हमारे लेखक
- निर्मल वर्मा
- Shimla, Himachal Pradesh
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जन्मदिवस: 03/04/1929
सेंट स्टीफेन्स कॉलेज‚ दिल्ली से इतिहास में एम. ए. कुछ वर्ष अध्यापन।
1959 में प्राग‚ चेकोस्लोवाकिया के प्राच्य विद्या संस्थान और चेकोस्लोवाक के लेखक संघ द्वारा आमंत्रित।7 वर्ष चेकोस्लोवाकिया में रहे और कई चेक कथाकृतियों के अनुचाद किये। कुछ वर्ष लन्दन में यूरोप प्रवास के दौरान ‘ टाइम्स ऑफ इण्डिया’ के लिये वहां की सांस्कृतिक – राजनीतिक समस्याओं पर लेख और रिपोर्ताज लिखे। 1972 में वापसी। इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवान्स्ड स्टडीज़ ह्य शिमलाहृ में फैलो रहे और मिथक चेतना पर काम किया। 1977 में इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम‚ अयोवा ह्य अमेरिकाहृ में हिस्सेदारी। ‘ मायादर्पण’ कहानी पर फिल्म बनी‚ जिसे 1973 का सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म का पुरस्कार मिला। ‘ कव्वे और काला पानी’ नामक कथा संग्रह‚ साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
प्रकाशित पुस्तकें Á वे दिन‚ लाल टीन की छत‚ एक चिथड़ा सुख‚ रात का रिर्पोटर
ह्य उपन्यासहृ
परिन्दे‚ जलती झाड़ी‚ पिछली गर्मियों में‚ कव्वे और काला पानी‚ प्रतिनिधि कहानियां‚ मेरी प्रिय कहानियां‚ बीच बहस मेंह्य कहानी संग्रहहृ
चीड़ों पर चांदनी‚ शब्द और स्मृति‚ कला का जोखिम‚ ढलान से उतरते हुए‚ भारत और यूरोपÁ प्रतिश्रुति के क्षेत्र‚ शताब्दी के ढलते वर्षों में‚ धुंध से उठती धुन
ह्य निबन्ध तथा संस्मरणहृ
तीन एकान्तह्य नाटकहृ
दूसरी दुनियाह्य संचयनहृ
अंग्रेजी में अनूदित Á डेज़ ऑफ लॉगिंग
ह्य उपन्यासहृ‚ हिल स्टेशन ह्य कहानी संग्रहहृ