कृष्ण चन्दर अथवा कृश्न चन्दर (23 नवम्बर 1914–8 मार्च 1977) हिन्दी और उर्दू के कहानीकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होने मुख्यतः उर्दू में लिखा किन्तु भारत की स्वतंत्रता के बाद मुख्यतः हिन्दी में लिखा। उनकी रचनाएँ हैं; उपन्यास: एक गधे की आत्मकथा, एक वाइलिन समुन्दर के किनारे, एक गधा नेफ़ा में, तूफ़ान की कलीआं, कारनीवाल, एक गधे की वापसी, ग़द्दार, सपनों का कैदी, सफेद फूल, पिआस, यादों के चिनार, मिट्टी के सनम, रेत का महल, काग़ज़ की नाव, चांदी का घाव दिल, दौलत और दुनीआ, पिआसी धरती पिआसे लोक, पराजय; कहानी संग्रह: नज्जारे, ज़िंदगी के मोड़ पर, टूटे हुए तारे, अन्नदाता, तीन गुंडे, समुन्दर दूर है, अजंता से आगे, हम वहशी हैं, मैं इंतजार करूंगा, दिल किसी का दोस्त्त नहीं, किताब का कफन, तलिस्मे खिआल, जामुन का पेड़ ।