• उषा राजे सक्सेना
  •  |    ईमेल: usharajesaxena@gmail.com

गोरखपुर में जन्मी इंग्लैण्ड में प्रवासी भारतीय के रूप में जीवन यापन करने वाली ऊषा राजे सक्सेना सर्जनात्मक प्रतिभा सम्पन्न एक ऐसी लेखिका हैं जिनके साहित्य में अपने देश‚ सभ्यता‚ संस्कृति तथा भाषा के प्रति गहरे और सच्चे राग के साथ प्रवासी जीवन के व्यापक अनुभवों और गहन सोच का मंथन मिलता है जिससे एक नई जीवनदृष्टि विकसित होती है। ऊषा जी की कहानियाŠ घटनाओं के माध्यम से अत्यंत गहरे प्रवासी यथार्थबोध का मनोवैज्ञानिक परिचय देती हैं। हिन्दी के प्रचार प्रसार से जुड़ी ऊषा राजे सक्सेना का लेखन ह्यहिन्दी‚ अंग्रेज़ीहृ पिछली सदी के सातवें दशक में साउथ लंदन के स्थानीय पत्र पत्रिकाओं एवं रेडियो प्रसारण के द्वारा प्रकाश में आया‚ तदन्तर आपकी कविताएं‚ कहानियाŠ एवं लेख आदि भारत‚ अमेरिका एव्ां योरोप के प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में छपती रहीं। आपकी कई रचनाएं विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं। कुछ रचनाएं जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के पाठ्यĖम में भी सम्मिलित हैं।

ऊषा राजे ब्रिटेन की एकमात्र हिन्दी की साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘पुरवाई’ की सहसम्पादिका तथा हिन्दी समीति यूŗ केŗ की उपाध्यक्षा हैं। तीन दशक ‚ आप ब्रिटेन के ‘बॉरो ऑफ मर्टन’ की शैक्षिक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर कार्यरत रही हैं। आपने ‘बॉरो ऑफ मर्टन एजूकेशन अथारिटी’ के पाठ्यĖम का हिन्दी अनुवाद किया।

विगत वर्षों में भारत की विभिन्न संस्थाओं ने आपको प्रवास में हिन्दी साहित्य एवं प्रचार प्रसार सेवा के लिये सम्मानित एवं पुरस्कृत किया है। अभी हाल ही में ऊषा जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय‚ हरियाणा में शोध हुआ है।

प््रामुख कृतियांĮ
काव्य संग्रह — ‘ विश्वास की रजत सीपियाŠ‚ 1996
‘ इन्द्रधनुष की तलाश में’ 1997
कहानी संकलन — ‘ मिट्टी की सुगंध’ ह्यब्रिटेन के प्रवासी भारतवंशी लेखकों का प्रथम कहानी संग्रह‚
राजकमल प्रकाशन‚ दिल्ली
कहानी संग््राह — प्रवास में …ह्यप्रभात प्रकाशन‚ दिल्ली

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