हमारे लेखक
- हृषीकेश सुलभ
- Patna, Bihar
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जन्मदिवस: 15/02/1955
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| ईमेल: hrishikesh.sulabh@gmail.com
हृषीकेश सुलभ का जन्म बिहार के छपरा (अब सीवान) जनपद के लहेजी नामक गाँव में हुआ। आरम्भिक शिक्षा गाँव में हुई और अपने गाँव के रंगमंच से ही उन्होंने रंग- संस्कार ग्रहण किया। उनकी कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और अंग्रेजी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।
रंगमंच से गहरे जुड़ाव के कारण वे कथा-लेखन के साथ-साथ नाट्य-लेखन की ओर उन्मुख हुए और भिखारी ठाकुर की प्रसिद्ध नाट्यशैली बिदेसिया की रंगयुक्तियों का आधुनिक हिन्दी रंगमंच के लिए पहली बार अपने नाट्यालेखों में सृजनात्मक प्रयोग किया। विगत कुछ वर्षों तक वे कथादेश मासिक में रंगमंच पर नियमित लेखन करते रहे हैं।
उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं ‘अग्निलिक’, ‘दाता पीर’ (उपन्यास); ‘तूती की आवाज़’ (‘पथरकट’, ‘वधस्थल से छलाँग’ और ‘बँधा है काल’ एक खंड में शामिल), ‘वसंत के हत्यारे’, ‘हलंत’ (कहानियों का संग्रह); ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ और ‘संकलित कहानियाँ’ (चयन); ‘अमली’, ‘बटोही’, ‘धरती आबा’ (नाटक); ‘माटीगाड़ी’ (शूद्रक द्वारा रचित मृच्छकटिकम का पुनर्लेखन), ‘मैला आंचल’ (फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास का नाट्यरूपांतरण), ‘दलिया’ (रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित नाटक); ‘रंगमंच का लोकतंत्र’ और ‘रंग-अरंग’ (रंगमंच-चिंतन); ‘संगरंग’ (संपादित).
सम्पर्क : पीरमुहानी, मुस्लिम क्रब्रिस्तान के पास, कदमकुआँ, पटना-800 003