हमारे लेखक
- चित्रा मुद्गल
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जन्मदिवस: 10/12/1943
2018 में अपने बहुप्रशंसित उपन्यास ‘पोस्ट बाक्स नं. 203, नाला-सोपारा’ के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित, 2003 में उपन्यास ‘आवां’ के लिए के. के. बिड़ला फाउन्डेशन के तेरहवें व्यास सम्मान से समादृत होने वाली प्रथम लेखिका चित्रा मुद्गल का जन्म, 10 दिसम्बर, 1943 को एगमोर, चेन्नई के नेवल हास्पिटल में हुआ। उनकी प्रारथ्मिक शिक्षा जनपद उन्नाव (उ.प्र.) में उनके पैतृक गाँव निहाली खेड़ा से लगे गाँव भरतीपुर के कन्या पाठशाला में हुई। 1962 में हायर सेकेन्डरी पूना बोर्ड से । शेष पढ़ाई मुम्बई विश्वविद्यालय से तथा बहुत बाद में स्नातकोत्तर पत्राचार पाठ्यक्रम से एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय मुम्बई से ।
विश्वभर में सुपरिचित चित्रा मुद्गल उन विरल रचनाकारों में से हैं, जिन्होंने दो शताब्दियों के मध्य सेतु की भूमिका निबाहते हुए उपजे उन संक्रमणों से मुठभेड़ की है अपने लेखन में, जिन्हें हाशिए में भी कोई हाशिया उपलब्ध नहीं हुआ। गद्य की अनेक विधाओं में अपनी रचनायात्रा से नई समृद्धि लाने वाली इस रचनाकार के शब्द और व्यवहार की दुनिया में कोई अन्तर नहीं। वह जीवन जितनी ही रचना में भी एक निरन्तर सक्रिय सोशल एक्टिविस्ट हैं। कहानी, उपन्यास, लघुकथा, यात्रा, रिपोर्ताज, संस्मरण, कविता, चिन्तन और एक समाजवेत्ता की चिरन्तर शब्दयात्रा की विशिष्ट पहचान बनकर समादृत व सम्मानित होने वाली चित्रा मुद्गल का रचना संसार विराट है। उन्होंने जिस गम्भीरता से वयस्कों के लिए रचनाओं की एक आकर्षक दुनिया खड़ी की है, उसी संलग्नता से बाल पाठकों के लिए भी रचना की है। लगभग पैंसठ से ऊपर पुस्तकें उनके खाते में हैं।
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चित्रा जी, नेशनल फिल्म एवार्डस् की दो बार जूरी सदस्य ही नहीं, प्रसारभारती की बोर्ड मेम्बर रहने के साथ, प्रसारभारती की इंडियन क्लासिक्स की कोर कमेटी की चेयरपर्सन होने के साथ-साथ, सेंसर बोर्ड तथा इंडियन पेनोरमा की भी सदस्य रही हैं। छठें विश्व हिन्दी सम्मेलन लंदन, सूरीनाम, न्यूर्याक, जोहानिसबर्ग, भोपाल, मारीशस आदि की संयोजन समिति की सक्रिय सदस्य भी ।