा और शाश्वती।
- विचार गद्य: संवत्सर
- नाटक: उत्तरप्रियदर्शी
- जीवनी: रामकमल राय द्वारा लिखित शिखर से सागर तक